Highlights
सामूहिक दुष्कर्म का घिनौना खेल तहर्रूश।
बलात्कार करने से मिलती है जन्नत।
लव जिहाद और ग्रूमिंग गैंग में समानता।
नई दिल्ली : दुनियाभर में इस मुद्दे पर काफी रिसर्च हुई है कि 'पुरुष बलात्कार क्यों करते हैं ?' ताकि इससे कोई निष्कर्ष निकले और उसके जरिए फिर इस समस्या का निदान खोजा जा सके। भारत में भी खुद यौन उत्पीड़न का शिकार हुई लेखिका तारा कौशल ने इसका सच जानने का प्रयास किया था, उन्होंने कई बलात्कारियों के इंटरव्यू लिए, उनके घर का माहौल देखा, और why men rape नामक एक किताब में अपने अनुभव साझा किए। हालाँकि, तारा ने उन लोगों से बातचीत की थी, जिन पर बलात्कार के आरोप तो लगे, लेकिन किसी कारणवश दोष साबित नहीं हो सका।
इसके उलट, शैफील्ड हालाम यूनिवर्सिटी में अपराध विज्ञान की लेक्चरर डॉ. मधुमिता पांडेय ने बलात्कार में दोषी ठहराए जाकर सजा काटने वाले अपराधियों पर रिसर्च की। डॉ मधुमिता ने दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में कैद करीब 100 बलात्कारियों से सवाल जवाब किए और ये जानने का प्रयास किया कि क्या महिलाओं के प्रति उन बलात्कारियों की सोच भी वैसी ही है, जैसी किसी आम आदमी की होती है।
डॉ मधुमिता ने अपनी रिसर्च में निष्कर्ष निकाला कि, पुरुष बलात्कार क्यों करते हैं? इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। वे कहती हैं, कुछ अपराधी, पीड़िता की पहचान वाले होते हैं, तो कुछ अपराधी एकदम अनजान लड़की को मौका देखकर बलात्कार का शिकार बनाते हैं। कोई गुस्से में आकर बलात्कार की वारदात को अंजाम देता है, तो कोई क्रूरता के साथ दूसरों को पीड़ा पहुंचाने के मकसद से बलात्कार करता है, तो कोई वहशी सीरियल रेपिस्ट भी होता है, जो हमेशा मौके की तलाश में रहता है और मौके निर्मित भी करता है।
हालाँकि, इन दोनों रिसर्च में उन कारणों पर बात नहीं की गई, जिसमे बलात्कार और यौन हिंसा को एक खेल या जन्नत जाने की सीढ़ी माना जाता है। जैसे तहर्रूश .।
क्या है तहर्रूश जमाई (taharrush gamea) :
ख़बरों में हमने सामूहिक बलात्कार के कई मामले सुने या पढ़े होंगे, उसमे अक्सर कुछ बदनीयत दोस्त, कुछ आपराधिक प्रवृत्ति वाले रिश्तेदार या सहकर्मी शामिल होते हैं, जिनकी तादाद 2-4 से 10-12 तक हो सकती है। किन्तु, क्या आपने किसी ऐसे मामले के बारे में सुना है, जिसमे एक महिला का यौन शोषण करने वाले अपराधियों की तादाद सैकड़ों में हो। यही है तहर्रूश (taharrush gamea)।
तहर्रूश एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ तो उत्पीड़न निकलता है, कई लोग इसे यौन उत्पीड़न का वीभत्स खेल भी कहते हैं, जो अरब देशों में अक्सर खेला जाता है। इसमें सैकड़ों की तादाद में लड़के, किसी अकेली लड़की को घेर लेते हैं और उसके आसपास कई घेरे बना लेते हैं, जिसमे लड़की फंसकर रह जाती है। अंदर वाले घेरे में जो लड़के रहते हैं, वो लड़की का यौन शोषण करते हैं, उसके बाहर के घेरे वाले लड़के ये क्रूरता देखकर आनंदित होते हैं और सबसे बाहर वाले घेरे के लड़के, भीड़ का ध्यान भटकाने का काम करते हैं। इसी को अरबी में 'तहर्रूश गेमीया' कहा जाता है।
