यदि आप स्लीप पैरालिसिस से पाना चाहते है छुटकारा तो आज ही इन चीजों से बना लें दूरी!

Heighlights क्यों होता है स्लीप परालिसिस, क्या हैं इसके कारण। स्लीप परालिसिस से बचाव के लिए आप करें स्लीपिंग शेड्यूल में परिवर्तन। स्लीप परालिसिस के शिकार बिना चिकित्सक परामर्श के न लें कोई भी दवा।

बेकार की लाइफस्टाइल और खान-पान में कमी या लापरवाही की वजह से सेहत पर भी काफी गहरा असर पड़ जाता है, जिसकी वजह से लोगों में कई तरह की बीमारियां जन्म ले लेती है। फिर लोग लगाने लग जाते है डॉक्टर्स और मानसिक रोग अस्पतालों के चक्कर,  इतना ही नहीं इसकी वजह से स्लीपिंग पैटर्न पूरी तरह डिस्टर्ब होने लग जाता है और आप कई तरह के स्लीप डिसऑर्डर की चपेट में आ जाते है। स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) भी इन्हीं में से एक है इसमें व्यक्ति अपने शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता को पूरी तरह से खो ही देते है।  शोध में दावा किया गया है आपको जागने का अहसास तो होता है लेकिन असल में आप पूरी तरह नींद से बाहर निकल नहीं पाते। तो चलिए जानते है इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके।

स्लीप पैरालिसिस के जानिए लक्षण:

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्लीप पैरालिसिस एक अजीब और डरावना अहसास होने लग जाते है, इसमें अचानक नींद खुलने पर आप शरीर को हिलाने या बात करने में असमर्थ हो जाते है। नॉर्मली ऐसा तब होता है जब व्यक्ति आधी नींद में होता है यानी पूरी तरह से जाग नहीं पाता है। इतना ही नहीं इस स्थिति में, बॉडी का खुद पर कंट्रोल हासिल नहीं कर पाते और आपको ऐसा लगता है कि आप जाग चुके हैं, लेकिन हिल-डुल नहीं सकते।

स्लीप पैरालिसिस की वजह जानिए:  आधी नींद में जाग जाना तनाव के साथ बढ़ जाती है चिंता सोने की टाइमिंग है बेहद ख़राब दवाएं आधी नींद में जाग जाना: 

यह स्लीप पैरालिसिस का सबसे आम वजह है। जब व्यक्ति नींद से पूरी तरह से नहीं जाग नहीं पाते, तो उसका शरीर उस समय भी आराम की अवस्था में होता है, इससे उन्हें मूव करने या बात करने में कठिनाई होने लग जाती है।

तनाव के साथ बढ़ जाती है चिंता:

यदि आप भी दिनभर ऐसा कोई काम कर रहे है जिसमे आपके दिमाग पर अधिक प्रभाव पड़ रहा है, तो आपको थोड़े समय का ब्रेक ले लेना चाहिए, नहीं तो इसकी वजह से तनाव और चिंता नींद की गुणवत्ता को सीधे तौर पर प्रभावित करना शुरू कर देते है, जिससे स्लीप पैरालिसिस की संभावना और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

सोने की टाइमिंग है बेहद ख़राब:

लगातार बिजी लाइफ होने की वजह से  लोगों का स्लीपिंग शेड्यूल भी पूरी तरह से बिगड़ चुका है, जो स्लीप पैरालिसिस की वजह से हो सकता है इतना ही नहीं इसकी वजह से आपको कई तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च इन फार्मेसी एंड केमिस्ट्री (International Journal of Research in Pharmacy and Chemistry) की रिसर्च में पाया गया है कि , नींद एक गतिशील प्रक्रिया है। नींद एक निष्क्रिय घटना नहीं है, बल्कि शरीर के अंगों में विशिष्ट शारीरिक परिवर्तनों से जुड़ी एक सक्रिय प्रक्रिया है। वैज्ञानिक अध्ययन इलेक्ट्रो एन्सेफेलो ग्राम (Electro Encephalo Gram) (EEG) का उपयोग करके मस्तिष्क में विद्युत परिवर्तनों को मापकर नींद का अध्ययन करते हैं। आमतौर पर इलेक्ट्रोड को एक सममित पैटर्न में सिर पर रखा जाता है। इलेक्ट्रोड बहुत छोटे वोल्टेज को मापते हैं जो वैज्ञानिकों को लगता है कि मस्तिष्क की बाहरी परत (सेरेब्रल कॉर्टेक्स) में बहुत बड़ी संख्या में सिनेप्स (तंत्रिका कनेक्शन) में सिंक्रनाइज़ गतिविधि के कारण होता है। EEG डेटा इलाज के लिए जिम्मेदार है जिसे उनकी आवृत्तियों के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। ईईजी की लहरदार रेखाओं को मस्तिष्क तरंगें कहा जाता है। एक इलेक्ट्रो ऑकुलो ग्राम (ईओजी) 10 अपनी सॉकेट में घूमते समय वोल्टेज में परिवर्तन को मापने के लिए आंख के पास त्वचा पर इलेक्ट्रोड का उपयोग करता है। वैज्ञानिक इलेक्ट्रो मायोकार्डियल ग्राम (ईएमजी) का उपयोग करके सक्रिय मांसपेशियों से जुड़ी विद्युत गतिविधि को भी मापते हैं। इस तकनीक में, नींद के विभिन्न चरणों के दौरान नाटकीय परिवर्तनों को ओवरले करने के लिए त्वचा पर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं।

