बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख बेगम खालिदा ज़िया का मंगलवार, 30 दिसंबर 2025 को निधन हो गया। 80 वर्ष की आयु में उन्होंने ढाका के एवरकेयर अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थीं और लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। खालिदा लम्बे वक़्त से किडनी सम्बंधित बिमारियों और डायबिटीज से पीड़ित थी।
बीते कुछ दिनों में उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई, जिसके बाद उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद बांग्लादेश की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई। BNP ने पार्टी स्तर पर सात दिनों के शोक की घोषणा की है। बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने खालिदा ज़िया के निधन पर गहरा दुख जताते हुए उनके परिवार, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के प्रति संवेदना व्यक्त की। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खालिदा ज़िया के निधन पर शोक जताया। खालिदा बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने तीन बार (1991–96, 1996 और 2001–06) देश का नेतृत्व किया।
भारत के साथ कैसे थे संबंध?
खालिदा के कार्यकाल के दौरान भारत और बांग्लादेश के संबंधों में कई उतार-चढ़ाव देखे गए। उनके दौर को भारत के प्रति सख्त और सतर्क माना जाता था खालिदा की पार्टी (BNP) की विचारधारा 'बांग्लादेशी राष्ट्रवाद' पर आधारित रही, जो शेख हसीना की पार्टी की तुलना में भारत के प्रति थोड़ी दूरी बनाए रखने के लिए जानी जाती थी। 2001 से 2006 के उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने आरोप लगाया था कि बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल ULFA जैसे उत्तर-पूर्व के विद्रोही समूहों द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, ज़िया सरकार ने हमेशा इन दावों का खंडन किया। जेल और बीमारी के दौर के बाद, पिछले कुछ वर्षों में उनके बयानों में भारत के प्रति नरमी देखी गई थी।
अब आगे क्या?
खालिदा ज़िया का निधन बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर गया है। अब उनकी पार्टी (BNP) की कमान उनके बेटे तारिक रहमान के हाथों में होगी, जो हाल ही में 17 साल का निर्वासन काटकर लंदन से बांग्लादेश लौटे हैं।