कश्मीर में मचे बवाल के बीच पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने बड़ा खुलासा किया है। पर्रिकर ने कहा है कि उन्होंने कश्मीर जैसे मुद्दों की वजह से रक्षामंत्री का पद छोड़कर फिर से गोवा का मुख्यमंत्री बनने का फैसला किया। रक्षा मंत्री रहने के दौरान पर्रिकर कश्मीर में सख्ती बरतने के हिमायती रहे। उनके कार्यकाल में ही सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। पर्रिकर ने कहा, ” केंद्र में कश्मीर और यहां वहां की तमाम समस्याएं हैं। दिल्ली में एक समस्या नहीं होती। बहुत प्रेशर होता है।” पर्रिकर के इस बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कश्मीर मुद्दे को लेकर वो किस तरह का दबाव महसूस कर रहे थे जो उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ने का फैसला किया?
कश्मीर जैसे कुछ प्रमुख मुद्दों का दबाव उन कारणों में से एक है जिसके चलते उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ने और इस तटीय राज्य लौटने का फैसला किया। मनोहर पर्रिकर ने कश्मीर मुद्दे को लेकर अपने ऊपर दबाव की बात जरूर कही लेकिन ये नहीं बताया कि उनपर किस तरह का दबाव था जो उन्होंने रक्षामंत्री के पद को छोड़ने का फैसला कर लिया? पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, ‘’कश्मीर जैसे मुद्दों पर कम चर्चा और अधिक कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि जब आप चर्चा के लिए बैठते हैं मुद्दे जटिल हो जाते हैं।’’ मनोहर पर्रिकर का ये बयान उस वक्त आया है जब सीआरपीएफ के जवानों से कश्मीर लड़कों की बदसलूकी का वीडियो वायरल हो रहा है।
अगर इस वीडियो से पर्रिकर के बयान को जोड़कर देखा जाए तो एक मतलब ये जरूर निकलता है कि रक्षामंत्री रहते हुए पर्रिकर कश्मीर के ऐसे अलगाववादियों से बातचीत की बजाय उनपर सख्त कार्रवाई के पक्ष में थे लेकिन राजनीतिक वजहों से वो ऐसा नहीं कर पाये। मनोहर पर्रिकर का कहना है, ‘’कश्मीर मुद्दे को सुलझाना एक आसान काम नहीं था और इसके लिए एक दीर्घकालिक नीति की जरूरत है।’’ इस मौके पर मनोहर पर्रिकर ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी बातों से यही लग रहा है कि रक्षा मंत्री रहते हुए वो कश्मीर समस्या पर जिस तरह से काम करना चाह रहे थे, उस तरह से उन्हें काम करने का मौका नहीं मिल रहा था।