नई दिल्ली : कोलंबिया में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अटैक होने की बात कही है, इसके पश्चात भाजपा ने पलटवार किया। पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस बारें में कहा है कि 140 वर्ष पुरानी पार्टी पर 100 वर्ष से एक ही परिवार का आधिपत्य था। इस बीच कांग्रेस के पतन एवं सत्ता नहीं मिलने के बदहवासी में अपनी आदत के अनुरूप विदेश की धरती से आपत्तिजनक बयान भी दे डाले है। ये कोई हैरानी वाली बात नहीं है। भारत विरोधी शक्तियों का जाने अनजाने में एक टूल बनताहुआ दिखाई दे रहा है।
उन्होंने इस बारें में कहा है कि राहुल गांधी की विदेशी यात्रा में भारत विरोधी बयान की एक लंबी सूची है। वहीं सितंबर 2017 से लेकर अक्टूबर 2025 के कोलंबिया में दिए भाषणों में उन्होंने ये सब कर दिया। एक भाषण लगभग 100 वर्ष पूर्व चांटम हाउस में महात्मा गांधी के द्वारा दिया गया था एवं दूसरा बयान 2023 में उसी चैंटम हाउस में राहुल गांधी के दिए भारत का विरोधी बयान को देखें। आज राहुल गांधी को भारत का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन दिखाई नहीं देता।
सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा भारत के तीव्र गति से आर्थिक प्रगति दिखाई नहीं देती है। खबरों का कहना है कि राहुल गांधी को चैंटम हाउस ब्रिटेन की हालिया रिपोर्ट एवं वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट नहीं देता। वहीं वर्ष 2024 में ग्लोबल टाइम्स ने भारत के इकोनॉमिक रिफॉर्म की तारीफ दिखाई नहीं देती। कांग्रेस में एक से एक बुद्धिमान लोग हैं, जो अपने अपने विषयों के जानकार है। उनको नहीं बुलाया जाता है और राहुल गांधी को उसमें क्यों आमंत्रित किया जाता है?
‘प्रतिपक्ष का नेता होना शूल जैसा’ :
इस बारें में उन्होंने कहा है कि पी चिदंबरम, जयराम रमेश, मनीष तिवारी जैसे अपने इलाके के विशेषज्ञ नहीं बुलाए जाते इनको आमंत्रित क्यों नहीं किया जाता? मेरा उन लोगों से प्रश्न है कि आपको उनमें क्या दिखाई देता है जो भाषण के लिए विदेशों में आने के लिए कहते है। वो जब बाहर जाते हैं तो कुछ लेकर आते हैं, जो उन्हें दिया जाता है वो एक खास विषय लेकर आते हैं। मैं देश से कहना चाहता हूं, ये भारत विरोधी शक्तियों के लंबरदार बन चुके हैं, उनसे खबरदार रहने की जरूरत है। अभी विदेश से आकर भाषा को लेकर बांटने का प्रयास एवं लड़वाने की कोशिश करेंगे। ये उनके बयान में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी का लोकतंत्र में प्रतिपक्ष का नेता होना शूल की तरह है।