पाकिस्तान के किलगिट-बलिस्तान क्षेत्र में स्थित काराकोरम की पहाड़ियों में बसे हुंजा समुदाय के लोग पूरी दुनिया में लंबी आयु के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा बेहतर स्वस्थ्य जीवन के तौर पर भी उनकी पहचान होती है।
जेआई रोडाल ने अपनी किताब ‘द हेल्दी हुंजास’ में इस बात का जिक्र किया है कि यहां के लोगों की औसत आयु 120 साल होती है। हालांकि, कुछ लोग 145 से 150 साल तक भी जीवित रहते हैं। इनकी लाइफस्टाइल की वजह से ये अपनी उम्र से कम नजर आते हैं। इस समुदाय की महिलाएं 65 साल की उम्र में भी बच्चे को जन्म देती हैं और पुरुष 90 साल में पिता बन सकते हैं।
समुद्रतल से करीब दो हजार फीट ऊपर काराकोरम की पहाड़ियों में बसी हुई हुंजा जाति की संख्या लगभग 87 हजार है। इनकी लाइफस्टाइल ही इनके लंबे समय तक जीवित रहने का मूल कारण है। ये लोग हर दिन करीब 19 किलोमीटर पैदल चलते हैं। पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर बसे होने के कारण पूरा इलाका प्रदूषण फ्री है और लोगों को काफी फ्रेश हवाएं मिलती है।
हुंजा जाति के लोग 12 महीने में 12 तरह का खाना खाते हैं। इसके अलावा वो वही खाना खाते हैं, जिसकी पैदावार वो खुद करते हैं। यहां के लोग प्रतिदिन अखरोट का सेवन करते हैं। इनका दूध, फल, मक्खन सब चीजें प्योर होती हैं। खेत में पेस्टिसाइड स्प्रे करना इस कम्युनिटी में बैन है।
ये खास तौर पर जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं खाते हैं। इनके अलावा आलू, मटर, गाजर, शलजम, दूध जैसी चीजें भी ये बहुत खाते हैं। ये कम्युनिटी मांस बहुत कम खाती है। किसी खास मौके पर ही मांस पकता है, लेकिन उसमें भी पीस बहुत छोटे-छोटे होते हैं। इतना ही नहीं इस समुदाय के लोग दो बार ही खाना खाते हैं। सुबह उठने के बाद यहां के लोग नाश्ता न करके सीधा दिन का खाना खाते हैं।
इस तरह की लाइफ स्टाइल की वजह से इन्हें कैंसर जैसी बीमारी कभी नहीं होती। इस समुदाय के ऊपर कई सारे रिसर्च भी हुए हैं। इसके अलावा इस कम्युनिटी पर कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं। इनमें से जेआई रोडाल की ‘द हेल्दी हुंजास’ और डॉ. जो क्लार्क की ‘द लोस्ट किंगडम ऑफ द हिमालयाज’ फेमस हैं। हुंजा वैली पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से टूरिस्ट आते हैं।