क्या धरती के बाहर भी जीवन है? क्या धरती पर ही हमारे अलावा एक बेहतर और विकसित प्रजाति मौजूद है? क्या एलियंस जैसे शब्द केवल ख्याल भर ही है या सच्चाई से भी इनका वास्ता है? ऐसे भी कई और सवाल सदियों से मानव जाति के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. सिनेमा में भी स्टीवन स्पीलबर्ग की ET और राकेश रोशन की कोई मिल गया जैसी फिल्मों से हम एलियंस या परजीवियों से रूबरू होते रहे है.
तो क्या इंसान ने खोज ही निकाला है एलियंस की मौजूदगी का सबूत? ताजे मामले से इस बात को बल तो जरूर मिला है. 42 साल के लेखक मिग्युल मेनडोंका ने दावा किया है कि एलियन नामक प्रजाति हमारी धऱती पर अपनी मौजूदगी को बढ़ा रही है और ये प्रजाति मानव जाति के अस्तित्व के लिए जरूरी है क्योंकि ये परजीवी हमें बेहतर मनुष्य बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
मेनडोंका के मुताबिक इन एलियंस से लगातार मुलाकात के बाद उनकी एमएस नाम की बीमारी ठीक हो गई है. इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द, शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट महसूस करना जैसी बातें आम है. ब्रिस्टोल में रहने वाले मेंडोंका इससे पहले विश्व फ्यूचर काउंसिल जो ग्रीन एनर्जी पॉलिसी को समर्थन करती है के साथ रिसर्च मैनेजर रह चुके हैं.
मेंडोंका ने आठ ऐसे लोगों का इंटरव्यू किया जो दावा करते हैं कि उनके शरीर में मानवीय डीएनए की मौजूदगी नहीं है और उनका धरती पर आने का का कारण मानव जाति को बेहतर करना है. मेंडोंका की सहयोगी बार्बरा लैंब जो उनके साथ इस प्रोजेक्ट में जुड़ी है ने इन दावों में काफी रूचि दिखाई. बार्बरा 1980 के दशक से ही एलियंस की रिसर्चर रही हैं.
मेंडोंका ने कहा कि उन्होंने काफी खुले दिमाग से इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की थी लेकिन इस प्रोजेक्ट के खत्म होने के बाद मुझे ये विश्वास हो चला है कि वो लोग जिनका मैंने साक्षात्कार किया, उनके दावों में काफी हद तक सच्चाई है और शायद एलियंस के लगातार धरती पर दिखाए दिए जाने का रहस्य भी खुल चुका है.