दुनिया में मंदी, भारत की चांदी..! विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हिंदुस्तान, महंगाई भी घटी

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दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत। भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा निवेश स्थान बना। पिछले 11 वित्त वर्षों के बीच भारत में 748.78 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया है।

नई दिल्ली : केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते देश के कारोबारी माहौल में सुधार हुआ है और इसका परिणाम ये हुआ कि पूंजी बाजार में देश के ही नहीं, विदेश के निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। आज का भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा निवेश स्थान बन चूका है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) गत वर्ष के मुकाबले 14 फीसद बढ़कर 81.04 बिलियन डॉलर हो गया है। जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ये 71.28 बिलियन डॉलर था। कांग्रेस सरकार के समय वित्त वर्ष 2013-14 में ये 36.05 बिलियन डॉलर था। मोदी सरकार बनने के बाद से पिछले 11 वित्त वर्षों 2014-25 के बीच भारत में 748.78 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया है, जो भारत पर बढ़ती विश्वसनीयता को दर्शाता है। यह कांग्रेस शासन के 11 वर्षों 2003-14 की तुलना में 143 प्रतिशत ज्यादा है। 2003-14 के बीच 308.38 बिलियन डॉलर का इनफ्लो हुआ था। 

किस सेक्टर में हुआ सबसे ज्यादा निवेश : भारत के सर्विस सेक्टर में सबसे अधिक विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में सर्विस सेक्टर 19 प्रतिशत के साथ एफडीआई इक्विटी का सबसे बड़ा हिस्सेदार बनकर सामने आया।  दूसरे स्थान पर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर 16 प्रतिशत विदेशी निवेश हुआ।  वही 8% विदेशी निवेश के साथ ट्रेडिंग तीसरे स्थान पर रहा।  सर्विसेज सेक्टर में एफडीआई पिछले वर्ष के 6.64 बिलियन डॉलर से 40.77 प्रतिशत बढ़कर 9.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। मेक इन इंडिया ने मचाया धमाल : भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए मेक इन इंडिया अभियान के बाद देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काफी तेजी आई है।  भारत विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का केंद्र बनता जा रहा है।  वित्त वर्ष 2024-25 में 19.04 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 16.12 बिलियन डॉलर से 18 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2024-25 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में महाराष्ट्र का हिस्सा सबसे अधिक 39 प्रतिशत रहा।  दूसरे स्थान पर कर्नाटक 13 प्रतिशत के साथ मौजूद रहा।  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुल निवेश का 12 प्रतिशत धन आया और वो तीसरे स्थान पर रहा।  निवेश करने वाले देशों में सिंगापुर 30 फीसद, फिर मॉरीशस 17 फीसद और अमेरिका 11 फीसद दर्ज किया गया। महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर :

अक्सर देश में महंगाई को लेकर चर्चा होती रहती है, सरकार किसी की भी हो, लेकिन महंगाई हमेशा से प्रमुख मुद्दा रहा है, जिसके पीछे आम जनता एकजुट होती है। किन्तु अब, महंगाई के मामले में आम लोगों को डबल राहत मिली है। खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई में भी नरमी दर्ज की गई है। 

थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर (WPI) अप्रैल 2025 में घटकर 13 महीने के निचले स्तर 0.85 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पहले मार्च 2025 में यह 2.05 प्रतिशत दर्ज की गई थी। ये आंकड़े वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए हैं।  आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में गिरावट आने के कारण थोक मूल्य पर आधारित महंगाई अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई है, जो बीते 13 महीना का निचला स्तर है। फल-सब्जियों की आवक में सुधार होने से थोक बाजार में हाल के महीनों में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट आई है। यही नहीं, खुदरा महंगाई दर अप्रैल में घटकर 3.16 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले 6 साल का सबसे निचला स्तर है। यह जुलाई 2019 के बाद खुदरा महंगाई का सबसे निचला स्तर है।  रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा महंगाई में पिछले 6 महीने से लगातार गिरावट बनी हुई है। उस समय यह 3.15 प्रतिशत थी। यानी खुदरा महंगाई मार्च में घटकर 68 महीने के निचले स्तर पर आ गई। मंत्रालय ने बताया है कि, मार्च 2025 में महंगाई दर में गिरावट की मुख्य वजह सब्जियों, फलों, दालों, मांस और मछली, अनाज और दूध की महंगाई में गिरावट आना है। 

देश के वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर कम होने का सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है। इससे आम जरूरत की चीज़ों के दाम घटने लगते हैं, जिससे आम जनता को काफी राहत मिलती है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है।

हालाँकि, देखा जाए तो इस समय पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है, अमेरिका टैरिफ वॉर में उलझा हुआ है, कोरोना एक बार फिर दुनिया को डराने लगा है, हमास- इजरायल युद्ध ने भी विश्व की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाला है, वहीं बीते 3 सालों से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की के चलते भी इस समय पूरी दुनिया मंदी और महंगाई से जूझ रही है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई पर लगाम लगा पाने में नाकाम हो रहे हैं, वहीं भारत इस स्थिति में भी संयमित और दृढ़ गति से आगे बढ़ रहा है। 

GST कलेक्शन ने फिर बनाया रिकॉर्ड : अप्रैल 2025 में 2.37 लाख करोड़ के साथ रिकॉर्ड GST कलेक्शन दर्ज किया गया। यह अब तक का सबसे अधिक टैक्स कलेक्शन है।   आंकड़ों के अनुसार, GST कलेक्शन अप्रैल, 2025 में 12.6 प्रतिशत बढ़ गया है।  इससे पहले अप्रैल 2024 में रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह दर्ज किया गया था। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल, 2025 में घरेलू लेनदेन से GST संग्रह 10.7 फीसद बढ़कर 1.9 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8 फीसद बढ़कर 46,913 करोड़ रुपए हो गया। अर्थव्यवस्था के मामले में चौथे स्थान पर पहुंचा हमारा देश :

2014 में जब भारत में सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ था, उस समय देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के मामले में 10वें स्थान पर था, और दुनिया की 5 सबसे कमज़ोर (Fragile) अर्थव्यवस्थाओं में हमारा नाम रखा जाता था। दुनिया उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था को इस नज़र से देखती थी कि ये कभी भी टूटकर बिखर सकता है, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आज 2025 में भारत पांच कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं से आगे बढ़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार हो चुका है। 2014 में ये आंकड़ा 2 ट्रिलियन डॉलर का था, जिसमे दोगुना इजाफा हुआ है।  अब भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाएं ही हैं। 

जर्मनी की अर्थव्यवस्था 4.92 ट्रिलियन है, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जल्द ही जर्मनी को भी पार कर जाएगा और दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर इकॉनमी बन जाएगा।

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