आयुर्वेद में प्रकृति के द्वारा हर बीमारियां का समाधान मौजूद है। हमारे आसपास की प्रकृति में कई औषधियां मौजूद हैं। जिनके बारे में हम नहीं जानते। हिन्दू धर्म में पीपल के पेड को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। पीपल का पेड धरती पर सभी पेडों से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोडता है। यह पेड 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। यह पेड हमें कई रोगों से राहत दिलाता है। पीपल के पेड के सूखे फल, जड और यहां तक कि इसके बीज भी हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी हैं।
चोट के घाव भरें-: चोट के घावों को जल्दी भरने के लिए पीपल के पत्तों को गर्म कर लें और चोट के घाव पर लगाएं।
इससे घाव को अराम मिलेगा और जल्द ही वह भरने लगेगा।
पीपल के पत्तों से निकलने वाले दूध को फटी एडियों पर लगाने से एडियां कोमल और साममान्य हो जाती हैं।
गर्मी के मौसम में अक्सर नक्सीर फूटने की समस्या हो जाती है। ऐसे में पीपल के ताजे पत्तों का रस निकालकर नाक में टपकाएं, इससे नाक से लगातार बह रहा खून रूक जाएगा और नाकसीर जैसी समस्या से आराम मिलेगा।
पीपल के पेड की जड को पानी में भिगोकर इसके पीस लें और फिर इस पेस्ट को फेस पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें। इस पैक को नियमित लगानेसे चेहरा पर बढती हुई उम्र की वजह से आई झुर्रियां खत्म हो जाती हैं।
पीपल के पत्तों का रस शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से जुकाम ठीक हो जाता है।