वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो टूक कहा है कि ईरान किसी भी सूरत में परमाणु बम नहीं बना सकता और अमेरिका ऐसा नहीं होने देगा। ट्रंप के इस बयान के पश्चात संकेत मिले हैं कि मध्य पूर्व एक बार फिर तनाव और संघर्ष की चपेट में आ सकता है। ट्रंप ने इस बारें में बोला है कि अमेरिका मध्य पूर्व से अपने कर्मचारियों को निकाल रहा है क्योंकि यह क्षेत्र आने वाले वक़्त में खतरनाक बन जाएगा। उन्होंने इस बारें में ये भी बोला है कि, “हम देखेंगे आगे क्या होता है।”
इराकी दूतावास खाली करने की तैयारी :खबरों का कहना है कि अमेरिका ने अपने इराक स्थित दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही अमेरिकी सेना से जुड़े परिवारों को भी मिडिल ईस्ट छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम इलाके में बढ़ते सुरक्षा खतरों को देखते हुए उठाया गया है।
लेवल-4 चेतावनी और यात्रा निषेध :अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद, अपहरण, सशस्त्र संघर्ष और आंतरिक अस्थिरता के चलते मध्य पूर्व के लिए ‘लेवल-4’ यानी सबसे उच्च स्तर की यात्रा चेतावनी भी जारी कर दी है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस वक़्त इराक की यात्रा करना जीवन के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि यह नहीं बताया गया कि किस विशेष खतरे के कारण यह निर्णय भी लिया जा चुका है।
तेल की कीमतों में उछाल :अमेरिका के इस कदम के पश्चात इंटरनेशनल बाजारों में चिंता का माहौल बन गया। तेल के मूल्यों में 4 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज भी दर्ज की जा चुकी है। विश्लेषकों का कहना है कि मध्य पूर्व की अस्थिरता का असर सीधे तौर पर वैश्विक तेल आपूर्ति और बाजारों पर पड़ेगा।
बहरीन और कुवैत से भी निकासी की प्रक्रिया :अमेरिका ने बहरीन और कुवैत से भी उन लोगों को क्षेत्र छोड़ने का विकल्प दिया है जो स्वेच्छा से जाना चाहते हैं। यह कोई अनिवार्य आदेश नहीं बल्कि स्वैच्छिक निर्णय है। विदेश विभाग ने 11 जून को अपने वैश्विक ट्रैवल एडवाइजरी में इसे अपडेट करते हुए कहा कि गैर-आपातकालीन अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों को क्षेत्र से हटाया जा रहा है।
परमाणु समझौते की विफलता और इजरायल की तैयारी :यह सब उस समय हो रहा है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौता अधर में लटका हुआ है। ट्रंप प्रशासन की कोशिशों के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इजरायल ईरान की परमाणु साइटों पर संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
ट्रंप का स्पष्ट संदेश – “ईरान को परमाणु बम नहीं मिलेगा” :मीडिया से बातचीत के दौरान जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए कोई उपाय किया जा सकता है, तो उन्होंने दो टूक कहा – “ईरान को परमाणु बम नहीं मिल सकता, ये बहुत ही साफ बात है।” ट्रंप ने दोहराया कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन (इनरिचमेंट) नहीं रोकता तो अमेरिका के पास सैन्य विकल्प खुला रहेगा।
ईरान का जवाब – “हम भी पीछे नहीं हटेंगे” :ईरान के रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरज़ादेह ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है कि यदि ईरान पर हमला किया गया, तो वह अमेरिका के क्षेत्रीय ठिकानों को निशाना बनाएगा। वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने तीखे शब्दों में अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका को यह तय करने का कोई अधिकार नहीं कि ईरान को परमाणु कार्यक्रम चलाना चाहिए या नहीं।
खामेनेई का बयान – “अमेरिका हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता” :खामेनेई ने कहा कि अमेरिका का प्रस्ताव हमारे देश की स्वतंत्रता और आत्मसम्मान के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि तेहरान यूरेनियम संवर्धन कार्य को नहीं रोकेगा। यह हमारा अधिकार है और अमेरिका इसे दबा नहीं सकता।
परमाणु कार्यक्रम पर तीखा टकराव :2025 में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर अप्रत्यक्ष वार्ताएं जारी हैं, जो मुख्य रूप से ओमान और रोम में हो रही हैं। अमेरिका चाहता है कि ईरान यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह से रोके, जबकि ईरान इसका विरोध करते हुए पहले सभी आर्थिक प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि यूरेनियम संवर्धन परमाणु हथियार निर्माण की प्रमुख प्रक्रिया है।
मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी :अमेरिका की सैन्य मौजूदगी मध्य पूर्व के कई देशों में है, जैसे – इराक, कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात। ये सभी क्षेत्र तेल उत्पादन के लिए विश्वभर में जाने जाते हैं। अमेरिका इन क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने और अपनी सामरिक रणनीति के तहत सेना तैनात करता है।
ब्रिटेन की चेतावनी – सैन्य गतिविधि बढ़ सकती है :ब्रिटिश नौसेना ने भी चेतावनी दी है कि बढ़ते तनाव के चलते सैन्य गतिविधियों में इजाफा हो सकता है, जिससे खाड़ी, ओमान की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में जहाजों की आवाजाही पर असर पड़ सकता है। इन क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति ईरान की सीमाओं से सटी हुई है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
वार्ता का अगला दौर जल्द :बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का अगला दौर आयोजित किया जाएगा, जिसमें ईरान अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद अपनी नई शर्तें रख सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या दोनों देश किसी समझौते तक पहुँच पाते हैं या फिर मध्य पूर्व एक और बड़े संघर्ष की ओर बढ़ता है।