Gen-Z आंदोलन की वजह से खतरें में पड़ी नेपाल की अर्थव्यवस्था, 10,000 से ज्यादा लोगों की गई नौकरी

Highlights नेपाल हिंसा में अर्थव्यवस्था को हुआ भारी नुकसान। 2026 चुनावों से पहले 30 अरब का अतिरिक्त बोझ, निवेशकों का भरोसा कमजोर। दरबार स्क्वायर, पोखरा जैसे पर्यटन स्थल खाली, होटल-रेस्तरां व्यवसाय को 25 अरब का नुकसान।

नई दिल्ली : नेपाल में पिछले दिनों हुए विरोध प्रदर्शन ने देश की आर्थिक स्थिति को हिलाकर रख दिया है। इतना ही नहीं Gen-Z आंदोलन की वजह से हुई हिंसा, आगजनी एवं तोड़फोड़ की वजह से अरबों की हानि हुई थी। तकरीबन 10 हजार लोग बेरोजगार हो चुके है एवं रबार स्क्वायर, पोखरा, भैरहवा एवं चितवन जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल खाली पड़े हुए है। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वालों के आंकड़े भी तेजी से कम हुए है। 

इतना ही नहीं नेपाल का मौजूदा समय में आमतौर पर पर्यटक सीजन का ही होता है, जहां बड़ी तादाद में लोग घूमने के लिए आते है। बड़ी संख्या में प्रवासी इस बीच अपने देश लौटते हैं और स्थानीय व्यापार को और भी मजबूती देने का काम करते है। इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को मजबूती देखने के लिए मिली है। हालांकि, इस बार ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहे है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जेन-जी आंदोलन को कहा जा रहा है। 

अर्थव्यवस्था को लगा अरबों का झटका : 

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट्स माने तो आंदोलन से नेपाल की अर्थव्यवस्था को कम से कम 3 लाख करोड़ रूपए की हानि हुई है, जो देश की डेढ़ वर्ष की बजट राशि के बराबर ही है। सरकारी और निजी बुनियादी ढांचे को भी भारी हानि हुई है। अर्थशास्त्रियों का इस बारें में कहना है कि इस वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 1% से नीचे जा सकती है। साथ ही, इतना ही आने वाले चुनावों के चलते सरकार पर 30 अरब रुपये का अतिरिक्त बोझ भी पड़ सकता है।

उद्योग जगत पर पड़ा गहरा असर : 

खबरों का कहना है कि नेपाल के बड़े व्यवसायिक समूह एवं करदाता भी इस संकट की चपेट में आ चुके है। भट-भटेनी सुपरमार्केट एवं चौधरी समूह को करोड़ों की हानि हुई है। एनसेल टेलीकॉम कंपनी को भी भारी नुकसान हुआ है। होटल एसोसिएशन नेपाल कजे मुताबिक होटल व्यवसाय को लगभग 25 अरब रुपये की हानि हुई है, जबकि ऑटो सेक्टर ने तकरीबन 15 अरब रुपये की हानि का अनुमान लगाया है। हालांकि कई उद्यमियों ने पुनर्निर्माण की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है। भट-भटेनी ने अपने संदेश में लिखा कि वे एवं मजबूत होकर वापसी करने वाले है, वहीं चौधरी समूह के निदेशक निर्वाण चौधरी ने भी पुनर्निर्माण और बेहतर भविष्य की भी बात बोली है।

पर्यटन उद्योग में आई कमी : 

रिपोर्ट्स की माने तो नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन प्रमुख आधार माना जाता है। वहीं त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में बड़ी इनकम होती है, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलटे हैं। होटल, रेस्टोरेंट, एयरलाइंस एवं ट्रैवल एजेंसियां खाली हैं। दरबार स्क्वायर एवं पोखरा जैसे स्थलों पर सामान्य से ज्यादा सन्नाटा है। पर्यटकों की संख्या में गिरावट ने लाखों लोगों की आजीविका पर सीधा प्रभाव डाल चुकी है। होटल व्यवसायी योगेंद्र शाक्य के मुताबिक असली चुनौती आने वाले माह में राजनीतिक स्थिरता बहाल करना जरुरी है। यदि हालात नहीं सुधरे तो पर्यटन उद्योग लंबे वक़्त तक प्रभावित रहने वाला है।

राजनीतिक स्थिरता और भविष्य :

इतना ही नहीं मार्च 2026 में होने वाले चुनावों से पूर्व नेपाल की सरकार को आर्थिक दबाव झेलना पड़ सकता है। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से निवेशकों का भरोसा भी कमजोर हुआ है। हालांकि नए पीएम की नियुक्ति से सुधार का अनुमान लगाया जा रहा है। उद्योग जगत का मानना है कि यदि राजनीतिक स्थिरता वापस आई तो नेपाल पुनर्निर्माण कर पाएगा एवं  अर्थव्यवस्था फिर से रफ्तार पकड़ लेगा।

 

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