मोहम्मद रफ़ी (Mohammed rafi) एक ऐसा नाम है जो भारतीय संगीत जगत में एक अमिट छाप छोड़ गया है। उनकी आवाज़ में एक ऐसा जादू था जिसने लोगों के दिलों पर राज किया। आज भी उनकी आवाज़ में एक ऐसी शक्ति है जो लोगों को उन्हें याद करने पर मजबूर कर देती है।
शुरूआती जीवन और उनका करियर:मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। उनके पिता का नाम हाजी अली मोहम्मद था और उनकी माता का नाम गुलशन-उन-निसा था। रफ़ी को बचपन से ही संगीत का शौक था और उन्होंने अपने बड़े भाई से संगीत की शिक्षा ली। रफ़ी ने अपने करियर की शुरुआत 1940 के दशक में की थी। उन्होंने अपने पहले गाने को पंजाबी फिल्म "गुल बलोच" के लिए रिकॉर्ड किया था। इस गाने के लिए उन्हें मात्र 40 रुपये मिले थे।
रोमांस और विवाद में नाम:रफ़ी के जीवन में कई विवाद और रोमांस भी थे। उन्होंने दो शादियाँ की थीं, पहला विवाह उन्होंने वर्ष 1940 के दशक में की थी और उन्होंने दूसरा विवाह साल 1950 के दशक में की थी। उनकी पहली पत्नी का नाम बशीरन था और दूसरी पत्नी का नाम बिलकिस था। वहीं रफ़ी के जीवन में कई रोमांटिक अफेयर्स भी थे, जिनमें से एक था उनकी सह-कलाकार नूरजहाँ के साथ। हालांकि, यह अफेयर कभी भी सार्वजनिक नहीं हो पाया था।
पुरस्कार: मोहम्मद रफ़ी ने अपने करियर में 5000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए। उन्होंने कई प्रसिद्ध अभिनेताओं के लिए गाया, जिनमें दिलीप कुमार, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन शामिल हैं। उनकी आवाज़ में एक जादू था जिसने लोगों के दिलों पर राज किया। रफ़ी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें उनके योगदान के लिए दिया गया था। रफ़ी ने अपने जीवन में कई पुरस्कार जीते और वह एक प्रसिद्ध गायक बन गए।
लता दीदी और रफ़ी साहब का आपसी विवाद:लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच विवाद का एक बड़ा कारण था उनके बीच की पेशेवर कॉम्पिटिशन और अहंकार का टकराव। यह विवाद वर्ष 1960 और 1970 के दशक में सबसे अधिक था, जब दोनों ही बॉलीवुड के शीर्ष गायकों में से एक थे।
लता मंगेशकर ने एक बार कहा था कि रफ़ी साहब ने उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया था, जब उन्होंने रफ़ी साहब को एक गाने के लिए कम पैसे देने की कोशिश की थी। इससे लता मंगेशकर को बहुत बुरा लगा था और उन्होंने रफ़ी साहब के साथ काम करना बंद कर दिया था। रफ़ी साहब ने भी एक बार कहा था कि लता मंगेशकर ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था और उन्हें कम आंख से देखा था। उन्होंने यह भी कहा था कि लता मंगेशकर ने उनके खिलाफ कई निर्माताओं और निर्देशकों को प्रभावित किया था।
इन दोनों के बीच की प्रतिद्वंद्विता ने बॉलीवुड में कई बार चर्चा की थी। लेकिन इसके बावजूद भी, दोनों ने एक दूसरे के प्रतिभा का सम्मान किया था और कई बार में उन्होंने एक दूसरे की तारीफ भी की थी। आखिरकार, यह कहा जा सकता है कि लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच की प्रतिद्वंद्विता ने बॉलीवुड में कई नए रिकॉर्ड बनाए और दोनों ने एक दूसरे को और भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।
रफ़ी साहब का दुनिया को अलविदा कहना:रफ़ी की मृत्यु 31 जुलाई 1980 को हुई थी। उनकी मृत्यु के पश्चात भी उनकी आवाज़ में एक जादू है जो लोगों को आकर्षित और दीवाना कर देता है। आज भी उनकी आवाज़ में लोगों के दिलों पर राज करती है।