भारत के विरुद्ध टैरिफ लगाकर ट्रंप ने मारी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी, भारत से बिगड़े रिश्ते

Highlights भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ा तनाव। पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने ट्रंप की निंदा की, कहा कि टैरिफ ने भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचाया। टैरिफ ने भारत को रूस से दूर और चीन के खिलाफ लाने की अमेरिकी कोशिशों को किया नाकाम।

नई दिल्ली : भारत के विरुद्ध  टैरिफ लगाने के पश्चात ट्रंप निरंतर अपने ही देश में निन्दाओं को झेल रहे है। अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने भी ट्रंप के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। अब उन्होंने इस बारें में बोला है कि राष्ट्रपति ट्रंप के भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध रहे, लेकिन अब वे संबंध खत्म होते जा रहे है। जॉन बोल्टन ने इस बारें में कि विश्वभर के नेताओं के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ गहरे संबंध भी उन्हें सबसे बुरे हालात से खुद को नहीं बचा पाएंगे।

'अब बीते दिनों की बात हुई ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती' : 

खबरों का कहना है कि एक ब्रिटिश मीडिया चैनल को दिए एक हालिया साक्षात्कार में जॉन बोल्टन ने इस बारें में कहा है कि 'मुझे लगता है कि ट्रंप अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नेताओं के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के चश्मे से देख रहे है। इसलिए यदि उनके व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे संबंध हैं, तो अमेरिका के रूस के साथ भी अच्छे रिश्ते है। लेकिन ऐसा नहीं होता है।' उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि 'ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यक्तिगत रूप से बहुत खास संबंध थे। लेकिन मुझे लगता है कि अब वह समाप्त हो चुके है एवं यह सभी के लिए एक सबक है। उदाहरण के लिए कीर स्टार्मर (ब्रिटिश पीएम) के लिए कि एक अच्छा व्यक्तिगत संबंध कभी-कभी सहायकमंद साबित हो सकता है, लेकिन यह आपको सबसे बुरे हालात से नहीं बचा सकता है।'

ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संबंध दशकों पीछे धकेला :

मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के बीच जॉन बोल्टन अमेरिका के NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) रहे थे और उन्हें ट्रंप का करीबी कहा जाता है। हालांकि अब बोल्टन खुलकर ट्रंप की निंदा कर रहे हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर एक साझा एक पोस्ट में बोल्टन ने इस बारें में कहा है कि 'ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका एवं भारत संबंधों को दशकों पीछे धकेला है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस और चीन के करीब चले गए हैं। बीजिंग ने खुद को अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के रूप में पेश कर दिया है।'  

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