नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सुदर्शन चक्र' नामक एक नई रक्षा प्रणाली का एलान किया है, जो भारत की सुरक्षा के लिए मजबूत ढाल बनेगी। उन्होंने इस बारें में कहा है कि यह न केवल दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा करने वाली है, बल्कि जवाबी हमला भी करेगी। इसकी तुलना डोनाल्ड ट्रंप के 'गोल्डन डोम' से की जा रही है। लेकिन क्या यह वास्तव में वैसी ही होगी? और यह निर्णय भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है?
'सुदर्शन चक्र' भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली है, एक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली, जिसे DRDO और ISRO ने विकसित किया है। इसका नाम भगवान विष्णु के पौराणिक शस्त्र 'सुदर्शन चक्र' से प्रेरित है, जो दुश्मनों को परास्त करने का प्रतीक बन गया है। यह प्रणाली हवाई हमलों, मिसाइलों और ड्रोन हमलों से भारत की रक्षा के लिए डिज़ाइन की गई है।
विशेषताएँ:
रेंज: 2500 किमी तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता। ऊंचाई: 150 किमी तक हवा में मिसाइलों को रोकने की शक्ति। प्रौद्योगिकी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और लेजर-निर्देशित प्रणाली से सटीक निशाना। गति: 5 किमी/सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दागने की क्षमता। संरचना: ग्राउंड और स्पेस-आधारित हाइब्रिड सिस्टम, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल। लक्ष्य: बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों को नष्ट करना। तैनाती: 2026 तक पूर्ण संचालन, अनुमानित लागत 50,000 करोड़ रुपये।खबरों का कहना है कि 'गोल्डन डोम' अमेरिका की एक मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जिसे डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल वर्ष 2017-2021 में प्रस्तावित कर दिया गया था। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक ढाल के रूप में डिज़ाइन किया गया, जो दुश्मन के मिसाइल हमलों से अमेरिका की रक्षा करे। इसका नाम इसके सुनहरे गुंबद से प्रेरित है।
गोल्डन डोम की विशेषताएं :
रेंज: 3000 किमी तक मिसाइलों को नष्ट करने की ताकत। ऊंचाई: 200 किमी तक इंटरसेप्ट करने की क्षमता। प्रौद्योगिकी: लेजर और रडार सिस्टम, लेकिन AI का इस्तेमाल एकदम सीमित। गति: 4.5 किमी/सेकंड की गति। संरचना: पूर्ण रूप से ग्राउंड-बेस्ड सिस्टम, कई स्थानों पर तैनात। लक्ष्य: मुख्य रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों पर केंद्रित। तैनाती: 2023 में आंशिक रूप से लागू, लागत 70,000 करोड़ रुपये (लगभग 8 बिलियन डॉलर)।समानताएँ: दोनों प्रणालियाँ मिसाइल रक्षा के लिए डिज़ाइन की गई हैं एवं दुश्मन के हमलों को रोकने में सक्षम हैं। दोनों में उन्नत रडार और लेजर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
अंतर: सुदर्शन चक्र में AI और स्पेस-बेस्ड तकनीक का उपयोग इसे गोल्डन डोम से आधुनिक और अलग बनाने का काम करता है। गोल्डन डोम की रेंज और ऊँचाई अधिक है, लेकिन यह पुरानी तकनीक पर आधारित है। सुदर्शन चक्र की लागत कम है, जो इसे भारत के लिए किफायती बनाती है।
सुरक्षा: चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवादों को देखते हुए 'सुदर्शन चक्र' भारत की हवाई सुरक्षा को सशक्त करेगा, जो मिसाइल हमलों से मजबूत रक्षा प्रदान करेगा। आत्मनिर्भरता: यह प्रणाली भारत में विकसित हो रही है, जो डीआरडीओ और इसरो की तकनीकी ताकत को दर्शाती है, इससे आयात पर निर्भरता घटेगी। क्षेत्रीय शक्ति: सफल होने पर भारत एशिया में रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बन सकता है, जिससे वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति मजबूत होगी। चुनौतियाँ: ऊँची लागत और तकनीकी जटिलता इसके कार्यान्वयन में बाधा बन सकती है। साथ ही, शत्रु देश नई रणनीतियाँ विकसित कर सकते हैं।