एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत ने पहली बार आधिकारिक रूप से “मेजर पावर” यानी प्रमुख शक्ति का दर्जा हासिल कर लिया है। प्रतिष्ठित लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एशिया पावर इंडेक्स 2025 में भारत को 40.0 अंक मिले हैं, जिससे वह एशिया की तीन सबसे प्रभावशाली शक्तियों में शामिल हो गया है। अमेरिका, चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है — और यह पहली बार है जब भारत ने मेजर पावर की न्यूनतम सीमा (40 अंक) पार की है।
यह उपलब्धि ऐसे समय पर मिली है जब एशिया में शक्ति संतुलन लगातार बदल रहा है, चीन की सैन्य शक्ति और अमेरिका के घटते प्रभाव के बीच भारत का उभार वैश्विक राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे रहा है।
भारत की रिकॉर्ड उपलब्धि: तीसरे स्थान पर 40.0 अंक
लोवी इंस्टीट्यूट के अनुसार, किसी भी देश को “मेजर पावर” तब कहा जाता है जब उसका स्कोर 40 या उससे अधिक हो। इस पैमाने पर:
अमेरिका – 80.4 चीन – 73.7 भारत – 40.0इस प्रकार, भारत अब आधिकारिक रूप से क्षेत्रीय “बड़ी शक्ति” के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। पिछले कई वर्षों से भारत को “उभरती शक्ति” (Emerging Power) माना जाता था, लेकिन 2025 में उसने यह ऐतिहासिक छलांग लगाई है।
भारत के इस बढ़ते प्रभाव के पीछे कई कारण हैं—आर्थिक विस्तार, कूटनीतिक सक्रियता, वैश्विक साझेदारियाँ, ऊर्जा सुरक्षा, सैन्य आधुनिकीकरण और रणनीतिक स्वावलंबन।
कैसे बढ़ा भारत का प्रभाव? :
1. आर्थिक क्षमता का विस्तार
भारत अब दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर बढ़ रहा है।
तेज GDP वृद्धि विनिर्माण और डिजिटल इकोनॉमी का विस्तार विदेशी निवेश में लगातार वृद्धिइंडेक्स में भारत की Economic Capability को खास तौर पर मजबूत बताया गया है।
2. राजनयिक प्रभाव में मजबूती
भारत ने 2024–2025 के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अत्यधिक सक्रिय कूटनीति प्रदर्शित की।
जी20 की सफलता I2U2, QUAD जैसे समूहों में नेतृत्व इंडो-पैसिफिक में मजबूती खाड़ी देशों के साथ रणनीतिक साझेदारीभारत आज दुनिया की महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चर्चाओं का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।
3. रणनीतिक व सैन्य क्षमता में वृद्धि
भारत ने पिछले वर्षों में सैन्य आधुनिकीकरण को रफ्तार दी है:
अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियाँ नौसेना का विस्तारसीमा पर मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर
लोवी इंडेक्स में भारत की Future Resources और Defence Networks की रेटिंग बेहतर हुई है।
4. ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
रिपोर्ट के चर्चा में यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर को भारत की सामरिक क्षमता के बड़े प्रदर्शन के रूप में देखा गया।
मई 2025 किए गए इस ऑपरेशन ने भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा नीति और रक्षा क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रबल रूप से स्थापित किया।
इसने अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के बीच यह धारणा मजबूत की कि भारत अब केवल “प्रतिक्रिया देने वाला राष्ट्र” नहीं, बल्कि निर्णायक कदम उठाने वाली शक्ति बन चुका है।
अमेरिका का अब तक का सबसे कम स्कोर :
भले ही अमेरिका अभी भी शीर्ष पर है, लेकिन उसका स्कोर 80.4 अब तक का सबसे कम है।
आंतरिक राजनीति में ध्रुवीकरण एशिया में धीमी रणनीतिक सक्रियता इंडो-पैसिफिक में संसाधनों पर दबाव इसने भारत के उभार के लिए स्थान तैयार किया है।चीन का स्कोर 73.7 है लेकिन कई क्षेत्रों में गिरावट देखी गई है :
आर्थिक मंदी जनसंख्या संकट क्षेत्रीय देशों का बढ़ता अविश्वासबेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की गति धीमी
भारत और अन्य एशियाई देशों के अधिक स्वतंत्र कूटनीतिक फैसलों ने चीन के प्रभाव को सीमित किया है।
1. शक्ति संतुलन में India Factor निर्णायक
एशिया अब केवल अमेरिका–चीन के टकराव का मैदान नहीं है। भारत तीसरी निर्णायक शक्ति के रूप में उभर चुका है।
2. दक्षिण एशिया में नेतृत्व अपरिहार्य
नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव—इन देशों के लिए भारत अब एक स्थिर विकल्प बना है।
3. इंडो-पैसिफिक में बड़ा रणनीतिक खिलाड़ी
भारत की नौसेना क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को संतुलित करने में बड़ी भूमिका निभा रही है।
4. वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़
भारत ने विकासशील देशों के हितों को वैश्विक एजेंडा में शामिल कराने में अहम योगदान दिया है।
भारत के बढ़ते प्रभाव के बावजूद कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं :
निर्यातक क्षमता बढ़ानी होगी रक्षा बजट और सैन्य आधुनिकीकरण में गति चीन से सीमा तनाव तकनीकी निर्भरता कम करनाक्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा
यदि ये चुनौतियाँ प्रभावी ढंग से संभाली जाएँ, तो आने वाले वर्षों में भारत अमेरिका और चीन के बीच “संतुलनकारी शक्ति” से आगे बढ़कर “वैश्विक शक्ति” की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
एशिया पावर इंडेक्स 2025 में भारत का 40.0 अंक प्राप्त कर तीसरे स्थान पर पहुँचना एक ऐतिहासिक क्षण है। यह सिर्फ कूटनीतिक जीत नहीं, बल्कि आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक ताकत की सामूहिक उपलब्धि है। भारत अब एशिया में एक निर्णायक शक्ति है—एक ऐसी ताकत जो आने वाले वर्षों में पूरे क्षेत्र की दिशा बदल सकती है।