लोगों के लिए मुसीबत बन रही आज की तकनीक, डिजिटल अरेस्ट और ठगी से कंगाल हो रहे लोग

Highlights ठगी से बचने के लिए किसी भी अनजान कॉल या लिंक पर क्लिक न करें। अपनी निजी जानकारी साझा करना आपके लिए हो सकता है नुकसान दायक। यदि आप भी हुए है डिजिटल अरेस्ट का शिकार तो तुरंत साइबर क्राइम से सम्पर्क करें।

सावधान! ठगी आपके साथ किसी भी रूप में हो सकती है, और इसे अंजाम देने वाला कोई भी हो सकता है, कैसे? सोचने वाली बात तो यही है कि आप ठगी का शिकार कब, कैसे और क्यों हो सकते है। तो आज हम आपको यही बताने वाले है कि आप कब,क्यों और कैसे किसी भी तरह की ठगी का शिकार हो सकते है। लेकिन उससे पहले आपको इस बारें में जान लेना चाहिए की ठगी क्या है और ये कितने प्रकार से हो सकती है। दरअसल ठगी का कोई प्रकार नहीं होता, कोई भी, कभी भी और कैसे भी आपको ठग सकता है, सड़क पर घूम रहे लोग जो दिखने में तो अच्छे होते है लेकिन आपसे बातें सकते हुए आपसे जुड़ी सारी जानकारी निकाल लेते है फिर आपकी रेकी करके वारदात जैसे लूट को अंजाम देते है। कई लोग ऐसे भी होते है जो आपसे राह चलते पैसों की मांग करते है न देने पर या आपके इंकार करने पर आपके पीछे लग जाते है और आपकी जेब मार लेते है। वहीं आज तकनीक ने खुद को इतना अपडेट कर लिया है, जिसे देखो वही व्यक्ति तकनीक के बारें में विस्तार से जानकारी जुटा रहा है। इतना ही नहीं ऐसे ही कई ग्रुप्स का निर्माण किया जाता और आपको उस फेक ग्रुप में जोड़ लिया जाता है। उसके पश्चात आपके नंबर पर आपत्तिजनक लिंक या नए नंबर से कॉल किए जाते है आपको बातों में फसाया जाता फिर आपके खाते को पूरी तरह से खाली कर दिया जाता है। तो चलिए जानते है इस बारें में और भी ज्यादा विस्तार से...

1) आम ठगी :

आम ठगी का तात्पर्य वह अपराध है जिसमें चालाकी/फरेब से किसी व्यक्ति से पैसे, सामान या सेवाएँ हड़पी जाती हैं - जैसे नकली निवेश स्कीम, दरवाज़े पर नकली टेक्नीशियन द्वारा ठगी, नकली जॉब/लॉटरी स्कैम आदि। ये ज्यादातर आम-सामान्य (offline) संपर्क-फोन/व्यक्ति पर आधारित होते हैं और पीड़ित के विश्वास का लाभ उठाकर किए जाते हैं। (उदाहरण: नकली राशन कार्ड/बीमा एजेंट द्वारा ठगी)

2) साइबर क्राइम :

साइबर क्राइम किसी भी गैरकानूनी कृत्य को कहते हैं जिसमें कंप्यूटर, मोबाइल, नेटवर्क या डिजिटल सिस्टम का उपयोग किया जाए। जैसे हैकिंग, मैलवेयर, रैनसमवेयर, डेटा ब्रीच, ऑनलाइन स्टॉक/बैंक घोटाले, साइबरस्टाकिंग, पहचान चोरी आदि। साइबर क्राइम का क्षेत्र बहुत व्यापक है; इसमें सिर्फ़ आर्थिक लाभ नहीं बल्कि राजनीतिक, जासूसी या विधिक नुकसान भी शामिल हो सकता है। 

3) डिजिटल अरेस्ट क्या है? :

 “डिजिटल अरेस्ट” नामक शब्द विधि-व्यवस्था में औपचारिक नहीं है; यह एक नया फ्रॉड पैटर्न है जिसमें ट्रिक यह है कि धोखेबाज़ कॉल/मैसेज/इमेल के ज़रिये पीड़ित को यह भरोसा दिलाते हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई केस/गिरफ़्तारी नोटिस आया है। अपराधी खुद को पुलिस, साइबर टीम या कोर्ट का अधिकारी दिखाकर पक्षी पर दबाव डालते हैं - और ज़बरदस्ती पैसे/OTP/बैंक डिटेल्स ले लेते हैं या वैध तौर पर दिखने वाले डिजिटल कागजात बनाकर बैंक ट्रांज़ैक्शन करवाते हैं। इसे कुछ मीडिया और एनालिस्ट्स “डिजिटल-अरेस्ट स्कैम” कह रहे हैं और पुलिस भी यही चेतावनी दे रही है कि यह एक साइबर फ्रॉड है - असली ‘अरेस्ट’ नहीं। 

ध्यान रखने योग्य बातें :

Cosmos Bank ATM/कंप्यूटर हमला (2018) - बैंकर्रोटिंग योजना और एटीएम-नेटवर्क के ज़रिये बड़ी रकम गायब हुई; यह भारत के बड़े बैंक-सम्बन्धी साइबर हाइस्ट में से एक माना गया।  Aadhaar / बड़े डेटा लीक के मामले (2018–2021) - नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा से जुड़े कई रिस्क और लीक्स रिपोर्ट हुए; इन घटनाओं ने दिखाया कि डेटा-संरक्षण कितना संवेदनशील है।  MobiKwik / Paytm/ अन्य fintech डेटा/लेन-देन मामले - उपयोगकर्ता डेटा और पेमेंट गेटवे से जुड़े रिसाव/फ्रॉड के मामले प्रकाश में आए। रैन्समवेयर और क्लाउड सर्विस अटैक्स (2020–2024) - अस्पताल, शिक्षा संस्थान और कंपनियों को निशाना बनाया गया; कई जगहों पर सर्विस ठप और डाटा बंधक बना लिया गया। 

क्या करें - बचाव और शिकायत :

किसी भी कॉल/व्हाट्सऐप/ईमेल पर तुरंत OTP/बैंक-डिटेल न दें; अधिकारियों से मिलने के बजाय आधिकारिक हॉटलाइन/पोर्टल पर वेरीफाइ करें। साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतें राष्ट्रीय साइबरक्राइम पोर्टल या हेल्पलाइन 1930 पर दर्ज कराएँ।  पासवर्ड, 2FA और सॉफ्टवेयर अपडेट रखें; अनधिकृत लिंक न खोलें।

आम ठगी अक्सर पारंपरिक मनोवैज्ञानिक/सामाजिक चालों पर निर्भर होती है; साइबर क्राइम तकनीक-आधारित, विस्तृत और कुछ मामलों में राष्ट्रीय-स्तरीय प्रभाव रखने वाला है; और “डिजिटल अरेस्ट” असल में साइबर फ्रॉड का एक नया रूप है जहाँ अधिकारियों के रूप में दिखकर लोगों से धन निकाला जाता है - कानूनी सत्यापन और सतर्कता ही बचाव है। 

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