अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया का AI 171 का बोइंग ड्रीमलाइनर 787 विमान, जो लंदन के लिए उड़ान भर रहा था बहुत ही बुरी तरह से हादसे का शिकार हो गया, इस हादसे में विमान में 242 लोग सवार थे जिसमे से 12 क्रू मेंबर और 230 यात्री थे, इतना ही नहीं इस विमान में गुजरात के पूर्व सीएम विजय भाई रुपानी भी सवार थे, टेकऑफ़ करते समय ये विमान कंट्रोल खो जाने की वजह से इमारत से जा टकराया, अब तक इस घटना में कितनी मौते हुई है इस बात की कोई खास पुष्टि नहीं हो पाई है।
खबरों की माने तो एयर इंडिया विमान हादसे की खबर से बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल ने दुःख व्यक्त किया है, उन्होंने हादसे पर पोस्ट साझा करते हुए कहा है कि '' अहमदाबाद में विमान दुर्घटना की खबर सुनकर स्तब्ध हूँ। मैं पूरे दिल से जीवित बचे लोगों के लिए प्रार्थना कर रहा हूँ, जिन्हें उनकी ज़रूरत है। उन्हें ढूँढ़ा जाए और उन्हें वह मिले, जिसकी उन्हें ज़रूरत है, जिन लोगों ने इस हादसे में अपनी जान गँवाई है, उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके परिवारों को इस अकल्पनीय समय में शक्ति मिले।''
अहमदाबाद में हुए इस विमान हादसे से हर कोई दंग रह गया है, परेशान करने वाली बात तो ये है कि न जाने इस हादसे में 242 लोगों के अलावा और कितने लोगों को चोटें आईं होंगी, ये हादसा इतना भीषण था कि किसी के भी बचने की कोई उम्मीद नहीं है, फिलहाल घटना स्थल पर बचाव दल मौजूद है, इतना ही नहीं यदि कहीं भी जब किसी भी तरह का कोई विमान हादसा होता है तो सबसे पहले हादसे का शिकार हुए विमान में कारण का पता किया जाता है, वहीं इसके लिए प्रोटोकॉल को फॉलो किया जाता है, विमान क्रैश होने के पश्चात लोकल प्रशासन, सुरक्षा बल और फायर डिपार्मेंट जैसी इमरजेंसी सर्विसेज पहुंच जाती हैं। वहीं विमान के हादसे का शिकार होने के बाद सबसे पहले ब्लैक बॉक्स को खोजै जाता है, जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) के नाम से भी जाना जाता है, ऐसा भी कहा जा सकता है कि ये एक तरह का रिकॉर्डिंग डिवाइस होता है, जिसमे प्लेन की उड़ान के समय कॉकपिट की बाते और उड़ान का डाटा होता है।
कौन और कैसे खोजा जाता है ब्लैक बॉक्स :जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो उस हादसे की जांच के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण होता है ब्लैक बॉक्स। यह डिवाइस दुर्घटना से जुड़ी अहम जानकारियों को रिकॉर्ड करता है और इन्हीं जानकारियों के आधार पर दुर्घटना के कारणों की पड़ताल की जाती है। प्लेन क्रैश के बाद ब्लैक बॉक्स की खोज और जांच के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित एयर क्रैश इन्वेस्टिगेशन टीम तैनात की जाती है। भारत में यह जिम्मेदारी नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की होती है। इन एजेंसियों की टीमों को कई बार विशेष बचाव दलों का भी सहयोग मिलता है।
लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि जब पूरा विमान हादसे में नष्ट हो जाता है, तो ब्लैक बॉक्स कैसे सुरक्षित रह जाता है? दरअसल, ब्लैक बॉक्स को बेहद मज़बूत सामग्री टाइटेनियम से बनाया जाता है, जो अत्यधिक गर्मी, दबाव और झटकों को भी सहन करने में सक्षम होता है। इसे एक विशेष रूप से तैयार मजबूत आवरण में रखा जाता है ताकि दुर्घटना की किसी भी स्थिति में यह सुरक्षित रह सके। ब्लैक बॉक्स में एक खास तरह का लोकेटर बीकन (Locator Beacon) लगा होता है, जो दुर्घटना के बाद लगातार 30 दिनों तक सिग्नल भेजता रहता है। अगर विमान ज़मीन पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो, तो मलबे को हटाकर इसकी तलाश की जाती है। वहीं, अगर विमान पानी में गिरा हो, तो भी यह बीकन पानी के भीतर से सिग्नल देता रहता है, जिससे इसे ढूंढना संभव हो पाता है।