मंगेतर की मृत्यु के ढेड़ साल बाद इजराइली महिला ने दिया बच्चे को जन्म

Highlights गाजा युद्ध में मारे गए इजराइली कैप्टन की मंगेतर ने पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल तकनीक से दिया बच्चे को जन्म। हमास हमले के बाद इजराइल में मृत सैनिकों के स्पर्म संरक्षण की बढ़ी मांग। कोर्ट की अनुमति लेकर डॉ. हदास लेवी ने किया IVF प्रक्रिया के माध्यम से गर्भधारण।

नई दिल्ली : लंबे वक्त तक युद्ध की मार झेलने वाले इजराइल से सच्चे प्रेम की एक अनोखी कहानी सामने आई और इस कहानी ने हर किसी का दिल जीत लिया। यहां वॉर के समय गाजा में मारे गए एक इजराइली कैप्टन की मौत के तकरीबन डेढ़ वर्ष के पश्चात उनकी मंगेतर ने उनके बच्चे को जन्म दिया। दरअसल पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल (PSR) तकनीक का उपयोग करके महिला ने बच्चे को जन्म दिया। महिला ने इस बारें में जानकारी दी है कि, जबे उसे अपने मंगेतर की मौत की सूचना मिली उस समय पहले तो इस बात का भरोसा नहीं हुआ कि उसने अपना प्यार खो दिया है लेकिन इसके कुछ ही पल के पश्चात उन्होंने तय कर लिया था कि वह अपने मंगेतर के बच्चे को जन्म देगी।

जून में डॉ. हदास लेवी ने दिया बच्चे को जन्म : 

35 वर्ष की डॉ. हदास लेवी नामक इस महिला के मंगेतर कैप्टन नेतनेल सिल्बर्ग की 18 दिसंबर 2023 को गाजा में मृत्यु हो गई थी। हालांकि दोनों का विवाह नहीं हुआ था इसलिए सिल्बर्ग के बच्चे को जन्म देने के लिए लेवी को कानून से परमिशन लेना आवश्यक था। उन्होंने वर्ष 2024 में फैमिली कोर्ट में याचिका दर्ज करते हुए अपील की कि उन्हें उनके मंगेतर की ‘कॉमन-लॉ पार्टनर’ माना जाए एवं उनका शुक्राणु (स्पर्म) इस्तेमाल में लेने की मंजूरी मिले। कोर्ट ने लेवी की अपील को स्वीकार किया इसके पश्चात पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल की प्रक्रिया शुरु कर दी गई। इसकी सहायता से लेवी ने 11 जून 2025 को एक बेटे को जन्म दिया। लेवी ने इस बारें में कहा है कि, अब मैं सुबह उठकर खुशी महसूस कर सकती हूं। यह बच्चा दुश्मन को जवाब है, मैंने अपने परिवार की शाखा को टूटने से बचा लिया।

आखिर क्या है पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल प्रक्रिया : 

दरअसल इस प्रक्रिया में किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसके स्पर्म निकाल कर उपयोग किया जाता है। किसी मृत व्यक्ति की पार्टनर यदि उसके बच्चे को जन्म देने की चाह रखती है तो ऐसी परिस्थिती में इस तकनीक का उपयोग किया जाता है। यह एक आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) जिसमें IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की सहायता से महिला को गर्भवती कर दिया जाता है। डॉक्टर टेस्टिकल्स से सुई के माध्यम से स्पर्म वाला लिक्विड निकाल लेते है और उसमें मौजूद जीवीत स्पर्म को फ्रीज कर देते है। इस प्रक्रिया को फ्रीज-थ्रॉ कहते है और इसकी सहायता से वर्षों तक स्पर्म को सुरक्षित रखा जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में स्पर्म की क्षमता लगभग 39% कम हो जाती है।

हमास के अटैक के पश्चात इजराइल में तेजी से बड़ी मांग : 

रिपोर्ट्स में बताया गया है कि, इंसान मृत्यु के 24 से 36 घंटों तक उसका स्पर्म जीवित रहता है और हर घंटे उसकी क्षमता 2 % कम होती चली जाती है। इसी के चलते किसी व्यक्ति की मृत्यु के तुरंत बाद ही इस प्रक्रिया को पूरा करना होता है। इससे पूर्व कोर्ट की मंजूरी लेनी होती है लेकिन युद्ध के समय कुछ वक्त के लिए इस प्रक्रिया को आसान कर दिया गया था। जानकारी मिली है कि हमास के अटैक के पश्चात इजराइल में तेजी से इस प्रक्रिया की मांग बढ़ रही है। इजराइली स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 250 सैनिकों की मृत्यु के पश्चात उनके स्पर्म कलेक्ट किए गए है। इसमें से 193 केसों में उनके माता पिता के अनुरोध पर यह किया गया है। सैनिकों के साथ साथ 21 नागरिकों के भी स्पर्म इस प्रकिया के अंतर्गत सुरक्षित किए गए है।

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