ये कल्पना करना भी बेहद भयवाह है कि एक जैसी मानसिकता वाले सैकड़ों बलात्कारी एक साथ सड़कों पर आ जाएं और सरेआम कुकृत्य को अंजाम दें। और तो और कोई वहां कोई ऐसा सज्जन व्यक्ति भी मौजूद न हो, जो पीड़िता की मदद कर सके। तहर्रूश का ये घिनौना खेल, अमूमन सार्वजनिक जगहों और प्रदर्शनों या भीड़भाड़ वाले इलाकों में ही किया जाता है, जहां अपराधियों के पास आसानी से भीड़ में गुम हो जाने का मौक़ा होता है। इतनी तादाद में अपराधी होने के कारण ये पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि किसने क्या किया ? ऐसे में अपराधी बच निकलते हैं और फिर किसी दूसरी लड़की को शिकार बनाते हैं।
मिस्र में पत्रकार लारा लोगन हुईं तहर्रूश का शिकार :
साल था 2011, जब पश्चिमी जगत को अरब में चल रहे इस वीभत्स विचार का पता चला। अमेरिकी चैनल CBS की एक पत्रकार लारा लोगन मिस्र में हुए सत्ता परिवर्तन को कवर करने वहां गई हुईं थी। होस्नी मुबारक के इस्तीफ़ा देने के बाद काहिरा के मशहूर तहरीर चौक पर लाखों की भीड़ जमा थी, खबरों को कवर करते समय लारा अपनी टीम और कैमरामैन से बिछड़ गई, और कुछ समय बाद उन्होंने खुद को लड़कों के झुंड से घिरे हुए पाया, जिनकी आँखों से वहशियत टपक रही थी।
करीब 200 से 300 दरिंदों के बीच लारा लगभग 60 मिनट तक फंसी रही। वे बताती हैं कि उन्हें खुद पता नहीं चल रहा था कि उनके बदन पर किसके हाथ चल रहे हैं, कोई उनके स्तनों को छूता, तो कोई जांघों और नितम्बों पर हाथ मारता, तो कोई उसके बालों को पकड़कर खींचता। इसी बीच लारा को एक आवाज़ सुनाई दी, कोई अपराधी कह रहा था 'इसकी पेंट उतार दो।' CBS को ही बताई गई आपबीती में लारा कहती हैं कि, 'मेरे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं था कि मैं मरने की प्रक्रिया में थी, मैंने सोचा, न केवल मैं मरने जा रही हूँ, बल्कि यह एक ऐसी यातनापूर्ण मौत होगी जो हमेशा के लिए जारी रहेगी।'
लारा ने इंटरव्यू में बताया कि उनके कपड़े फाड़ दिए गए और चारों तरफ से उनके शरीर को खींचा जा रहा था, 200-300 लोगों की भीड़ ने जैसे उन्हें निगल लिया था। उनके आसपास सेल फोन कैमरों की फ्लैश चमक रहे थे, जो उनके नग्न शरीर की तस्वीरें ले रहे थे, जबकि उनके आसपास मौजूद अपराधी अपने हाथों से उसका बलात्कार कर रहे थे। लारा ये भी बताती हैं कि इस दौरान उन्हें पीटा भी गया और अपमानित करने हेतु अपशब्द भी कहे गए। किसी तरह कुछ सैनिकों द्वारा उन्हें बचाया गया, लेकिन तब तक एक घंटे की अवधि में लारा नरक के दर्शन कर चुकी थी। लारा को इस सदमे से उबरने में कई दिन अस्पताल में गुजारने पड़े।
यूरोपीय देशों में भी पैर पसार रहा तहर्रूश :
तहर्रूश अब केवल अरब की धरती तक ही सीमित नहीं रह गया है, जहाँ-जहाँ उस विचारधारा वाले लोग पहुंचे हैं, वहां-वहां इस कुकृत्य का प्रभाव देखने को मिल रहा है। यूरोपीय देश जर्मनी में 2016 के नए साल के जश्न के दौरान सैकड़ों लड़कियां इस क्रूरता का शिकार हुईं थी। जर्मनी के कोलोन शहर में जब नए साल का जश्न मनाया जा रहा था, तब हज़ारों की समूह में हमलावरों ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ यौन अपराध किया।
