समाज की अहम् नीव होते है वरिष्ठ नागरिक, जानिए कब हुई थी इसकी शुरुआत

Highlights वरिष्ठ नागरिक दिवस का इतिहास। बुजुर्गों के लिए सरकार ने पेंशन योजनाएं, आयुष्मान भारत जैसी योजना चलाई । डिजिटल सुविधाओं से दूर लेकिन सामाजिक कार्यों के अनुभवी होते है वरिष्ठ नागरिक।

हर वर्ष 21 अगस्त को विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस (World Senior Citizens Day) बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। दरअसल यह दिन समाज के उन अनमोल रत्नों को सम्मान देने एवं उनकी देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ाने का मौका देता है, जिन्होंने अपने जीवन के स्वर्णिम वर्षों में समाज, परिवार एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया। वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज की नींव कहे जाते है, जिनके अनुभव, ज्ञान एवं मार्गदर्शन नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का खास स्त्रोत भी है। यह दिन हमें उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारें में बेहतर तरीके से याद दिलाता है और समाज में उनकी गरिमा, सम्मान और कल्याण सुनिश्चित करने की जरूरतों पर जोर देता है। खबरों का कहना है कि विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का महत्वविश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की शुरुआत वर्ष 1988 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ही हुई थी। इसका अहम् मकसद वरिष्ठ नागरिकों के प्रति समाज की जिम्मेदारी को रेखांकित करना एवं उनकी समस्याओं, जैसे स्वास्थ्य, सामाजिक अलगाव, आर्थिक असुरक्षा और उपेक्षा, के प्रति जागरूकता को और भी ज्यादा बढ़ावा देना है। इतना ही नहीं उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक जरूरतें बदल जाती है, एवं समाज को इन जरूरतों को समझकर उनके लिए उपयुक्त नीतियां और सुविधाएं प्रदान करना जरुरी है। 

वरिष्ठ नागरिक समाज का वो भाग है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे वर्षों में परिवार और समाज को खास रूप प्रदान किया। उनके अनुभव और ज्ञान न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक अमूल्य संपत्ति हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न केवल उनकी सेवाओं को और भी ज्यादा बेहतर रूप देना था  , बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि वे अपने जीवन के इस पड़ाव पर सम्मान, सुरक्षा और देखभाल के साथ जी सकें। वरिष्ठ नागरिकों की चुनौतियांआज के आधुनिक युग में, जहां संयुक्त परिवार की अवधारणा धीरे-धीरे कम हो रही है, वरिष्ठ नागरिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां निम्नलिखित हैं: 

स्वास्थ्य समस्याएं: उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे जोड़ों का दर्द, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अल्जाइमर और अवसाद, आम हो जाती हैं। इसके लिए नियमित चिकित्सा देखभाल और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होती है।

आर्थिक असुरक्षा: कई वरिष्ठ नागरिकों के पास नियमित आय का स्रोत नहीं होता। पेंशन योजनाओं की कमी या अपर्याप्त पेंशन के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। सामाजिक अलगाव: संयुक्त परिवारों का विघटन और युवा पीढ़ी का शहरों की ओर पलायन वरिष्ठ नागरिकों को अकेलेपन की ओर धकेल रहा है। सामाजिक अलगाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। उपेक्षा और दुर्व्यवहार: कुछ मामलों में, वरिष्ठ नागरिकों को परिवार या समाज द्वारा उपेक्षा और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। यह उनके आत्मसम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। प्रौद्योगिकी से दूरी: डिजिटल युग में, कई वरिष्ठ नागरिक आधुनिक तकनीक, जैसे स्मार्टफोन और इंटरनेट, से अनजान हैं, जिसके कारण वे कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी :

वरिष्ठ नागरिकों की इन चुनौतियों से निपटने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर कार्य को पूरा करना होगा। सरकार द्वारा कई कदम भी उठाए गए है, जैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए पेंशन योजनाएं, स्वास्थ्य बीमा, और विशेष चिकित्सा सुविधाएं भी प्रदान की जाएगी। भारत में, "वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण के लिए राष्ट्रीय नीति" और "वरिष्ठ नागरिक (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2007" जैसे कानून उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है। इसके साथ साथ आयुष्मान भारत योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। हालांकि, इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन और जागरूकता की कमी आज सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। समाज को भी अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। वरिष्ठ नागरिकों को बोझ के रूप में देखने के बजाय, हमें उनके अनुभव और ज्ञान का सम्मान करना चाहिए। सामुदायिक केंद्र, वरिष्ठ नागरिक क्लब, और मनोरंजन कार्यक्रमों के माध्यम से उनके सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा दिया जा सकता है।

व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर कदम विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने का मौका प्रदान करते है। कुछ कदम जो हम उठा सकते हैं, वे हैं:

सम्मान और समय: अपने परिवार के बुजुर्गों के साथ समय बिताएं, उनकी बातें सुनें और उनके अनुभवों से सीखें। यह उनके अकेलेपन को कम करने में मदद करेगा। स्वास्थ्य देखभाल: उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करें और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। आर्थिक सहायता: यदि संभव हो, उनकी आर्थिक जरूरतों में सहायता करें और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ें। प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण: उन्हें स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग सिखाएं ताकि वे डिजिटल दुनिया से जुड़ सकें। सामाजिक समावेशन: सामुदायिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करें, जैसे योग, ध्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम।

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