खत्म हो गया महाराष्ट्र सरकार के पास 'लाडकी बहिन योजना' का फंड, अब आगे क्या?

Highlights योजना पर सालाना 35,000 करोड़ रुपये खर्च, अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर बजट संकट। 21-60 वर्ष की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर सशक्तिकरण बनाने की योजना। लाभार्थियों की पारदर्शी जाँच की योजना ताकि दुरुपयोग रोका जा सके।

मुंबई : महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव से पूर्व सरकार की महत्वाकांक्षी 'माझी लाडकी बहिन योजना' को लेकर राजनीति की आग भी भड़क उठी है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इस योजना के कारण से राज्य के अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर बजट की जोरदार मार पड़ रही है। उन्होंने इस बारें में बोला है कि सरकार का तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये सालाना इसी योजना में जा रहा है, जिससे बाकी योजनाओं के लिए संसाधन और भी ज्यादा कम हो रहे है।

अन्य योजनाओं पर बजट का मंडरा रहा संकट :

छगन भुजबल ने इस बारें में कहा है कि, "मैं इस बात से सहमत हूं कि माझी लाडकी बहिन योजना में सरकार का 35 हजार करोड़ से अधिक खर्च होने लगा है। इस कारण से दीवाली में राशन आनंद योजना जैसी अन्य योजनाओं में परेशानी भी आ रही है।" उन्होंने यह भी बोला है कि इस वर्ष भारी बारिश और बाढ़ की वजह से किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे सरकार पर राहत कार्यों का अतिरिक्त बोझ और भी ज्यादा बढ़ गया है। किसानों को गेंहू, चावल एवं नगद सहायता देने की प्रक्रिया भी अब भी आगे बढ़ रही है।

सरकार के सामने दोहरी चुनौती :

स्टेट गवर्नमेंट एक ओर महिलाओं के सशक्तिकरण के लक्ष्य को लेकर 'माझी लाडकी बहिन योजना' का भी संचालन कर रही है, खबरों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों एवं गरीबों की भी मदद करना है। इस दोहरे दबाव के मध्य वित्तीय प्रबंधन सरकार के लिए चुनौती बन चुका है। विशेषज्ञों ने इस बारें में कहा है कि इस तरह की योजनाएं भले ही राजनीतिक रूप से लाभदायक हों, लेकिन दीर्घकाल में वित्तीय संतुलन में बिगाड़ कर सकती है।

जानिए माझी लाडकी बहिन योजना? :

‘माझी लाडकी बहिन योजना’ का उद्देश्य इस राज्य कि 21 से 60 वर्ष की महिलाओं को आर्थिक रूप को सुविधा प्रधान करके सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। हालांकि हाल ही में बड़ी तादाद में अपात्र लाभार्थियों के नाम भी सामने आ चुके है, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठने लगे है। राज्य सरकार का इस बारें में कहना है कि सभी लाभार्थियों की जांच पारदर्शी तरीके से की जाने वाली है ताकि भविष्य में दुरुपयोग की संभावना कम हो पाएगी।

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