बाद में इन अपराधियों की पहचान अरब या उत्तरी अफ्रीकी मूल के मुस्लिम पुरुषों के रूप में हुई थी, वहीं कुछ अन्य शरणार्थी भी बताए गए थे। संघीय आपराधिक पुलिस कार्यालय ने जुलाई 2016 में पुष्टि करते हुए बताया था कि उस रात 1,200 महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। कोलोन पुलिस प्रमुख ने तो यहाँ तक कहा था कि अपराधी उन देशों से आए थे जहाँ महिलाओं के खिलाफ पुरुषों के समूहों द्वारा इस तरह के यौन हमले आम हैं।
कोलोन पुलिस की एक रिपोर्ट कहती है कि नए साल की रात गिरोह बनाकर आए लोगों ने पीड़ितों की पैंट्स और स्कर्ट में हाथ डाल दिए थे, उनकी टांगें पकड़कर उन्हें खींचा गया और उनके निजी अंग नोचे गए। कुछ रिपोर्ट्स में पीड़िताओं के पर्स और सेल फोन चुराए जाने का भी आरोप है।
यूरोपियन यूनियन की सांसद ने उठाए थे सवाल :
कुछ गरीब अरब देशों में ये खेल आम है। साल 2013 के एक शोध में संयुक्त राष्ट्र के क़ाहिरा स्थित महिला संगठन ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मिस्र की 99% महिलाएं यौन शोषण का शिकार हुईं हैं। इसके पीछे एक मानसिकता भी बताई जाती है, जो महिलाओं को घरों में कैद रखने की विचारधारा को बढ़ावा देती है। इस्लामी जगत में ये आम है कि महिलाओं को अकेले बाहर नहीं निकलने दिया जाता, उनके पहनावे पर ख़ास ध्यान दिया जाता है। ईरान में तो महिलाओं के हिजाब की जांच के लिए बाकायदा नैतिक पुलिस (Moral Police) की तैनाती की गई है, वहीं अफगानिस्तान में महिला शिक्षा पर भी प्रतिबंध है। ये विचारधारा कहीं न कहीं मानती है कि यदि महिला अकेले या पाश्चात्य कपड़ों में बाहर निकलेगी, तो उस पर यौन हमला होगा ही और इसी के चलते कुछ कट्टरपंथी मानसिकता के पुरुष खुद को महिलाओं को दण्डित करने का अधिकारी समझने लगते हैं।
इटली की राजनेता और यूरोपियन संघ की सदस्य सिल्विया सरडोन ने इस मुद्दे को यूरोपियन संघ में भी उठाया था। उन्होंने एक लिखित प्रश्न में कहा था कि, ''कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि नए साल की पूर्व संध्या के जश्न के दौरान मिलान (इटली) के पियाज़ा दुओमो में विभिन्न राष्ट्रीयताओं की कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया। विदेशी पृष्ठभूमि के दर्जनों युवकों ने महिलाओं को घेर लिया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह बहुत गंभीर घटना 'तहारुश गेमिया' का मामला है, जो अरब मूल की एक घटना है जिसमें पुरुषों के समूह सार्वजनिक रूप से सामने आने की हिम्मत करने वाली महिलाओं को सबके सामने अपमानित करने के लिए यौन उत्पीड़न का इस्तेमाल करते हैं। यूरोप के शहरों में इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं (उदाहरणों में 2022 में मिलान और 2016 में कोलन शामिल हैं), यह इस बात का सबूत है कि महिलाओं को तेजी से नियंत्रित की जाने वाली वस्तु के रूप में देखा जा रहा है, एक ऐसा दृष्टिकोण जो मुस्लिम समुदायों में तेजी से व्यापक हो रहा है।
उपरोक्त के आलोक में, हाल के वर्षों में क्या किया गया है :
1. उपरोक्त घटना से निपटने के लिए?
