राष्ट्र धर्म के के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से अगस्त 1947 में अटल जी और दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका शुरू की गई थी। अटल जी इसके संस्थापक संपादक थे, वहीं पं। दीनदयाल उपाध्याय संस्थापक प्रबंधक थे। अब तक ये पत्रिका छप रही थी, लेकिन अब केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने पत्रिका की डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी (डीएवीपी) की मान्यता रद्द कर दी है।
इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने अब इस पत्रिका को अपने विज्ञापनों की पात्रता सूची से बाहर कर दिया है। इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि अक्टूबर 2016 के बाद से इसकी कॉपी पीआईबी व डीएवीपी के कार्यालय में जमा नहीं कराई गई है। वहीं राष्ट्रधर्म पत्रिका की ओर से एक बयान जारी कर इस कार्रवाई को अनुचित बताया है। राष्ट्रधर्म के प्रबंधक पवन पुत्र बादल के अनुसार अभी उनके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह गलत है।
उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने हमारे कार्यालय को सील करवा दिया था, उस समय भी पत्रिका का प्रकाशन बंद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अगर किसी कार्यालय को कॉपी नहीं मिली है, तो उसे नोटिस देकर पूछना चाहिए था। बिना किसी नोटिस के कार्रवाई करना अनुचित है।