पहले प्यार का खुमार

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पहला प्यार हर स्वार्थ से ऊपर होता है। जाति-पाति से वाकिफ नहीं होता। किसी रिश्ते को नहीं मानता। उम्र के किसी भी हिस्से से नहीं बंधा होता और न ही रूपये पैसों की खाई को देखता है।
अधिकांशत: तेरह-चौदह साल के किशोर-किशोरियों के जीवन में ही प्रथम प्रेम एकाएक किसी आंधी की तरह आता है। इस प्रथम प्रेम में किशोर-किशोरी स्वाभाविक हाव-भावों से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। वे स्वयं के रूप-पहनावे आदि के प्रति अत्यधिक सतर्क हो उठते हैं। अपने स्वभाव, व्यक्तित्व पर वे अत्यधिक ध्यान देना प्रारंभ कर देते हैं। अगर इस उम्र में प्रेमिका ने गंदे कपड़ों की तरफ ध्यान दिलाया तो लीजिए अगले ही दिन से साफ कपड़े पहनने शुरू। ‘तुम इस बार अच्छे नंबरों से पास हो जाओ तो जानूं।’ प्रेमी का आदेश पाते ही बुद्धू लड़की भी अपना सारा दम पढ़ाई में लगाकर जुट जाती है।
अभी पिछले हफ्ते तो मैंने बस में साथ वाली सीट पर एक दसवीं कक्षा के छात्र को माचिस की तीली से हाथ जलाते देखा तो चकित होकर कारण जानना चाहा। उसने लंबे-लंबे आंसुओं से बतलाया कि वो अपनी गर्ल फ्रेंड के जन्मदिन से सीधे होकर आ रहा है। वहां सबके सामने उसने मुझे सिगरेट पीने के कारण लताड़ा, सो अब इन हाथों को जला दूंगा ताकि आज के बाद इन हाथों में सिगरेट पकडऩे का दम ही न रहे।
दूसरी ओर कुछ लोगों को प्रथम प्रेम में बर्बाद होते भी पाया जाता है। इस प्रेम की जरा सी नाकामयाबी के बाद वे सिगरेट, शराब, हस्तमैथुन, गांजा, जुआ, व्यभिचार इत्यादि की लत लगा बैठते हैं और अपने कैरियर को पहले प्रेम की वेदी पर स्वाहा कर डालते हैं।
‘फस्र्ट लव’ मात्र मीठी याद तक ही सीमित हो, ऐसा नहीं है। प्रथम प्रेम में गजब की शक्ति पाई जाती है। इसमें अकेले ही पहाड़ से टकरा जाने का अदम्य उत्साह होता है। जरा सी चुनौती पर मौत का ग्रास बनने में क्षण भर भी देर नहीं लगती।
अब तक मेरा जिन उच्च अधिकारियों, इंजीनियरों, कलाकारों, लेखकों से संपर्क रहा है, उन सभी से भावुक बातचीत में मैंने जाना कि इस उपलब्धि के लिए बरसों पुराना प्रथम प्रेम ही जिम्मेदार है। आज उनके करियर में यदि ठहराव या बस बहुत हो गया जैसा संतोष है तो मात्र इसलिए कि अब इस बढ़ी उम्र में उस प्रेम की लौ की तपन समाप्त हो चुकी है अथवा काफी कम हो गयी है।