भारत में कार्यस्थल से जुड़ा सबसे बड़ा सुधार आज से लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने श्रम व्यवस्था को आधुनिक, पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने के लिए चार नई श्रम संहिताओं (Labour Codes) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। सरकार के अनुसार यह सिर्फ कानूनों का अद्यतन नहीं, बल्कि देश के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों के जीवन में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, जो उनके वेतन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान की गारंटी को नए स्तर तक लेकर जाता है।
नई श्रम संहिताएं वेतन, काम के घंटे, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगार की स्थिरता और महिलाओं के समान अधिकारों जैसे प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित हैं। इन सुधारों का उद्देश्य भारत की कार्यशक्ति को बेहतर कानूनी ढांचा देना और श्रमिकों के शोषण को पूरी तरह खत्म करना है।
न्यूनतम वेतन पर अब पूरी गारंटी :
नई श्रम संहिताओं के लागू होने के साथ ही देश भर के सभी वर्कर्स को समय पर न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया गया है। अब किसी भी नियोक्ता के लिए वेतन में देरी करना, रोकना या मनमानी करना पहले की तरह आसान नहीं होगा। सरकार का दावा है कि यह बदलाव उन करोड़ों कामगारों के लिए राहत लेकर आएगा, जो असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं और समय पर वेतन न मिलने के कारण आर्थिक असुरक्षा का सामना करते हैं।
हर युवा को नियुक्ति पत्र अनिवार्य – Job Security का नया आधार :
नई लेबर कोड के तहत अब हर नई भर्ती को जॉइन करते ही एक Appointment Letter देना अनिवार्य होगा। इससे नौकरी की शर्तें लिखित रूप में तय होंगी, विवादों की संभावना कम होगी और युवा कर्मचारियों को शुरुआत से ही कानूनी संरक्षण मिलेगा।
यह बदलाव खासतौर पर उन युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें पहले बिना किसी दस्तावेज के काम पर रख लिया जाता था और बाद में मुआवज़ा, छुट्टी या अन्य हक मांगने पर उन्हें मना कर दिया जाता था।
महिलाओं के लिए Equal Pay का अधिकार अब और मजबूत :
कार्यस्थल पर जेंडर भेदभाव को खत्म करने के लिए नए कोड में महिलाओं और पुरुषों को समान वेतन (Equal Pay) देने की स्पष्ट अनिवार्यता लागू की गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम कार्यस्थल पर समान अवसर और समान सम्मान सुनिश्चित करेगा।
Equal Pay का प्रावधान उन लाखों महिलाओं के लिए बड़ी जीत है जिन्हें समान काम के लिए कम वेतन दिए जाने की समस्या का सामना करना पड़ता था।
40 करोड़ कामगारों को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाया गया
नई संहिताओं के लागू होने के साथ ही इतिहास में पहली बार भारत की लगभग आधी कार्यशक्ति को एक साथ सोशल सिक्योरिटी कवरेज प्रदान किया गया है।
इसमें शामिल हैं—
पेंशन पीएफ ग्रेच्युटी स्वास्थ्य सुरक्षारोजगार पर दुर्घटना कवरेज
सरकार का कहना है कि यह दुनिया में सबसे बड़ी सोशल सिक्योरिटी कवरेज पहलों में से एक होगी। फिक्स टर्म एम्प्लॉईज़ को सिर्फ एक साल में ग्रेच्युटी का अधिकार पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए किसी कर्मचारी को कम से कम 5 साल की सेवा अनिवार्य थी, जिससे कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी कर्मचारियों को बड़ा नुकसान होता था।
नई संहिताओं में यह अवधि घटाकर सिर्फ 1 साल कर दी गई है। इससे लाखों कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को स्थायी कर्मचारियों जैसी वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। 40 साल से ऊपर के सभी वर्कर्स का वार्षिक फ्री हेल्थ चेक-अप
नई लेबर कोड में 40 साल से अधिक उम्र के हर वर्कर के लिए सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य किया गया है। सरकार का मानना है कि वर्कफोर्स की सेहत बेहतर होगी तो देश की उत्पादकता भी बढ़ेगी।
ओवरटाइम पर डबल वेतन :
अब किसी भी वर्कर से ओवरटाइम कराने पर उसे डबल वेतन देना अनिवार्य होगा। यह प्रावधान न केवल अतिरिक्त काम का सही मूल्य सुनिश्चित करता है बल्कि उन उद्योगों में शोषण को खत्म करेगा जहां लंबे समय तक काम कराकर कम वेतन दिया जाता था।
जोखिम भरे क्षेत्रों में 100% हेल्थ सिक्योरिटी
माइंस, केमिकल, कंस्ट्रक्शन और अन्य हाई-रिस्क क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को पूरी तरह से 100% स्वास्थ्य सुरक्षा दी जाएगी। इसमें दुर्घटना बीमा, इलाज का पूरा खर्च और कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल जैसे प्रावधान शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले योग्य लेबर स्टैंडर्ड :
सरकार का कहना है कि नई श्रम संहिताएं भारत को ग्लोबल लेबर स्टैंडर्ड के बराबर लाने की दिशा में एक बड़ी छलांग हैं। ये कानून कार्यस्थल को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और आधुनिक बनाने के लिए तैयार किए गए हैं। सरकार का दावा है कि यह सुधार केवल लेबर लॉ का अपडेट नहीं, बल्कि वर्कर जस्टिस और वर्कर डिग्निटी का नया अध्याय है।
नई लेबर कोड्स का उद्देश्य भारत में रोजगार, वेतन, स्वास्थ्य सुरक्षा और कामगारों के अधिकारों को नए युग में प्रवेश कराना है। देश के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों को मिलने वाली इन व्यापक गारंटियों के साथ सरकार उम्मीद करती है कि भारत का श्रम तंत्र अधिक मानवीय, सुरक्षित और उत्पादक बनेगा।