व्यवहार में, EEG, EOG, EMG को एक साथ रिकॉर्ड किया जाता है। इन घटनाओं का अध्ययन करने से नींद के दो बुनियादी चरणों या अवस्थाओं की पहचान हुई है: नॉन-रैपिड आई मोमेंट (NREM) और रैपिड आई मूवमेंट (REM)। नींद घटनाओं का एक अत्यधिक संगठित क्रम है जो प्रत्येक रात एक नियमित, चक्रीय कार्यक्रम का पालन करता है। इस प्रकार, EEG, EMG और EOG पैटर्न एक ही नींद की अवधि के दौरान कई बार पूर्वानुमानित तरीकों से बदलते हैं। एनआरईएम नींद को मस्तिष्क तरंग गतिविधि के आयाम और आवृत्ति के अनुसार चार चरणों में विभाजित किया गया है। सामान्य तौर पर, एनईआरएम नींद का ईईजी पैटर्न धीमा, अक्सर अधिक नियमित और आमतौर पर जागने की तुलना में अधिक वोल्टेज वाला होता है। जैसे-जैसे नींद गहरी होती जाती है, मस्तिष्क तरंगें धीमी होती जाती हैं और उनका आयाम अधिक होता जाता है।

 

Brain activity in sleeping mode report (EEG, EOG, EMG) International Journal of Research in Pharmacy and Chemistry

दवाएं:  यदि आप भी किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त है और अन्य तरह की दवाएं, जैसे कि एंटीडिप्रेसेंट्स की दवाई भी ले रहें है तो ये चीज भी आपके लिए स्लीप पैरालिसिस की वजह बन जाती है।

 सही समय पर सोने से मिल सकती है स्लीपिंग पैरालिसिस से राहत/ इमेज सोर्स (Social media and google) स्लीप पैरालिसिस से इस तरह से कर सकते है बचाव?:  स्लीपिंग शेड्यूल में जल्द से जल्द परिवर्तन स्ट्रेस से रहें कई कोष दूर नींद न आने पर करें ये काम स्क्रीन टाइम को जल्द से जल्द करें कम डॉक्टर से करें सम्पर्क बिना चिकत्सक परामर्श के न लें कोई भी दवा

स्लीपिंग शेड्यूल में जल्द से जल्द परिवर्तन: रोजाना एक ही समय पर सोने और जागने का प्रयास करें। जिससे आपके शरीर की इंटरनल क्लॉक को रेगुलर होने में बहुत ही ज्यादा सहायता मिल जाएगी।

स्ट्रेस से रहें कई कोष दूर:  योग, ध्यान, या गहरी सांस लेने वाले व्यायाम करने से तनाव और चिंता को कम करने में सहायता भी मिल जाएगी, इसकी वजह से आपको नींद भी बहुत अच्छी तरह से आना शुरू हो जाएगी जिन लोगों के दिमाग में स्ट्रेस होता है या फिर वह पूरे समय कुछ न कुछ सोचते रहते है तो उन्हें स्लीपिंग पैरालिसिस होने का डर भी बना हुआ रहता है।

नींद न आने पर क्या करें:  रात्रि होने से पहले कमरे को साफ-सुथरा कर लें, इससे दिमाग शांत रहेगा और नींद अच्छी आने लग जाएगी। जिसके साथ साथ कमरे में अंधेरा करके भी आप नींद की गुणवत्ता को बेहतर कर पाएंगे यदि ये सब करने के बाद भी आपको नींद नहीं आ रही है तो आप मन में उलटी गिनती या फिर अपनी आँखों को 1 मिनिट तक लगातार झपकाते रहें इससे भी तुरंत ही नींद आ जाती है।

स्क्रीन टाइम को जल्द से जल्द करें कम: यदि आपको बार-बार स्लीप पैरालिसिस हो जाता है, तो सोने से पूर्व कम से कम 1 घंटा पहले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूरी बनाकर रखें, क्यूंकि अधिकांश लोगों में  इस समस्या का जन्म होना ही स्क्रीन टाइमिंग और मोबाइल जैसी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल होना होता है।

डॉक्टर से करें सम्पर्क:  यदि आप भी बार-बार स्लीप पैरालिसिस का शिकार हो जाते है, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क जरूर करें। वे आपके लाइफस्टाइल को पास से जानकर स्लीप पैरालिसिस का सटीक वजह और इसे मैनेज करने के लिए सबसे अच्छा तरीका आपको बता सकते है।  

बिना चिकित्सक परामर्श के न लें कोई भी दवा: कई बार ऐसा देखने के लिए मिलता है कि लोगों को स्लीप पैरालिसिस की परेशानी से जूझना पड़ता है, और इस परेशानी से बचने के लिए आमजन बिना डॉक्टर की सलाह के स्लीपिंग पील्स या उससे जुड़ी दवाओं का सेवन करने लग जाते है, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की बड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ जाता है। इसलिए आप भी इस बात का ध्यान दें कि यदि आपके घर में किसी भी व्यक्ति को ये परेशानी से तो बिना चिकित्सक  परामर्श के कोई दवा न लें। 

डिस्क्लेमर:- आर्टिकल में दिए हुए स्लीप परलिसिस से जुड़े किसी भी तरह के उपाए को करने से पूर्व आप एक बार अपने चिकित्सक से परामर्श आवश्यक लें। 

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