2. क्या इसका उद्देश्य इस विचार को बढ़ावा देना है कि महिलाओं को अधीन रखा जाना चाहिए, जो कि कई मुस्लिम समुदायों में व्यापक रूप से प्रचलित दृष्टिकोण है?
3. क्या हम अपने शहरों के बाहरी इलाकों में स्थित इस्लामवादी 'समानांतर समाजों' को महिलाओं के अधिकारों को खत्म करने और उनके मूल्यों को थोपने से रोकना चाहते हैं?''
विभिन्न देशों के राजनेता इस तरह की घटनाओं को इस्लामी मानसिकता से जोड़कर देख रहे हैं। क्योंकि ये महिलाओं के प्रति, विशेषकर अन्य धर्म की महिलाओं के प्रति एक नकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है कि पाश्चात्य महिलाएं कमतर हैं, इसलिए उनके साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए। इसके भी कई मामले सामने आ चुके हैं।
तहर्रूश का ही छोटा रूप है ब्रिटेन का ग्रूमिंग गैंग :
भारत में लव जिहाद का नाम तो आपने सुना ही होगा। जिसमे मुस्लिम युवा, अपनी झूठी पहचान बताकर गैर-मुस्लिम लड़कियों को अपनी मीठी-मीठी बातों में फंसाते हैं, फिर उन्हें नशीला पदार्थ देकर या शादी का वादा करके उनके साथ शारीरिक संबंध बना लेते हैं और इस घिनौने कृत्य का वीडियो उतार लेते हैं, ताकि वो अपना असली रूप दिखाकर लड़कियों को ब्लेकमैल कर सकें। फिर शुरू होता है, लड़कियों पर अत्याचार, कहीं उन्हें इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया जाता है, उनसे पैसे ऐंठे जाते हैं, जिस्मफरोशी में धकेला जाता है। एक तरह से लड़की की जिंदगी नर्क बन जाती है। हालाँकि, भारत में मुस्लिम वोट बैंक को खुश रखने के चलते राजनेता, लव जिहाद को सच्चाई मानने से ही इंकार कर देते हैं, लेकिन विदेशों में ऐसा नहीं है। वहां इन कट्टरपंथियों की घिनौनी करतूतें उजागर भी की जाती है और उन्हें सजा भी दी जाती है।
भारत में जिसे लव जिहाद कहा जाता है, उसे ही अगर ब्रिटेन का ग्रूमिंग गैंग कहें तो गलत नहीं होगा, दोनों में कोई अंतर नहीं है। और समानताएं तो इतनी हैं कि कोई भी आसानी से पहचान सकता है कि ये एक ही विचारधारा से किया हुआ घिनौना काम है। ब्रिटेन में कई सालों से इस ग्रूमिंग गैंग का शिकार हुई पीड़िताओं की कहानी लोगों के दिलों में दहशत भरती रही है। इस गैंग का कनेक्शन पाकिस्तान-बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथियों से था, जो बाकायदा साजिश के तहत छोटी उम्र की गोरी और गैर मुस्लिम लड़कियों को अपना निशाना बनाते, फिर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करते, उनसे अप्राकृतिक रूप से बलात्कार करते, उनका धर्मान्तरण करते, उन्हें ड्रग्स देते, उनकी तस्करी करते और कई बार तो उनकी हत्या भी कर देते थे। ग्रूमिंग गैंग चलाने वाले दरिंदों का मानना है कि ब्रिटिश लड़कियाँ कचरा और वेश्या हैं, इनका इस्तेमाल कैसे भी किया जा सकता है।
सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तो ये रही कि इन गैर-मुस्लिम लड़कियों को निशाना बनाने वाले कट्टरपंथी, लगभग 10 वर्षों तक ब्रिटेन के विभिन्न शहरों (लंदन, ब्रिस्टल, बर्मिंघम, रोशडेल, रोदरहैम आदि) में लड़कियों की जिंदगी नरक बनाते रहे और पुलिस-प्रशासन इन सबसे बेखबर रहा। इसका परिणाम ये हुआ कि 1997 से 2013 तक एशियाई देशों (मुख्यत: पाकिस्तान) के इस्लामी कट्टरपंथियों ने 1400 से अधिक लड़कियों को घुट-घुटकर जीने पर मजबूर कर दिया।
