हमारे देश में चिकन पॉक्स यानि चेचक एक गंभीर बीमारी है यह एक ऐसी बीमारी होती है, जिसमें रोगी को सबसे अलग रहने की सलाह दी जाती है। साथ ही कई लोगों को कहना होता है कि इसका कोई इलाज नहीं होता है और यह कुछ दिन बाद खुद ही ठीक होता है। यह एक ऐसा रोग है जो कि दूसरे व्यक्ति को हवा के जरिए खांसने और छींकने से फैलता है। साथ ही इसके संपर्क में आने के करीब 10-20 दिन बाद दूसरे व्यक्ति पर इसके लक्षण दिखाई देते हैं। आइए जानते हैं इसका क्या इलाज हो सकता है और इस समय परिवार वालों को क्या करना चाहिए।
संक्रमण की बीमारी होने की वजह से रोगी को बाहर नहीं ले जाना चाहिए और परिवार में जो इससे पीड़ित नहीं उसे भी इसका टीका लगवाना चाहिए। साथ ही चिकन पॉक्स के इलाज में अधिक से अधिक आराम करना चाहिए और तरल पदार्थ से बचना चाहिए और बुखार, सिरदर्द आदि के लक्षणों को कंट्रोल करने का प्रयास करना चाहिए। वहीं बच्चों को एस्पिरिन नहीं देने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि इससे उन्हें रेयेस सिंड्रोम (Reye’s syndrome) का खतरा रहता है। इसलिए बुखार को कंट्रोल करने के लिए एसिटामिनोफेन दी जाती है। वहीं इसका इलाज उम्र और इन्फेक्शन की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। बता दें कि जल्दी ठीक होने के लिए हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा घर के अंदर रहना चाहिए और दवाएं लेना नहीं छोड़ना चाहिए।
क्या है चिकन पॉक्स के लक्षण–
जब चिकन पॉक्स होता है या होने वाला होता है तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है और यह लक्षण बच्चों में ज्यादा देखा जाता है. वहीं चिकन पॉक्स के दाने दिखनेके एक या दो दिन बाद से थोड़ा सिरदर्द हो सकता है। इसमें फ्लू के दूसरे लक्षण जैसे गले में दर्द, खांसी, छींक भी आ सकती है। धीरे-धीरे शरीर में जब चिकेनपॉक्स फैलने लगेगा तो ये लक्षण भी ज्यादा परेशान कर सकते हैं। चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षणों जैसे सिरदर्द, खांसी और गले में दर्द को अक्सर लोग फ्लू समझ लेते हैं। लेकिन अगर पूरे शरीर पर लाल रैशिज निकलने लगे, उसपर खुजली हो तो ये चिकेनपॉक्स का एक बड़ा लक्षण है। इन रैशिज़ में काफी ज्यादा खुजली भी हो सकती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने और भूख न लगने के कारण बहुत अधिक थकान हो सकती है।
