प्लेसमेंट के बाद हर कर्मचारियों के जहन में बस एक ही बात आती है कि आकर्षक सैलरी मिले, क्योंकि आकर्षक सैलरी पैकेज हर किसी को काम करने को प्रोत्साहित करता है, लेकिन सैलरी के साथ ही जॉब प्रोफाइल भी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपके पास जॉब की कोई ऐसी ऑफर है, जहां प्रोफाइल अच्छा है, परंतु सैलरी कम है तो एकदम से ना करने की अपेक्षा कंपनी से सैलरी के मुद्दे पर बात करें, सैलरी नेगोसिएशन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें।
– रेज्यूमे में अपना वर्किंग एक्सपीरियंस साफ शब्दों और विस्तार में बताएं, बल्कि हर बात मुंह जुबानी भी याद रखें, जिससे कि एंप्लॉयर के सामने आप पूरे आत्म विश्वास के साथ जवाब दे कर उन पर अच्छा इंप्रेशन जमा सकें।
– यदि कोई काम आपने किया है और उसके लिए कड़ी मेहनत की है, तो उसका फल, उसके लिए पहचान और श्रेय आपको मिले, यह सुनिश्चित कर लें। इस खूबी को पाने और निखारने में समय लगता है, जल्दबाजी की तो आप अपने मुंह मिंया मिट्ठू कहला सकते हैं।
– आपकी क्वॉलिफिकेशन जॉब प्रोफाइल से मेल नहीं खाती, जैसे प्रश्नों के जवाब देने के लिए खुद को पहले से ही तैयार रखें, ताकि एंप्लॉयर को विश्वास हो जाए कि यह जॉब आपके लिए ही है।
– जिस तरह से हम मार्केट में सस्ती और टिकाऊ चीजें ढूंढते हैं, उसी प्रकार एंप्लॉयर भी कम सैलरी पर ज्यादा काम करने वाले एंप्लॉइज चाहते हैं।
– स्मार्ट जानकारी रखें अर्थात बात चाहे दुनिया की हो या आपकी इंडस्ट्री की, आपको जानकार बनना होगा। जरूरी नहीं कि आपकी पढ़ाई की डिग्री 85 प्रतिशत वाली हो, तभी आप कार्यक्षेत्र में सफल हो सकते हैं। यदि स्मार्ट जानकारी और पूरी समझ आपके पास है, तो आप अवश्य कामयाब होंगे। आपको जो जिम्मेदारी दी जाए उसे पूरी तरह से समझ कर काम करें, आपकी यह खूबी आपको आगे तक ले जाएगी।
– सफलता पाने के लिए आप किसी की भी चापलूसी करें, यह जरूरी नहीं, बल्कि अपने काम को आपने किस तरह से करना है और किस तरह से अपने नए आइडियाज को प्रस्तुत करना है, उस चीज कपर कायम रहना बहुत जरूरी है। ऑफिस में मीटिंग या विचार विमर्श में खुल कर भाग लें। जब पक्ष लेने और तय करने की नौबत आए, तो अपने विचारों पर स्थिर रहें।