युद्ध के बीच यूक्रेन का बड़ा दावा, कहा- रूस की तरफ से लड़ रहे भारतीय को पकड़ा

Highlights रूस-यूक्रेन युद्ध में पकड़ा गया भारतीय युवक। साहिल मोहम्मद हुसैन की गिरफ्तारी पर सामने आई भारत सरकार की प्रतिक्रिया। भारतीय युवक की रूस-यूक्रेन युद्ध में गिरफ्तारी की सच्चाई सामने लाने में जुटा विदेश मंत्रालय।

नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। खबरों का कहना है कि यूक्रेनी सेना ने एक भारतीय युवक को हिरासत में ले लिया गया है, जो कथित तौर पर रूस की और से युद्ध में शामिल था। पकड़े गए युवक की पहचान गुजरात के मोरबी निवासी 22 साल के मजोती साहिल मोहम्मद के रूप में की गई जा चुकी है। हालांकि अभी तक भारत सरकार या यूक्रेन की ओर से इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

यूक्रेनी मीडिया का इस बारें में कहना है कि साहिल मोहम्मद रूस में पढ़ाई करने गया था, लेकिन वहां ड्रग्स से संबंधित एक केस में दोषी ठहराए जाने के पश्चात उसे 7 वर्ष की जेल हुई थी। इसके बाद उसे युद्ध में भर्ती कर रूस की सेना में भेजा गया। कीव स्थित भारतीय दूतावास ने इस बारें में जानकारी दी है कि उन्हें अब तक इस गिरफ्तारी के संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी या संपर्क नहीं मिला है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में विदेशी भर्ती की बढ़ती प्रवृत्ति :

खबरों का कहना है कि यह केस केवल एक गिरफ्तारी भर नहीं है बल्कि एक गहरी समस्या की ओर संकेत करता है वहीं रूस द्वारा विदेशी नागरिकों को अपने युद्ध अभियानों में शामिल करने की रणनीति भी बना रहा है।  कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि बीते 2 सालों में कई विदेशी नागरिकों को रूसी सेना में अनुबंध के तहत भर्ती किया गया है, जिनमें दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य एशिया के कुछ देशों के नागरिक शामिल हैं। यह भी दावा किया गया है कि रूस में कई विदेशी छात्र आर्थिक या कानूनी समस्याओं में फंसने के बाद युद्ध में शामिल होने को मजबूर होते हैं। बदले में उन्हें सजा में राहत, नागरिकता या आर्थिक सहायता का लालच दिया जाता है।

भारत के लिए चिंता का विषय :

भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि वह रूस-यूक्रेन संघर्ष में एक “तटस्थ” भूमिका अदा कर रहा है एवं शांतिपूर्ण समाधान का समर्थक है। ऐसे में किसी भारतीय नागरिक का इस युद्ध में शामिल होना या पकड़ा जाना भारत की कूटनीतिक स्थिति के लिए असहज करने वाला भी साबित हो सकता है। विदेश मंत्रालय पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी भारतीय को रूस या यूक्रेन के सैन्य अभियानों में भाग नहीं लेना चाहिए। कुछ माह पूर्व पहले भी भारत ने रूस से आग्रह किया था कि वह भारतीय नागरिकों को सेना में भर्ती न करे।

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और मानवीय पहलू :

यह केस अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है। युद्ध में किसी विदेशी नागरिक की जबरन भागीदारी “अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून” का उल्लंघन भी कहा जाता है। यदि यूक्रेनी दावे सही साबित होते हैं, तो यह एक ऐसा मामला बन सकता है जिसमें कानूनी, मानवीय और कूटनीतिक तीनों पहलू जुड़ जाते हैं।

साहिल मोहम्मद का परिवार भी अब सरकार से संपर्क में है और विदेश मंत्रालय की ओर से मामले की जांच के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। फिलहाल भारतीय दूतावास यूक्रेन और रूस दोनों से संपर्क साधने की कोशिश में है ताकि घटना की सच्चाई सामने लाई जा सके।

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