देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से धूल जाएंगे आपके सारे पाप आसानी से मिलेगा मोक्ष

Highlights जुलाई माह से होगी सावन की शुरुआत। देवशयनी एकादशी का व्रत बेहद खास है, पूजा विधि, मुहूर्त और पारण का समय। भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित है ये एकादशी।

धर्मों के अनुसार सबसे अहम् व्रत में से एक एकादशी कही जाती है, एकादशी के उपवास को हवन यज्ञ एवं वैदिक कर्मकांड से भी ज्यादा अच्छा कहा जाता है, एकादशी के दिन  भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन पूजन एवं व्रत करने का विधान है, ऐसा करने से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, इतना ही नहीं इस व्रत से लोगों के पाप भी कम होते है, इतना ही नहीं मोह माया  का बंधन भी खत्म हो जाता है, एवं मौत के पश्चात मोक्ष बहुत ही आसानी से मिल जाता है।  

हर महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है, इस वर्ष जुलाई माह से सावन महीने की शुरुआत हो रही है, ऐसे में जुलाई में आषाढ़ का महीना की देवशयनी एकादशी एवं सावन की कामिका एकादशी का व्रत आने वाला है, तो चलिए जानते है जुलाई माह में एकादशी कब कब होने वाली है। 

कब है एकादशी का व्रत? : 

6 जुलाई को है देवशयनी एकादशी, इस दिन आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष को देवशयनी एकादशी व्रत किया जाने वाला है, इसके पश्चात सभी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाने। इसके पश्चात चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी, देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते है, इसी वजह से इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी में गिना जाता है, इस दिन उपवास और पूजन करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

आषाढ़ शुक्ल एकादशी की शुरुआत 5 जुलाई 2025 की शाम 6 बजकर 58 मिनट पर आषाढ़ शुक्ल एकादशी का समापन 6 जुलाई 2025 की रात्रि 9 बजकर 14 मिनट पर 

कब है पूजा का सही मुहूर्त - प्रातः 7:13 दोहपर 12:26 पर है वहीं व्रत पारण का वक़्त सुबह 5 बजकर 29 मिनट से प्रातः 8 बजकर 16 मिनट पर ( 7 जुलाई 2025 को)

21 जुलाई को है कामिका एकादशी :

इस दिन से सावन के माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का उपवास रखा जाने वाला है, इस वर्ष कामिका एकादशी पर सावन सोमवार का महासंयोग बनता हुआ दिखाई दे रहा है, ऐसे में भगवान शिव एवं भगवान विष्णु दोनों की कृपा मिलती है, कामिका एकादशी सम्पूर्ण कार्यों को पूरा करने वाली कही जाती है, इस एकादशी के फल से सभी तरह के विकार पर जीत होती है।

सावन कृष्ण एकादशी तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पर, इस एकादशी की समाप्ति का समय 21 जुलाई को प्रातः 9 बजकर 38 मिनट पर होगा, पूजा के मुहूर्त के बारें में बात करने तो इसका समय प्रातः 9 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 45 मिनट पर होने वाला है,  व्रत के पारण का समय- प्रातः 5 बजकर 37 मिनट से लेकर प्रातः 7 बजकर 05 मिनट पर (22 जुलाई 2025) को। 

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