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प्यास लगने का मतलब होता हैं कि शरीर में पानी की कमी हो रही हैं। यह क्रिया दिमाग के द्वारा नियंत्रित होती हैं। शरीर में पानी कम होने से रक्त में पानी की कमी होने लगती हैं। जिससे रक्तदाब की समस्या भी सामने आती है।
पेशाब और पसीने से पानी तो शरीर से कम होता ही रहता है, पानी की कमी से रक्त में अन्य पदार्थो की सांद्रता बढ़ जाती हैं या यो कहे कि रक्त गाढ़ा होने लगता हैं।
जब ऐसा होने लगता हैं तो विशेष प्रकार की कोशिकाओं द्वारा, जो की मस्तिस्क क्षेत्र में स्थित होती हैं और “ओसमोरिसेप्टर” कहलाती हैं, सामान्य स्थिति लाने की दिशा में प्रयास किया जाता हैं। इससे लार ग्रन्थियां आदि अपना स्त्राव निकलना बंद कर देती हैं; जिससे मुह सूखने लगता हैं और हमें प्यास लगने लगती हैं। जब हम पानी पी लेते हैं, तो इस अवस्था में यही क्रिया विपरीत दिशा में कार्य करने लगती हैं और हमारी प्यास बुझ जाती हैं।