पीएम मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं पर दी श्रद्धांजलि

Highlights पीएम मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि। सरदार पटेल की नीतियों से भारत की एकता और अखंडता संभव हुई: पीएम मोदी। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लगाए पटेल की विरासत की उपेक्षा के आरोप।

नई दिल्ली : देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात का दौरे पर है। उन्होंने केवडिया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी। यह कार्यक्रम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संकल्प के नाम पर समर्पित किया गया है।

इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा है कि “सरदार पटेल की 150वीं जयंती का यह ऐतिहासिक एवं खास मौका है, एकता नगर की यह दिव्य सुबह, यह विहंगम दृश्य - सरदार साहब के चरणों में हमारी उपस्थिति, आज हम सब एक महान क्षण के साक्षी बन चुके है। देशभर में हो रही ‘एकता परेड – रन फॉर यूनिटी’ में कोटि-कोटि भारतीयों का उत्साह देखने के लिए है, उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि हम नए भारत की संकल्प शक्ति को साथ-साथ महसूस कर रहे हैं। अभी यहां जो कार्यक्रम हुए  एवं कल सांय जो अद्भुत प्रस्तुति हुई, उनमें अतीत की परंपरा भी रही है वर्तमान का श्रम और शौर्य था, एवं भविष्य की सिद्धि की झलक देखने के लिए मिली। सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्मृति सिक्का और विशेष डाक टिकट भी जारी कर दिया गया।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा है कि “मैं देश के सभी 140 करोड़ नागरिकों को सरदार साहब की जयंती एवं राष्ट्रीय एकता दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ। सरदार पटेल  का इस बारें में मानना था कि इतिहास लिखने में समय नहीं गंवाना चाहिए, बल्कि हमें इतिहास को बेहतर बनाने के लिए मेहनत करना चाहिए। उनकी यह भावना उनके जीवन की गाथा में आज भी साफ़ तौर पर दिखाई देती है। पीएम मोदी ने आगे कहा है कि उन्होंने जो नीतियां बनाईं, जो निर्णय लिए - उन्होंने नया इतिहास रच दिया, नया इतिहास बनाया। आज़ादी के पश्चात 550 से ज्यादा रियासतों को एक साथ जोड़ने के उस असंभव कार्य को उन्होंने संभव करके दिखा दिया है।”

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, “एक भारत, श्रेष्ठ भारत का विचार उनके लिए सर्वोपरी था। इसलिए आज सरदार पटेल की जयंती का दिन स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय एकता का महापर्व बन चुका है। जिस तरह 140 करोड़ देशवासी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते है, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को मनाते है, वैसे ही एकता दिवस का महत्व हमारे लिए प्रेरणा का पल है, गर्व का पल है। ठीक गणतंत्र दिवस की तरह ही इस परेड में BSF और सीआरपीएफ जैसे पैरामिलिट्री फोर्स और अलग-अलग स्टेट पुलिस फोर्स की टुकड़ियां शामिल हैं।

वह आगे कहते है कि आज करोड़ों लोगों ने एकता की शपथ ग्रहण की है। हमने संकल्प लिया है कि हम ऐसे कार्यों को और भी बढ़ाना है जो देश की एकता को मजबूती प्रदान करें। यहां एकतानगर में ही एकता मॉल, एकता गार्डन - एकता के सूत्र को सशक्त करते दिखाई देते हैं।

वह हर बात जो कि देश की एकता को भंग या कमजोर करती है, उससे देश के हर वासी को दूर रहना चाहिए। यह हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है, यही सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि है। यही आज देश की आवश्यकता है, और यही आज एकता दिवस का हर भारतीय के लिए संदेश भी है और संकल्प भी।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि सरदार साहब ने देश की संप्रभुता को सबसे ऊपर रख दिया है। लेकिन दुर्भाग्य से सरदार साहब के देहांत के बाद  के सालों में देश की संप्रभुता को लेकर तब की सरकारों में उतनी गंभीरता नहीं बची। एक ओर कश्मीर में हुई गलतियां, दूसरी ओर पूर्वोत्तर में पैदा हुई समस्याएं और देशभर में हर जगह पनपा नक्सलवाद, माओवादी आतंक - ये देश के लिए सीधी चुनौतियां रही।” लेकिन उस दौर की सरकारों ने सरदार साहब की नीतियों पर चलने के बजाय रीढ़विहीन रवैये को अपना लिया। इसका परिणाम देश ने हिंसा एवं रक्तपात के रूप में भी झेला है। उन्होंने इस बारें में आगे कहा है कि जब तक देश नक्सलवाद, माओवादी आतंक एवं इस तरह के आतंक से पूरी तरह मुक्त नहीं होता, हम रुकेंगे, चैन से नहीं  बैठने वाले।

पुरानी सरकारें इस बड़ी परेशानी पर आंखें बंद करके थी - वोट बैंक की राजनीति की वजह से राष्ट्र की सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डाल दिया। अब पहली बार देश ने इस बड़े खतरे के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ने का ठान लिया। लाल किले से मैंने डेमोग्राफ़ी मिशन की घोषणा की है। लेकिन जब हम इस विषय को गंभीरता से उठने लगे, तब कुछ लोग देशहित से अधिक अपने स्वार्थ को ऊपर रख रहे हैं। ये लोग घुसपैठियों को अधिकार दिलाने के लिए राजनीतिक लड़ाई को लड़ रहे है; इनको लगता है कि देश एक बार टूटा तो हमेशा ही टूटता रहेगा - इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि सच्चाई यह है कि यदि देश की सुरक्षा एवं पहचान खतरे में आ गई, तो हर व्यक्ति खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए हमें आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर फिर से संकल्प लेना है कि हम भारत में रह रहे हर घुसपैठिये को पूरी तरह से बाहर निकालना होगा।

