उडऩे वाले पक्षियों में विश्व का सबसे बड़ा पक्षी सारस एक ही जीवनसाथी के साथ पूरा जीवन बिताने के कारण आदर्श दाम्पत्य का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस जोड़े में अगर कोई एक पक्षी मर जाता है या मार दिया जाता है तो दूसरा भी वहीं खड़ा-खड़ा रोता रहता है और कभी-कभी तो अपने प्राण भी त्याग देता है या जिंदा बचने पर पूरा जीवन अकेले ही बिताता है.
इसे वागड़ में हरोड़ा या हरोड़ी के नाम जाना जाता है. सारस को मानसून के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है. वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही यह जोड़ा प्रणय नृत्य करता है. धान के खेत इसकेआदर्श आवास है. नम भूमि एवं तालाबों में इसका बसेरा होता है. जिले में बोड़ीगामा, साबला, पूंजपुर, बड़ौदा, खेमपुर, गणेशपुर, गामड़ी निठाउवा, सोलज, भीलुड़ा, धम्बोला आदि जलाशयों में यह सामान्य तौर पर दिखाई देता है. प्राकृतिक आवास नष्ट व प्रदूषित होने से इनकी संख्या काफी कम हो गई है.