तो इस कारण दी जाती है सूर्योदय से पहले फांसी

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हमारे देश में सबसे बड़ी सजा मौत की है, दूसरे देशों में मौत की सजा कई तरीके से दी जाती है लेकिन हमारे देश में अपराधी को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि हमारे देश में फांसी सूर्योदय से पहले सुबह के वक्त ही क्यों दी जाती है. खैर, अगर नहीं पता है तो यहां हम आपको बताएंगे कि अपराधी को फांसी पर सुबह के वक्त ही क्यों लटकाया जाता है?

फांसी वक्त सुबह-सुबह का इसलिए मुकर्रर इसलिए किया जाता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद किए जाते हैं. फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभानित ना हो ऐसा इसलिए किया जाता है.फांसी देने से पहले जल्लाद बोलता है कि मुझे माफ कर दिया जाए. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुसलमान भाईयों को सलाम, हम क्या कर सकते हैं हम तो हुक्म के गुलाम हैं.

शव को कितनी देर तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखना है इसके लिए कोई समय तय नहीं है. लेकिन फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम शव की जांच करती है.फांसी देते वक्त वहां पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और जल्लाद का मौजूद रहना बेहद जरूर है. इनमें से किसी की भी कमी में फांसी नही दी जा सकती.

हमारे कानून में फांसी की सज़ा सबसे बड़ी सजा होती है. इसलिए जज इस सजा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देता है जिससे उसका इस्तेमाल दोबारा ना हो सके.जेल प्रशासन फांसी से पहले आखिरी ख्वाहिश पूछता है जो जेल के अंदर और जेल मैन्युअल के तहत होता है इसमें वो अपने परिजन से मिलने, कोई खास डिश खाने के लिए या फिर कोई धर्म ग्रंथ पढ़ने की इच्छा करता है अगर यह इच्छाएं जेल प्रशासन के मैन्युअल में है तो वो पूरी करता है.