जब हम लोकतंत्र में राष्ट्रीय एकता के बारें में बात करते है, तो इसका एक अर्थ यह भी है कि हम विचारों की विविधता का सम्मान करें। मतभेद को स्वीकार किया हैं, मनभेद नहीं होना चाहिए। लेकिन विडंबना यह है कि आज़ादी के पश्चात जिन लोगों को देश ने दायित्व सौंपा, उन्हीं लोगों ने ‘द पीपल की स्पिरिट’ का क़त्ल करने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी सोच एवं विचारधारा से दूर प्रत्येक व्यक्ति और संगठन का तिरस्कार किया, उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया। देश में राजनीतिक छुआछूत को एक संस्कृति बनाया।

कांग्रेस पर पीएम मोदी ने साधा निशाना : 

पीएम मोदी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि हमें याद है कांग्रेस सरकारों में सरदार पटेल एवं उनकी विरासत के साथ क्या कुछ नहीं हुआ। लोगों ने बाबा साहब आंबेडकर के साथ भी क्या किया, वह आगे कहते है कि इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण हो गए है - संघ पर भी कैसे-कैसे अटैक एवं षड्यंत्र रचे गए है। एक पार्टी, एक परिवार की शासित सोच ने देश के बाहर हर व्यक्ति एवं हर विचार को 'अछूत' बनाने का भरसक प्रयास किया। पीएम मोदी ने इस बारें में आगे कहा है कि हमें गर्व है कि हमने देश को बांटने वाली इस राजनीति और छुआछूत को पूरी तरह से खत्म कर दिया। हमने सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाया; हमने बाबा साहेब के पंच तीर्थ बनवाए - दिल्ली में बाबा साहेब का घर एवं उनका महापरिनिर्वाण स्थल कांग्रेस के दौर में उपेक्षा की वजह से दुर्दशा का शिकार हो गया था, जिसे हमने ऐतिहासिक मेमोरियल में परिवर्तित कर दिया था।

कांग्रेस के वक़्त में केवल एक पूर्व पीएम के नाम पर म्यूज़ियम का नाम रखा गया था, हमने राजनीति के मतभेदों से ऊपर उठकर देश के विविध नायकों के योगदान को समर्पित प्रधानमंत्री म्यूज़ियम का निर्माण किया है। हमने कर्पूरी ठाकुर जैसे जननायक को भारत रत्न दिया; प्रणव दा को भारत रत्न देकर उनके योगदान का भी सम्मान किया; एवं विरोधी विचारधारा के मतांतर नेताओं को भी पद्म पुरस्कारों से भी नवाजा गया। इन फैसलों के पीछे यही विचार था कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देश के लिए एकजुट होने की भावना को मजबूत कर दिया जाए।

पीएम मोदी ने किया ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र : 

पीएम मोदी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के पश्चात विदेशों में गए हमारे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भी हमने एकता की इस झलक को देखा है। इतना ही नहीं राजनीतिक हितों के लिए देश की एकता पर प्रहार की सोच गुलामी की मानसिकता का भाग रहा है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस ने अंग्रेजों से केवल पार्टी और सत्ता न कर सकी, बल्कि गुलामी की मानसिकता भी आत्मसात कर दी थी।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए  शहीद हुए जवानों को भी गुलामी मानसिकता की वजह से सही सम्मान नहीं मिला था। हमने नेशनल वॉर मेमोरियल की स्थापना कर उन शहीदों की स्मृतियों को अमर बना दिया। आंतरिक सुरक्षा के इलाके में भी कमी थी - 36,000 से ज्यादा जवानों की शहादत हुई है,  उन्होंने ये भी कहा है कि आज सरदार पटेल के चरणों में खड़े होकर उन सभी लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने पुलिस और सुरक्षा सेवाओं में रहकर देश की सेवा की है और आज भी कर रहे हैं। मैं उनका गौरव करता हूं और उनका सम्मान करता हूं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ये भी कहा है कि आज देश गुलामी की मानसिकता के हर निशान को मिटा रहा है। देश के लिए अपनी जान का बलिदान देने वालो को सम्मान देकर हम 'राष्ट्र प्रथम' की भावना को मजबूत बना रहे हैं। 

पीएम मोदी बोले- आज भी सरदार पटेल की सोच प्रासंगिक : 

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ये भी कहा है कि पटेल जी भारत के एकीकरण के मुख्य प्रेरक रहे, जिन्होंने देश के शुरुआती दौर में उसकी तकदीर को आकार प्रदान किया, इतना ही नहीं पीएम मोदी ने सरदार पटेल की राष्ट्रीय अखंडता, अच्छे शासन एवं जनता की सेवा के प्रति उनकी अटूट लगन को पीढ़ियों के लिए प्रेरणा कहा। साथ ही, उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम सब मिलकर उनकी एकजुट, मजबूत एवं  आत्मनिर्भर भारत की सोच को आगे बढ़ाएं। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए ये भी कहा है कि पटेल जी की सोच और उनकी अहर्निश सेवा भावना आज भी देश के विकास के लिए मिसाल बन चुके है। हम सबको उनकी तरह देश की एकता और विकास के लिए काम करना चाहिए।

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