नकद राशि की जरूरत पड़ने पर हम बिना बैंक की लाइन में लगे आराम से कहीं भी कभी भी एटीएम से रुपए निकाल सकते है . लेकिन शायद आपको पता नहीं है कि आज आप जिस ATM का खूब इस्तेमाल कर रहे है, भले ही उसे देश में शुरू हुए ज्यादा समय नहीं हुआ, लेकिन आज ATM पचास साल का हो गया है. आइये जानते है इससे जुडी जानकारी .
उल्लेखनीय है कि 27 जून 1967 में इंग्लैंड की राजधानी लंदन में पहली बार बार्कलेज बैंक ने दुनिया का पहला एटीएम लगाया था. एटीएम के आविष्कार की कहानी भी दिलचस्प है. हुआ यूँ कि 23 जून 1965 को मेघालय में जन्मे और ब्रिटेन में पले बढ़े जॉन शैफर्ड बैरन को एक दिन रुपयों की जरूरत थी तो वो बैंक गए. जब वो बैंक पहुंचे तो बैंक बंद हो गया था और नकद राशि नहीं निकाल पाए. तभी उनके दिमाग में यह विचार आया कि ऐसी मशीन बनाई जाए जिससे लोग किसी भी समय नकद निकाल सकें. हालांकि बैरन की इस खोज पर भी विवाद है. कहा जा रहा है कि कई इंजीनियर्स इसपर पहले से ही काम कर रहे थे.
बता दें कि एटीएम से पहले वेंडिंग मशीन से स्टांप, न्यूजपेपर और कैंडी चॉकलेट आदि निकलते थे . इसे देखकर एटीएम के आविष्कार की प्रेरणा मिली होगी. एटीएम के शुरुआती दिनों में इसमे कार्ड नहीं बल्कि चेक डाले जाते थे और फिर उसका पिन नंबर डालना पड़ता था. इसके बाद मशीन चेक का एकाउंट से मिलान करती थी और नकद राशि बाहर निकलती थी. समय के साथ तकनीक में बदलाव होते रहे और इसमें चुंबक चिप वाले मौजूदा डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स ने इसकी जगह ले ली. तब से यह आम जन के लिए नकद निकासी का लोकप्रिय साधन बन गया है.