संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा विपक्ष पराजय की निराशा से बाहर निकले

Highlights संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, 19 दिसंबर तक चलेगा, कुल 15-15 बैठकें प्रस्तावित। पीएम मोदी ने कहा—संसद में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी” होनी चाहिए, लोकतांत्रिक भागीदारी की सराहना की। सरकार व विपक्ष अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के साथ सत्र को दिशा देने की कोशिश में, हंगामेदार सत्र की संभावना।

संसद का शीतकालीन सत्र आज से औपचारिक रूप से प्रारंभ हो गया है। यह सत्र 19 दिसम्बर तक चलेगा और इस अवधि में लोकसभा तथा राज्यसभा की कुल 15-15 बैठकें प्रस्तावित हैं। आगामी हफ्तों में कई महत्वपूर्ण विधेयकों और मुद्दों पर चर्चा की संभावना है, जिसके चलते यह सत्र राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है।

सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए राष्ट्र के विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसद का सत्र केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह भारत को आगे बढ़ाने वाली ऊर्जा और दिशा प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण अवसर है। पीएम मोदी ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि संसद में अनावश्यक विवाद या “ड्रामा” नहीं, बल्कि ठोस और सार्थक “डिलीवरी” होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने बिहार विधानसभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में रिकॉर्ड मतदान ने एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता को साबित किया है। उनके अनुसार, भारी मतदान यह दर्शाता है कि देश की जनता लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भरोसा करती है और उसमें सक्रिय रूप से भाग लेती है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार के नतीजों से परेशान राजनीतिक दलों को “पराजय की निराशा” से बाहर निकलकर सार्थक भूमिका निभानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने लोकतंत्र को सिर्फ अपनाया नहीं, बल्कि उसे जिया है। देश के विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनाव और जनता की भागीदारी इसकी सशक्त मिसाल है। बिहार का हालिया चुनाव भी इसी भावना को प्रतिबिंबित करता है।

दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने सत्र से पहले अपनी रणनीति साफ कर दी है। उन्होंने विशेष रूप से एसआईआर (SIR), आंतरिक सुरक्षा, और लेबर कोड जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग उठाई है। विपक्ष का कहना है कि ये विषय सीधे तौर पर देश के नागरिकों और कामगारों से जुड़े हैं, इसलिए संसद में इन पर खुलकर विचार-विमर्श होना चाहिए। विपक्ष के अनुसार, सरकार को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट रूप से जवाब देना चाहिए।

इसी के साथ सरकार की प्राथमिकताएँ कुछ अलग दिखाई दे रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार वंदे मातरम् से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना चाहती है। इससे संकेत मिलता है कि सत्र के दौरान विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी प्राथमिकताओं और विचारधाराओं के अनुसार मुद्दों को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे। इस वजह से सत्र के हंगामेदार होने की पूरी संभावना है।

शीतकालीन सत्र आमतौर पर वर्ष के अंत में आयोजित होता है, और इसे आगामी नीति-निर्माण तथा अगले वर्ष के बजट सत्र के लिए आधार तैयार करने वाला समय माना जाता है। ऐसे में सरकार और विपक्ष दोनों ही इस मंच का उपयोग अपनी नीतियों, चिंताओं और दृष्टिकोण को प्रकट करने के लिए करेंगे। राजनीतिक माहौल पहले से ही उत्साह और बहस से भरा हुआ है, इसलिए सत्र में तीखी नोक-झोंक के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी देखने को मिल सकते हैं।

कुल मिलाकर, आज से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र देश की राजनीतिक दिशा में अहम भूमिका निभाने वाला है। जहां सरकार इसे विकास, नीति-निर्माण और जनकल्याण के नजरिए से देख रही है, वहीं विपक्ष इसे अपनी आवाज उठाने और सरकार को घेरने के मौके के रूप में देख रहा है। आने वाले दिनों में संसद का माहौल कितना सहयोगपूर्ण रहता है और कितनी रचनात्मक बहस होती है, यह सभी की निगाहों में होगा।

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