बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में दीपू चंद्र दास से जुड़ी बर्बर घटना के बाद अब चटगांव क्षेत्र से एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने अल्पसंख्यक समुदाय में दहशत पैदा कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, चटगांव के राउज़ान इलाके में कट्टरपंथियों ने दो हिन्दू परिवारों के घरों को निशाना बनाया। आरोप है कि हमलावरों ने घरों के दरवाज़े बाहर से बंद कर दिए, पेट्रोल डाला और आग लगा दी। उस समय घर के भीतर मौजूद आठ हिन्दुओं ने दीवार तोड़कर किसी तरह बाहर निकलकर अपनी जान बचाई।
इस घटना पर बांग्लादेश की चर्चित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “राउज़ान, चटगांव में बर्बर कट्टरपंथियों ने हिंदू घरों के दरवाज़े बाहर से बंद कर दिए, पेट्रोल डाला और आग लगा दी। घर जलकर राख हो गए। हिंदुओं ने बड़ी मुश्किल से अपने घरों से निकलकर अपनी जान बचाई। वे अब किस उम्मीद पर अपने घर फिर से बनाएँगे? क्या यूनुस हिंदू-विरोधी इन बर्बर कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा? क्या वह हिंदुओं को मुआवज़ा देगा? या फिर यह खबर विदेशों तक नहीं पहुँची, इसलिए वह इसे नज़रअंदाज़ कर देगा? क्या वह हिंदुओं को जलकर मरने के लिए छोड़ देगा?”
गौरतलब है कि बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के खिलाफ हिंसा कोई नई बात नहीं है। समय-समय पर देश के अलग-अलग हिस्सों से इस तरह की घटनाएँ सामने आती रही हैं, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया है। ऐसी घटनाओं के कारण स्थानीय हिन्दू समुदाय में असुरक्षा की भावना लगातार गहराती जा रही है।
मौजूदा हालात में स्थानीय हिन्दू समुदाय को अपने स्तर पर सकारात्मक और संगठित प्रयास करने की ज़रूरत है, ताकि वे अपनी सुरक्षा और अधिकारों के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठा सकें। वहीं, बांग्लादेशी नेताओं और प्रमुख राजनीतिक दलों को भी इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
इसके साथ ही, क्षेत्रीय स्थिरता और मानवाधिकारों के लिहाज़ से भारत की भूमिका भी अहम है। यदि हालात और ज़्यादा गंभीर होते हैं, तो भारत को इस मुद्दे में हस्तक्षेप कर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और शांति बहाली की दिशा में पहल करनी चाहिए।