बच्चों चिप्स व चॉकलेट की वजह से हो सकती है बड़ी बीमारी

Lifestyle

चिप्स व चॉकलेट, बर्गर और पिज्जा समेत दूसरे फास्ट फूड बच्चों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। इससे बच्चों में पेशाब संबंधी परेशानी हो रही है। चिप्स व चॉकलेट खाने वाले बच्चों में मूत्राशय के पथरी की संभावना ज्‍यादा बढ़ गई है।

रोजाना तीन से चार पैकेट चिप्स व चॉकलेट खाने वाले बच्चों में मूत्राशय के पथरी की संभावना 10 से 15 गुना तक बढ़ जाती है। इसकी जानकारी पीजीआई यूरोलॉजी विभाग के डॉ. एमएस अंसारी ने पीडियाट्रिक यूरोलॉजी पर आयोजित हुई कार्यशाला में दी। डॉ. एमएस अंसारी ने कहा कि चिप्स, चॉकलेट व दूसरे फास्ट-फूड में कैल्शियम काफी मात्रा में पाया जाता है।

इसे बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं दूसरे भोजन में अलग से शरीर को कैल्शियम मिलता है। कैल्शियम मूत्राशय, गुर्दे व गॉल ब्लेडर में पथरी का सबसे बड़ा कारण है।

उन्होंने कहा कि बच्चों की जीवनशैली में भी बदलाव आया है। बड़ों की तरह बच्चे भी आलसी हो गए हैं। खेल-कूद से बच्चे दूर हो गए हैं। इससे भी पेशाब संबधी परेशानी बढ़ गई हैं। पीजीआई के डॉ. अनीस श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चों को पथरी से बचाना है तो रोज चावल देने से परहेज करें। बच्चों में पेशाब संबंधी दूसरी परेशानी भी पनप सकती है। किड़नी को भी बीमारी से बचा सकते हैं। बच्चों को चावल देने से परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव में अभी भी बच्चों को भरपेट चावल खिलाया जा रहा है।

इसमें दाल या तो नहीं होती है या उसकी मात्रा कम होती है। इससे पथरी पनपने की संभावना बढ़ जाती है। पेशाब संबंधी परेशानी के साथ अस्पताल आने वाले 10 फीसद बच्चों में पथरी की समस्या होती है। उन्होंने कहा कि कम उम्र में पान खाने लत भी नुकसानदेह है। इसमें चूना लगाया जाता है। जो कि गुर्दो में जमा हो जाता है। जिससे पथरी बनने लगती है।

यूएसए के डॉ. रामा जयंती ने कहा कि मूत्र तंत्र में पथरी के 95 फीसद मामलों में एंडोस्कोप से ऑपरेशन मुमकिन है। इसमें सिर्फ तीन मिलीमीटर का एक सुराख कर पथरी निकाली जाती है। पांच फीसदी मामलों में लेप्रोस्कोप से पथरी निकलनी होती है। इसके अलावा लिथोट्रिप्सी तकनीक से भी पथरी निकाली जाती है।