रतलाम के इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर भक्तों को दिया जाता है पैसा और आभूषण

Highlights रतलाम के माणिक चौक में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर के मंदिर में दिवाली पर होता है भव्य आयोजन। पांच दिवसीय दीपोत्सव में मंदिर को नोटों और दीयों से सजाया जाता है। धन-संपदा की कामना के लिए दूर-दूर से मंदिर आते है भक्त।

रतलाम : पांच दिवस के दीपावली महापर्व 2025 की शुरुआत हो गई है एवं इस महापर्व में माता लक्ष्मी की विशेष तौर पर पूजा अर्चना भी की जाती है। हिंदू धर्म में दिवाली पर्व का बहुत महत्व है। पूरे देश में धन की देवी महालक्ष्मी के कई मंदिर भी है, जहां भक्त कर्ज मुक्ति एवं आर्थिक परेशानियों से निजात पाने के लिए भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मां के दर पर आते है। हर मंदिर की परंपरा एवं भव्यता बहुत ही खास होती है। कहीं महालक्ष्मी गज पर सवार हैं तो कहीं कमल पर, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम के मंदिर में महालक्ष्मी का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं एवं अपने साथ सोने-चांदी के सिक्के लिए बिना नहीं जाते।

दिवाली पर खास ढंग से सजाया जाता है मंदिर :

मध्य प्रदेश के रतलाम के माणिक चौक में बसे हुए देवी महालक्ष्मी का मंदिर बेहद ही खास है। दिवाली एवं भैया दूज पर मंदिर में खास तैयारी भी होती है। दिवाली के खास मौके पर मां को नोटों से सजाया जाता है एवं ये नोट खुद भक्त मां पर अर्पित करते हैं एवं भाई दूज पर वापस ले जाते है। इतना ही नहीं भाई दूज पर मंदिर के पुजारी भक्तों को चढ़ाया हुआ पैसा तक लौटा देते है। इसके साथ साथ, भक्त दिवाली पर मां की प्रतिमा पर सोने एवं चांदी के सिक्के भी चढ़ाते हैं, इसके पश्चात में प्रसाद स्वरूप भक्तों में वितरित कर दिया है।

मंदिर में उमड़ती है भक्तों की भीड़ : 

खबरें है कि इस मंदिर में महालक्ष्मी अकेले नहीं बल्कि भगवान कुबेर के साथ यहां विराजमान हैं। इतना ही नहीं मंदिर में दोनों देवी-देवताओं के दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते है। भक्तों का इस बारें में कहना है कि अगर मंदिर से सोने-चांदी के सिक्के और धन को वापस घर लेकर जाता है तो घर में धन-संपदा की कमी बिलकुल भी नहीं होती एवं धन के भंडार हमेशा ही भरे हुए रहते है। इसलिए दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में हमेशा ही भीड़ देखने के लिए मिलती है।

मां को चढ़ाए जाते है सोना चांदी :

दिवाली के बीच मंदिर की भव्यता देखने लायक होती है। भक्तों के लिए मंदिर सुबह के समय ही खोल दिए जाते है। दिवाली के आने वाले 5 दिन तक मंदिर में 5 दिनों तक दीपोत्सव का आयोजन बेहद ही खास ढंग से किया जाता है। भक्त दीयों से मां के मंदिर सजाए जाते है एवं मां की विशेष कृपा पाते हैं। व्यापारियों के मध्य मंदिर को लेकर खास आस्था है। व्यापारी समाज के लोग मंदिर में पैसा  एवं आभूषण दिवाली वाले दिन मां को अर्पित करते हैं एवं 5 दिन के पश्चात वापस ले जाकर अपने लॉकर में लाकर रखते है उनका मानना है कि उस पैसे को खर्च नहीं किया जाता, क्योंकि उस पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हासिल किया।

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