देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने इस बारें में कहा है कि बीते 4 सालों के मध्य पूरी दुनिया में मची उथल-पुथल के बावजूद भारत ने ऊर्जा के मूल्यों को न सिर्फ स्थिर रखा बल्कि उन्हें कम भी बनाए हुए रखा। उनका इस बारें में कहा है कि यही कम ऊर्जा कीमतें देश की आर्थिक वृद्धि की मजबूती का एक बड़ा आधार हैं। उन्होंने इस बारें में कहा है कि इसी कारण से बीते 4-5 सालों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन भी किया।
क्यों अच्छी है भारतीय अर्थव्यवस्था? :
AIMA के एक कार्यक्रम में उन्होंने ये कहा है कि देश में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार हो चुका है। यह है कोरोना महामारी एवं क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence) और वित्तीय स्थिरता (Fiscal Stability) को बनाकर रखना है। हालांकि, इसे बहुत अधिक सराहा नहीं गया है।
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि भारत सरकार ने वादा किया था कि वित्तीय घाटा 9.2 फीसद से घटाकर 5 वर्ष में आधा किया जाने वाला है, और सरकार ने इसे पूरा कर दिया है। हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बारें में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में हम 4.4% के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल प्राप्त कर सकते है।
नागेश्वरन ने इस बारें में कहा है कि सबसे बड़ी बात यह है कि हम वित्तीय स्थिरता और अनुशासन के रास्ते पर चलते रहें। इससे व्यापक आर्थिक स्थिरता (Macroeconomic Stability) बनी रहती है, और यही आने वाले वर्षों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने की बुनियादी ताक़त भी प्रदान करती है।
दूसरी तरफ फिच रेटिंग्स ने जून तिमाही की मजबूत वृद्धि और घरेलू मांग के चलते चालू वित्त साल के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.9 फीसद कर दिया है। इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।
इतना ही नहीं सितंबर के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) में रेटिंग एजेंसी ने इस बारें में कहा है कि चालू वित्त वर्ष की मार्च और जून तिमाहियों के बीच आर्थिक गतिविधियों में तेजी से वृद्धि देखने के लिए मिली है, और वास्तविक GDP वृद्धि दर जनवरी-मार्च के 7.4 प्रतिशत से बढ़कर सालाना आधार पर 7.8 फीसद हो चुकी है। यह हमारे जून, जीईओ में 6.7 प्रतिशत के पूर्वानुमान से भी बहुत अधिक है।