मुंबई : महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव के एलान से कुछ ही घंटे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सियासी शतरंज की बिसात पर भी एक दाव खेला है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने एक साथ 21 महत्वपूर्ण निर्णयों पर मुहर लगा दी है। ये निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक हैं, बल्कि राजनीतिक नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इनसे सरकार ने जनता, किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, अल्पसंख्यकों एवं न्यायिक ढांचे, सभी वर्गों को साधने का प्रयास भी किया है, दरअसल राज्य चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महज 4 घंटे पूर्व हुई इस बैठक की टाइमिंग को बता देती है कि भारतीय जनता पार्टी एवं फडणवीस सरकार चुनावी मोड में आ गई है। यह फैसले महाविकास अघाड़ी के नेताओं शरद पवार, उद्धव ठाकरे के एक बड़े वोट बैंक को अपने ओर खींचने के प्रयास भी किए है।
कैबिनेट के सबसे अहम निर्णय में महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना एवं आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत उपचार की सूची में बड़ा सुधार भी देखने के लिए मिला है। यानी अब और अधिक बीमारियां इन योजनाओं में कवर हो जाएगी। यह महाराष्ट्र के हर वर्ग को सीधा लाभ पहुंचाने वाला फैसला आया है। साथ ही, आयुष्मान कार्ड बनाने एवं बांटने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स का मानदेय बढ़ाने का भी निर्णय भी कर लिया। यह कदम सीधे तौर पर स्वास्थ्य कर्मियों और मध्य वर्गीय परिवारों को राहत देने वाला कहा जा रहा है।
मछुआरों और किसानों को खास तोहफा :
मत्स्य व्यवसाय को कृषि के समान दर्जा मिल जाने के पश्चात अब सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए मछुआरों एवं मत्स्यपालकों को 4% ब्याज सब्सिडी देने की अनुमति प्रदान कर दी है। मतलब, जो लोग बैंक से अल्पकालिक कर्ज लेते हैं, उन्हें ब्याज पर सीधी छूट प्रदान की जाएगी। यह निर्णय कोकण एवं तटीय क्षेत्रों में भाजपा-शिंदे सरकार के लिए सियासी तौर पर लोकल सपोर्ट बेस मजबूत करने का कार्य करेगा।
न्याय व्यवस्था एवं शिक्षा पर होगा खास ध्यान :
खबरों की माने तो सरकार ने पुणे जिले के शिरूर एवं छत्रपति संभाजीनगर के पैठण में नए जिला एवं सत्र न्यायालय खोलने का निर्णय कर लिया है। इसके लिए नई न्यायिक पदों को अनुमति प्रदान की गई है। साथ ही, नागपुर के लक्ष्मीनारायण अभिनव तंत्रज्ञान संस्थान (LIT) को हर वर्ष 7 करोड़ रुपये का अनुदान अगले 5 सालों के लिए प्रदान किया जाने वाला है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने एवं युवाओं के लिए अवसर करने के रूप में देखा जा रहा है।
बुनियादी ढांचे में बड़ा निवेश :
इतना ही नहीं विरार से अलीबाग तक बनने वाली मल्टीपरपज ट्रांसपोर्ट रूट परियोजना के लिए सरकार ने हुडको से लिए जाने वाले कर्ज पर राज्य की गारंटी देने की अनुमति दी है। दरअसल ये प्रोजेक्ट मुंबई एवं रायगढ़ के मध्य एक नए कॉरिडोर के रूप में विकसित हो जाएगा, जिससे रोजगार, रियल एस्टेट और ट्रैफिक कनेक्टिविटी के मोर्चे पर बड़ा परिवर्तन आने की उम्मीद और भी बढ़ गई है।
धार्मिक और अल्पसंख्यक समुदाय को मजबूत बनाने का प्रयास किया :
अल्पसंख्यक विकास विभाग ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के कार्यक्रमों के लिए 94 करोड़ रुपये से अधिक के फंड को अनुमति दी है। नांदेड़, नागपुर एवं रायगढ़ सहित कई जिलों में होने वाले इन आयोजनों के माध्यम से सरकार ने सिख समुदाय को सीधा संदेश दे डाला है कि ‘आपकी आस्था हमारे एजेंडे में है।’
ग्राम पंचायत कर्मचारियों को मिलेगी राहत :
दरअसल ग्राम विकास विभाग ने ग्रामपंचायत कर्मचारियों के वेतन भुगतान नियमों में भी राहत प्रदान की है। कर वसूली की पुरानी शर्तों को आसान बनाकर कर्मचारियों को सीधा लाभ प्रदान किया जाएगा। वहीं, किसानों से जुड़ी जमीनों के अकृषिक कर और जमीन इस्तेमाल की अनुमति के नियमों में संशोधन कर सरकार ने कृषि सुधार की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा दिया है।
MAHA ARC बंद करने का निर्णय :
वित्त विभाग ने MAHA ARC Limited को बंद की अनुमति प्रदान कर दी है। यह कंपनी सितंबर 2022 में स्थान बनाया है, लेकिन RBI से लाइसेंस न मिलने की वजह से काम करने में परेशानी आ रही है। इसे बंद करने का निर्णय साफ करता है कि सरकार अब आर्थिक फ्रेमवर्क को केंद्र की नीतियों के साथ रीअलाइन करने का काम कर रही है। यानी फडणवीस अपने दिल्ली कनेक्शन का लाभ उठाकर आर्थिक निर्णयों में भी क्लीन-अप करना चाह रहे है।
इतना ही नहीं कैबिनेट ने ‘महाराष्ट्र जनविश्वास अध्यादेश 2025’ की अनुमति दे दी है, जो नागरिकों और शासन के मध्य विश्वास बढ़ाने पर ध्यान लगा रहे है। साथ ही, वहीं शहरी स्वास्थ्य आयुक्तालय की स्थापना को भी हरी झंडी भी दिखा दी गई है। इसका मकसद है, स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण एवं लोगों को स्थानीय स्तर पर उपचार की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य तय किया है।
क्या है सियासी लाभ ?
महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों ने घोषणा से पूर्व इन 21 निर्णय को ‘मास आउटरीच प्लान’ के तौर पर देख रहे है। फडणवीस ने एक साथ मछुआरे, कर्मचारी, धार्मिक समुदाय, किसान, गरीब एवं मध्यम वर्ग, सभी वर्गों को साधने का प्रयास भी किया है। भारतीय जनता पार्टी-शिंदे सरकार की मंशा साफ है कि लोकल बॉडी इलेक्शन को मिनी विधानसभा चुनाव की तरह ही लेना है। राजनीतिक विश्लेषकों का ये भी कहना है कि इन फैसलों से ग्रामीण क्षेत्रों में शिंदे-फडणवीस गठबंधन की पकड़ और भी बेहतर हो जाएगी, शहरी वोटर्स को स्वास्थ्य और विकास योजनाओं के साथ साधा जाने वाला है, एवं धार्मिक आयोजनों के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों को विश्वास में लिया जाने वाला है।