नई दिल्ली : बांग्लादेशी की पूर्व पीएम शेख हसीना को फांसी की सजा सुना दी गई है। पहले से ही ऐसा कहा जा रहा था कि उन्हें सख्त सजा दी जा सकती है। दरअसल मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पहले ही शेख हसीना की अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर रोक लगा चुकी है, ऐसे में शेख हसीना को ऐसी सजा सुनाकर बंगलादेश में उनके वापसी के रास्ते हमेशा के लिए बंद करने का प्रयास किया गया है। कोर्ट ने इस संदर्भ में कहा है कि सबूतों से ये क्रिस्टल क्लियर हो चुका है कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को भड़काया, फिर उनके साथ बर्बरता की, उनकी हत्या में शेख हसीना भी शामिल थी। आंदोलन को क्रूरता से कुचलने का प्रयास किया गया। वहीं बांग्लादेशी की पूर्व पीएम शेख हसीना ने ढाका यूनिवर्सिटी के VC को टेलीफोन करके क़त्ल करवाने की धमकियां दी थी। शेख हसीना को 1400 हत्याओं का दोषी ठहराया गया है। शेख हसीना के साथ गृहमंत्री को भी फांसी की सजा भी सुना दी गई है।
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार यानि 17 नवंबर 2025 को पूर्व पीएम शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल एवं पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के विरुद्ध मानवता के विरुद्ध अपराधों के 5 इल्जामों पर अपना निर्णय सुनाया है। दरअसल ये इल्जाम जुलाई-अगस्त वर्ष 2024 में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन से जुड़ी अशांति से शुरू हुआ। शेख हसीना और उनके सहयोगियों के विरुद्ध 8747 पन्नों के आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया गया, जिनमें पीड़ितों के बयान, जब्त किए सबूत एवं पीड़ितों की पूरी लिस्ट होने तक की बाटर कही गई है। इसी आधार पर ICT ने शेख हसीना के विरुद्ध फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सरकारी गवाह बनने के लिए पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को एक मामले में माफ़ी दी है, वहीं दूसरे केस में उन्हें 5 वर्षों की सजा सुना दी गई है। वहीं इस बारें में कोर्ट ने ये भी कहा है कि उन्होंने पूरा खुलासा किया है और कोर्ट के सामने में सच्चाई रख दी है।
कोर्ट का बयान - शेख हसीना ने घातक अटैक के आदेश दिए :
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICT) ने बांग्लादेश की अपदस्थ पीएम शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल एवं पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर जुलाई को लेकर अपना फैसला सुनाया है। इन तीनों के ऊपर विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध करने का इल्जाम लगाने वाले केस में निर्णय आया है। ICT के न्यायमूर्ति गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने निर्णय सुना दिया है। बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार, ICT ने किसी वर्तमान शासनाध्यक्ष के विरुद्ध निर्णय सुनाया है।
वहीं कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि शेख हसीना ने छात्रों के प्रदर्शन को कुचलने के निर्देश दिए थे। शेख हसीना के आदेश के पश्चात छात्र प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को बुरी तरह से कुचल दिया गया था। छात्रों के प्रदर्शन को क्रूरता से कुचला जा रहा है इसकी जानकारी शेख हसीना को पहले से ही थी। कोर्ट ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि शेख हसीना ने हेलीकॉप्टर से प्रदर्शनकारियों पर घातक हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी एवं उनके आदेश पर ही ड्रोन से प्रदर्शनकारियों पर कड़ी निगाह रखी गई। इसमें 1400 प्रदर्शनकारी, जिनमें महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल थे, उन्हें घातक हथियारों का उपयोग करके मौत के घाट उतार दिया गया। इसीलिए शेख हसीना, असदुज्जमां खान कमाल (तत्कालीन गृह मंत्री) और चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून (तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक) को इसके लिए जिम्मेदार कहा जा रहा है।
कोर्ट ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि शेख हसीना ने ढाका यूनिवर्सिटी के VC को टेलीफोन पर धमकाया था कि जिस तरह से रजाकारों को फांसी दे दी गई थी, उसी प्रकार से इन प्रदर्शनाकिरियों को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। कोर्ट ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टर से घातक बम गिराने तक के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने तो ये भी कहा है कि किस तरह से क्रूरता से प्रदर्शनकारियों को जान से मारा जा रहा है, उसकी सारी जानकारी शेख हसीना के पास पूर्ण रूप से थी। खुद शेख हसीना ही ऐसे अटैक का आदेश दे रही थी। शेख हसीना के कहने पर पुलिस ने हिंसक कार्रवाई की एवं 1400 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। वहीं ढाका यूनिवर्सिटी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बीच पुलिस ने घातक हथियारों का उपयोग किया और उनपर गोलीबारी की।
कोर्ट ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि अस्पतालों को शेख हसीना ने धमकी दी थी कि किसी भी जख्मी प्रदर्शनकारी का उपचार न किया जाए। आगे उन्होंने कहा है कि जिन डॉक्टर घायल प्रदर्शनकारियों का उपचार किया, उनका तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर कर दिया गया। कोर्ट ने इस बारें में आगे कहा है कि अस्पतालों की कार्रवाई की जा रही थी कि क्या किसी हॉस्पिटल में जख्मी प्रदर्शनकारी का उपचार तो नहीं हो रहा है। जिसे देखते हुए डॉक्टरों ने मरीजों का नाम बदलकर उनका उपचार करना शुरू किया। जो प्रदर्शनकारी मर रहे थे उनके शव को तुरंत जला दिया जा रहा था।
शेख हसीना को हुई सजा :
अभियोजकों ने कोर्ट में जानकारी दी थी कि शेख हसीना ने 14 जुलाई 2024 को गणभवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भड़काऊ टिप्पणी तक शुरू कर दी थी। इसके पश्चात, कानून प्रवर्तन अधिकारियों एवं सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर छात्रों और नागरिकों पर सुनियोजित अटैक भी किए। ICT इस बात की कार्रवाई कर रहा था कि क्या हसीना, कमाल एवं मामून ने इन हमलों को उकसाया, उनका समर्थन किया या उन्हें मंजूरी दी, और क्या वे दमन के दौरान किए गए कत्ल, हत्या की कोशिश एवं यातना को रोकने या दंडित करने में नाकाम रहे?
इतना ही नहीं शेख हसीना पर विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों एवं गोला-बारूद लके उपयोग करने का निर्देश देने तक का इल्जाम था, जिसे कोर्ट ने सही पाया है। कमाल एवं मामून ने कथित तौर पर अपनी कमान श्रृंखला के माध्यम से इन आदेशों को प्रसारित एवं लागू किया। अभियोजकों का इस बारें में कहना है कि यह आदेश, उकसावे एवं षड्यंत्र के माध्यम से मानवता के विरुद्ध अपराध है। इन तीनों पर 16 जुलाई 2024 को बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के सामने अबू सईद की गोली मारकर हत्या करने का इल्जाम लगाया गया था। अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि हत्या शीर्ष राजनीतिक एवं सुरक्षा नेतृत्व के आदेश पर की गई थी इसीलिए वे अटैक करने के आदेश देने, सहायता करने और साजिश रचने के लिए उत्तरदायी हैं।