देहरादून : उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा को लोकप्रिय बनाने के लिए राज्य सरकार, स्थानीय व्यापारी और तीर्थ पुरोहित लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन अब तक यह पहल उम्मीद के अनुरूप सफल नहीं हो सकी है। विशेषज्ञों का इस बारें में कहना है कि शीतकालीन यात्रा को वह पहचान नहीं मिल पाई, जिसकी आवश्यकता थी। व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी और ग्रीष्मकालीन यात्रा जैसी मजबूत व्यवस्थाओं के अभाव को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। हालांकि, बीते 9 नवंबर को आयोजित रजत जयंती समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष आह्वान ने शीतकालीन यात्रा को नया बल प्रदान किया है। पीएम की अपील के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा को गति देने के लिए राज्य में तीव्रता से काम शुरू होंगे, जिससे धार्मिक पर्यटन को वर्षभर सक्रिय रखने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
वर्षभर तीर्थाटन का माध्यम बन सकती है शीतकालीन यात्रा :
चारधाम के साथ ही पंच बदरी और पंच केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को पूरे वर्ष सक्रिय रखने की क्षमता रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ग्रीष्मकालीन यात्रा की तरह ही शीतकालीन पड़ावों में भी बुनियादी सुविधाएँ विकसित की जाएँ, तो सर्दियों में भी श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा सकती है। इसी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य स्थापना दिवस पर शीतकालीन यात्रा को बढ़ाने पर विशेष बल दिया। स्थानीय लोगों और पर्यटन कारोबारियों का मानना है कि पीएम मोदी की अपील से आने वाले समय में उत्तराखंड को एक नई धार्मिक पर्यटन पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड के प्रमुख शीतकालीन धामराज्य में कई प्रमुख शीतकालीन गद्दीस्थल मौजूद हैं, जहाँ भक्त चारधाम के कपाट बंद होने के बाद दर्शन कर सकते हैं—
चमोली : योग-ध्यान बदरी (पांडुकेश्वर), नृसिंह मंदिर (ज्योतिर्मठ) रुद्रप्रयाग : ओंकारेश्वर मंदिर (ऊखीमठ) उत्तरकाशी : गंगा मंदिर (मुखवा/मुखीमठ), यमुना मंदिर (खरसाली/खुशीमठ)इसके अलावा पंच केदार धामों के शीतकालीन प्रवास स्थल—
गोपीनाथ मंदिर (चतुर्थ केदार रुद्रनाथ) ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर (द्वितीय केदार मध्यमेश्वर) मक्कूमठ स्थित मार्कंडेय मंदिर (तृतीय केदार तुंगनाथ)सुविधाओं से लैस हैं शीतकालीन पड़ाव :
राज्य सरकार के अनुसार सभी प्रमुख शीतकालीन धाम सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं। यात्रियों के लिए पर्याप्त संख्या में होटलों, लॉज, धर्मशालाओं और होमस्टे की व्यवस्था उपलब्ध है। साथ ही इन धामों में सर्दियों के दौरान बर्फबारी का आनंद भी लिया जा सकता है।हालांकि, प्रशासन ने यात्रियों को पर्याप्त गर्म कपड़े, दवाइयाँ और सुरक्षा उपायों के साथ यात्रा करने की सलाह दी है क्योंकि चरम सर्दी में तापमान काफी नीचे चला जाता है।
शीतकालीन यात्रा से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर :
केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने से तीर्थाटन को वर्षभर गति मिलेगी और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने देशभर के श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे शीतकाल में चारधाम सहित पंच बदरी और पंच केदार के शीतकालीन गद्दीस्थलों की यात्रा करें। उनका कहना है कि उत्तराखंड शीतकालीन सीजन में श्रद्धालुओं की आगवानी के लिए पूरी तरह तैयार है।इस प्रकार, प्रधानमंत्री के आह्वान और राज्य सरकार की सक्रियता के बाद उम्मीद की जा रही है कि शीतकालीन चारधाम यात्रा आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की धार्मिक पर्यटन अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी।