दुनिया के कई हिस्सों में अलग अलग नामों से जानी जाती है ब्रह्मपुत्र नदी

Highlights ब्रह्मपुत्र को 'पुरुष नदी' माना जाता है, इसका अर्थ है "ब्रह्मा का पुत्र"। ब्रह्मपुत्र नदी को हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में पवित्र माना जाता है। तिब्बत में इसे यारलुंग त्संगपो, भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना कहते हैं।

यारलुंग त्संगपो या ब्रह्मपुत्र एकमात्र ऐसी नदी है जिसे 'पुरुष नदी' माना जाता है। इसका अर्थ है — ब्रह्मा का पुत्र। यह नदी हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में अत्यंत पूजनीय मानी जाती है। बौद्ध मान्यता की माने तो, प्राचीन काल में चांग थांग पठार एक विशाल झील हुआ करती थी। एक करुणामयी बोधिसत्व ने अनुभव किया कि इस जल को नीचे के लोगों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने हिमालय पर्वत को काटकर एक जलप्रवाह मार्ग बनाया, जिससे यह जल नीचे मैदानों तक पहुंच सके और जीवन को समृद्ध कर सके। यही जलधारा बाद में यारलुंग त्संगपो नदी के रूप में जानी गई।

हिंदू मान्यता के अनुसार, ब्रह्मपुत्र, ब्रह्मा और अमोघ ऋषि का पुत्र था। अमोघ ऋषि, शांतनु की सुंदर पत्नी थीं। ब्रह्मा उनके सौंदर्य से मोहित होकर उनके प्रति आकृष्ट हुए, जिससे एक बालक का जन्म हुआ। यह बालक पानी की तरह बहता चला गया और अमोघ को अत्यधिक परेशान करने लगा। तब ऋषि शांतनु ने उस बालक को चार महान पर्वतों — कैलाश, गंधमादन, जरुधि और समवर्ती — के बीच स्थापित किया। वहीं वह ब्रह्म कुंड नामक एक पवित्र झील में परिवर्तित हो गया, और वहीं से ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम माना जाता है।

भारत की सबसे लंबी नदी: ब्रह्मपुत्र

जब भारत की प्रमुख नदियों की बात की जाती है, तो ब्रह्मपुत्र नदी का नाम सबसे ऊपर आता है। यह न केवल भारत, बल्कि एशिया की भी सबसे लंबी और विशाल नदियों में से एक मानी जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 2,906 किलोमीटर है। इस नदी का उद्गम तिब्बत में स्थित पवित्र मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वत की पश्चिमी ढलानों से होता है, जहां इसे सांगपो नदी कहा जाता है। तिब्बत से भारत में प्रवेश करते ही यह ब्रह्मपुत्र नदी कहलाने लगती है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश, असम होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में यह नदी गंगा (पद्मा) से मिलती है और इसके बाद इस संयुक्त धारा को मेघना नदी कहा जाता है, जो आगे चलकर बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। विभिन्न देशों और राज्यों से गुजरने के दौरान इस नदी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है—तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो, भारत में ब्रह्मपुत्र, और बांग्लादेश में जमुना। इसकी विशालता केवल लंबाई में ही नहीं, बल्कि इसकी चौड़ाई और प्रवाह क्षमता में भी देखने को मिलती है। यह नदी हिमालय से निकलकर लगभग 1,800 मील बहती है और अंत में गंगा के संगम के बाद बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। यही कारण है कि ब्रह्मपुत्र को भारत की सबसे महत्वपूर्ण और विशाल नदियों में गिना जाता है।

कहा से हुई है ब्रह्मपुत्र नदी की उत्पत्ति :

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल हिमालय की उत्तरी दिशा में, तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के पास ही है। तिब्बत में इस नदी को यारलुंग त्संगपो के नाम से पहचाना जाता है। तिब्बती क्षेत्र से निकलकर यह नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे सियांग या दिहांग कहा जाता है। इसके बाद यह असम घाटी में पहुँचकर ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। यहाँ यह एक विशाल और जीवनदायिनी नदी के रूप में पहचानी जाती है। भारत से आगे यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे जमुना कहा जाता है। बांग्लादेश में यह नदी गंगा की प्रमुख सहायक धारा पद्मा से मिलती है। इन दोनों नदियों के संगम के बाद यह मिलकर मेघना नदी का निर्माण करती हैं, जो आगे चलकर विश्व के सबसे बड़े डेल्टा सुंदरबन डेल्टा को बनाते हुए बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।

किन देशों में बहती है ब्रह्मपुत्र नदी :

ब्रह्मपुत्र नदी तीन प्रमुख देशों से होकर बहती है — तिब्बत, भारत और बांग्लादेश। इसका उद्गम तिब्बत में होता है, जहाँ इसे यारलुंग त्संगपो कहा जाता है। तिब्बत की जिन पर्वतमालाओं, घाटियों और घने जंगलों से होकर यह नदी बहती है, उन्हें अत्यंत पवित्र माना जाता है। प्राचीन तिब्बती ग्रंथों और ऋषियों द्वारा लिखे गए स्क्रॉल में इन क्षेत्रों को बेयूल यानी "गुप्त पवित्र स्थान" बोला गया है। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया है कि इन स्थानों पर उम्र की गति धीमी हो जाती है और यहां के वनस्पति और जीवों में चमत्कारी गुण पाए जाते हैं। तिब्बती मान्यताओं का कहना है कि, इस रहस्यमयी भूभाग में, संभवतः विश्व की सबसे गहरी घाटी के भीतर एक झरने के माध्यम से पृथ्वी पर स्वर्ग का प्रवेशद्वार — शांगरी-ला स्थित है। यह क्षेत्र आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत दिव्य और अद्भुत माना जाता है।

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