‘टीचर्स डे’ स्पेशल: अपनी तो पाठशाला मस्ती की पाठशाला….

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सबसे पहले तो हमे ज्ञान देने वाले हमारे अतिसम्मानीय गुरुवर को नमन: आज शिक्षक दिवस है. शिक्षक दिवस पर जिसे एक शब्द में कहे तो विश्व के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरुओं) को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन होता है. आज के दिन भारत के महान शिक्षाविद और विचारक तथा भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी जन्मदिन मनाया जाता है व उनके जन्मदिवस पर ही शिक्षक दिवस मनाते है. भारत के शिक्षा क्षेत्र में राधाकृष्‍णन का बहुत बड़ा योगदान रहा है. राधाकृष्णन का मानना था कि ‘एक शिक्षक का दिमाग देश में सबसे बेहतर दिमाग होता है’. कहा जाता है कि एक बार डॉ. राधाकृष्णन के कुछ विद्यार्थियों और दोस्तों ने उनसे उनके जन्मदिन मनाने की इच्छा ज़ाहिर की. जिसके जवाब में डॉ. राधा कृष्णन ने अपने जन्मदिन को अलग से मनाने की बजाए इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की बात कही. आपको बता दे कि इस दिन का खास महत्व शिक्षक और बच्चों के बीच है. बच्चे इस दिन अपने शिक्षक को सम्मान देते हैं, उन्हें अपने हाथों से बने ग्रिटिंग्स कार्ड, फूल और तरह-तरह की कविताएं तक उनके सम्मान में लिख डालते हैं. कहते हैं कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता. सच भी है फिर चाहे गुरु मां-बाप के रुप में आपको बचपन की छोटी मोटी ग़लतियों से उबरना सिखाए या फिर क्लास रूम में शिक्षक आने वाली ज़िदगी की चुनौतियों से लड़ना.
गुरु द्रोणाचार्य पर शिष्य एकलव्य की गुरुभक्ति
भारत में गुरु पूजा की संस्कृति काफी पुरानी है. इतना ही नहीं हिंदू धर्म में तो भगवान से पहले गुरु की पूजा की जाती है. शिक्षक दिवस की बात हो और एकलव्य और गुरु द्रोणाचार्य का ज़िक्र न हो ये कैसे हो सकता है. एकलव्य को एक महान छात्र के तौर पर गिना जाता है. कहते हैं कि एक बार जब गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रुप में उसके हाथ का अंगुठा मांगा तो उसने बेहिचक अपना अंगुठा काटकर अपनी गुरु के सामने रख दिया. गुरु की ज़रूरत केवल छात्र जीवन में ही नहीं बल्कि करियर के दौरान भी होती है. जो न केवल आपको काम करना सिखलाता है बल्कि आपको मज़बूत बनाता है और आपके बेहतर भविष्य के लिए तैयार करता है. गुरु की ज़रूरत ताउम्र होती है, क्योंकि आप हमेशा ही कुछ न कुछ सीखते हैं.