चक्रवात ‘दित्वाह’ के बाद श्रीलंका में तबाही और भारत की व्यापक मानवीय सहायता

Highlights चक्रवात ‘दित्वाह’ से श्रीलंका में भारी तबाही, 600 से अधिक मौतें और सैकड़ों लापता। भारत ने संकट में निभाई पड़ोसी की भूमिका, 450 मिलियन डॉलर की बड़ी सहायता घोषित। ऑपरेशन सागर बंधु के तहत नौसेना, वायुसेना ने तेज़ राहत व बचाव कार्य किया।

कुछ दिन पूर्व आए भीषण चक्रवात "दित्वाह" ने श्रीलंका में भारी तबाही मचाई थी। तेज़ हवाओं और मूसलादार बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था। जानकारी के मुताबिक, इसके कारण 600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं, वहीं 15 से अधिक घायल हैं। इसके अलावा 175 से अधिक लोग लापता भी हैं। दिसम्बर के शुरूआती दिनों में आए इस चक्रवात ने श्रीलंका को तो प्रभावित किया ही, साथ ही दक्षिणी भारत के कुछ इलाकों में भी नुकसान पहुंचाया था।

तमिलनाडु में प्रभाव और भारत की त्वरित प्रतिक्रिया

तमिलनाडु में भारी बारिश से जुडी घटनाओं में 3 लोगों की मौत हुई थी और 140 से अधिक मवेशी मारे गए थे। इतना ही नहीं, लगभग 55,000 हेक्टेयर खेत और 230 झोपड़ियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं थी। ऐसी संकट भरी स्थिति में भारत एक बार फिर एक अच्छे पड़ोसी और सच्चे मित्र के रूप में सामने आया है। भारत ने श्रीलंका को 450 मिलियन डॉलर्स का एक बड़ा राहत पैकेज देने की घोषणा की है।

450 मिलियन डॉलर्स का राहत पैकेज और कूटनीतिक समर्थन

इस पैकेज में 350 मिलियन डॉलर्स का रियायती ऋण और 100 मिलियन डॉलर्स की सीधी अनुदान सहायता शामिल है। इस मदद का मुख्य उद्देश्य चक्रवात से तबाह हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में सहयोग करना है, जिसमें सड़क, रेलवे और पुल कनेक्टिविटी का पुनर्वास और बहाली, पूरी तरह से नष्ट और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों का निर्माण आदि शामिल है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में कोलंबो का दौरा कर श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की।

"ऑपरेशन सागर बंधु" और ज़मीनी स्तर पर राहत कार्य

इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं और एकजुटता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपने सभ्यतागत संबंधों के आधार पर श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा है। आर्थिक सहायता के अतिरिक्त भारत ने "ऑपरेशन सागर बंधु" के तहत भी तेज़ी से मानवीय मदद पहुंचाई है। भारतीय नौसेना ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर, INS विक्रांत और फ्रिगेट INS उदयगिरि की मदद से करीब 9 टन आपातकालीन सूखा राशन पहुंचाया था। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना के दो Mi-17 हेलीकॉप्टर एक सप्ताह से ज़्यादा समय के लिए श्रीलंका में तैनात किए गए थे। हेलीकॉप्टरों ने 8 टन राहत सामग्री पहुंचाई और रोज़ाना सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए काम किया था। भारतीय सेना के इंजीनियर टास्क फ़ोर्स (ETF) ने श्रीलंका के रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी (RDA) की मदद से क्षतिग्रस्त पुलियामपोक्कनई पुल और जाफ़ना में 120-फ़ीट दोहरी सड़क को ठीक करना शुरू कर दिया था, जिसके लिए पहियों वाले एक्सकेवेटर का इस्तेमाल किया गया। घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों की स्थापना और मेडिकल टीमों द्वारा लगातार सेवाएं भी दी गई थी। माना जा रहा है कि भारत की इस बड़े स्तर की सहायता से श्रीलंका न केवल मौजूदा संकट से उबरेगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था भी समय के साथ पटरी पर भी लौट आएगी।

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