सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के एक न्यायालय को नाबालिग लड़की से यौनदुराचरण के मामले में जेल गए आसाराम के मामले में कहा है कि न्यायालय अपनी प्रक्रिया को तेज करे. न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया को तेज करने के संबंध में निर्देशित किया. गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय में आसाराम द्वारा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का हवाला देते हुए जमानत देने की अपील की गई थी. मगर न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया था.
न्यायालय ने कहा था कि आसाराम ने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे और न्यायालय ने जिम्मेदारों पर प्रकरण दर्ज करने का आदेश भी दिया था. अब आसाराम के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात की एक अदालत से अभियोजन पक्ष के बयान लेने में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इस मामले में प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की 3 सदस्यों वाली खंडपीठ ने सूरत के न्यायालय को आदेश दिया और कहा कि आसाराम के मामले में अभियेाजन के गवाहों के बयान लिए जाऐं और इसे दर्ज किया जाए. ऐसे करीब 46 गवाह हैं.
गुजरात सरकार की ओर से अतिरिक्त साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहा कि अभियोजन के दो गवाहों की हत्या हो चुकी है. गौरतलब है कि आसाराम पर अपने कथित गुर्गों द्वारा गवाहों की हत्या करवाने और उन पर हमले करवाने का आरोप लगाया गया है. न्यायालय ने कहा कि न्यायालय इस मामले में अधिक देर न करे.
गौरतलब है कि आसाराम के ही साथ उनके पुत्र नारायण सांई के विरूद्ध सूरत की दो बहनों ने अलग अलग शिकायत दर्ज करवाई थी. इन पर बलात्कार करने और असंगत तरह से बंधक बनाने को लेकर भी आरोप लगाए गए थे.