मुर्दे लोगों को बीमा कराने के लिए फोन कर रहे हैं और लोन दिलाने के नाम पर झांसा दे रहे हैं. मुर्दों के नाम पर बीमा क्लेम हड़पने की जांच कर रही पुलिस के सामने यह सनसनीखेज मामला सामने आया है. दरअसल, पुलिस ने जांच में पाया है कि मुर्दा लोगों के नाम पर मोबाइल नंबर लिए गए हैं. इन नंबरों से रोजाना कई लोगों को फोन करके उन्हें बीमा कराने या लोन दिलाने का झांसा दिया जा रहा है.
इस मामले में पुलिस ने हरिओम सैनी नाम के एक व्यक्ित को गिरफ्तार कर उसके पास से फर्जी आईडी का सिमकार्ड बरामद किया है. राजवीर और उसके गिरोह के सदस्य मुर्दा लोगों के कागजात लेकर उनका उपयोग गलत कामों में करते थे.एक ही कागज की कई फोटोकॉपी कराकर एक साथ तमाम कंपनियों में बीमा कराने की कोशिश की जा रही. इसके अलावा उन कागजातों के आधार पर फर्जी सिमकार्ड भी लिए गए हैं. राजवीर का नंबर पिछले 15 दिन से स्विच ऑफ है. वहीं, संजय गिरी के नंबरों से बीच-बीच में बात हुई थी.
पुलिस ने जांच में पाया कि राजवीर और संजय गिरी जिन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे नंबर भी दूसरे लोगों की आईडी के आधार पर लिए गए हैं. सर्विलांस टीम ने दोनों के तीन-तीन नंबरों को सर्विलांस पर लगाया है, लेकिन अभी तक उनकी सही लोकेशन पुलिस को पता नहीं चली है. जांच में पता चला कि मृत लोगों के दस्तावेजों के आधार पर राजवीर और उसके साथी इंश्योरेंस पॉलिसी कराते थे. इसके अलावा बैंकों से लोन के लेने के लिए भी आवेदन करने के लिए इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाता था.
आरोपी इन फर्जी दस्तावेजों के जरिये किसी भी तरह रकम हासिल करने की कोशिश में रहते थे. एसबीआई, प्रथमा बैंक समेत कई बैंकों में ऐसे फर्जी कागजातों के जरिए तीन से आठ लाख रुपए तक के लोन के लिए आवेदन किया गया है. बताया जा रहा है कि लोन के कई आवेदन मौके पर सत्यापन होने के चलते रिजेक्ट हो चुके हैं. मगर, इसके बावजूद बैंकों की ओर से इसकी कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई. इसी के चलते आरोपियों के हौंसले बुलंद हैं.