अब कट्टरपंथियों की दरिंदगी को उजागर करने वाली ये रिपोर्ट सोशल मीडिया पर जमकर शेयर की जा रही है, जिस पर दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क से लेकर हैरी पॉटर को लिखने वाली जे के रॉलिंग तक ने हैरानी जताते हुए प्रतिक्रिया दी है। एलन मस्क ने कहा है कि ''इस काम (ग्रूमिंग गैंग पर शिकंजा न कसने) के लिए ब्रिटेन की सत्ता में बैठे काफी लोगों को जेल में होना चाहिए।''
गौरतलब है कि ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग के खिलाफ की गई कार्रवाई में गत वर्ष तक 550 से अधिक आरोपियों को अरेस्ट किया गया था। एक विशेष पुलिस टास्कफोर्स ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया था, जिसे अप्रैल 2023 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने गठित किया था। इस टास्कफोर्स के कारण 4,000 से अधिक पीड़ितों को चिन्हित किया जा चुका है और उन्हें सुरक्षा भी दी जा चुकी है। हालाँकि, भारत में अभी इसका समाधान निकालना तो दूर, इस समस्या को पहचानने से ही इंकार किया जा रहा है। जबकि भारत में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहाँ अपराधी के पूरे परिवार ने मिलकर लड़कियों का यौन शोषण किया है और धार्मिक प्रताड़ना दी है। इनमे से कुछ लोगों का ये भी मानना है कि गैर-मुस्लिम लड़की का बलात्कार करने से उन्हें जन्नत मिलेगी।
गैर-मुस्लिम का बलात्कार करने से मिलती है जन्नत :
इराक के यजीदी समुदाय ने इस विचारधारा के कारण जितना नरक झेला है, उतना शायद किसी और समुदाय ने नहीं झेला। 2014 में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के चंगुल से छूटी एक 12 वर्षीय बच्ची ने बताया था कि, "मैं उसे (आतंकी) कहती थी कि मुझे तकलीफ होती है। ऐसा मत करो। वह मुझे कहता था कि इस्लाम के मुताबिक काफिरों का रेप करना गुनाह नहीं है।वह कहता था कि मेरा रेप करने से उसे जन्नत नसीब होगी।" इस बच्ची ने 11 महीनों तक इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की क्रूरता का सामना किया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ISIS के आतंकियों ने लगभग 5000 लड़कियों को अपनी यौन दासी बनाने के लिए अगवा कर लिया था, जिनमे से कुछ को काफी मशक्कत से छुड़ाया गया। इसी रिपोर्ट में एक अन्य 15 वर्षीय पीड़िता का हवाला देते हुए कहा गया है कि, "आतंकी कहता था कि बलात्कार करना भी अल्लाह की इबादत करने जैसा है। मैंने उससे कहा कि जो तुम कर रहे हो, इससे अल्लाह कभी खुश नहीं होगा। मगर वो कहता था कि यह जायज और हलाल है।" कई लोग सोच सकते हैं कि ये सिर्फ आतंकियों की सोच होगी, जो क्रूर और बर्बर होते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मिस्र की अल-अजहर यूनिवरेसिटी की महिला प्रोफेसर सुआद सालेह भी इसी घृणित विचारधारा को मानती हैं।
2016 में प्रोफेसर सालेह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमे वो कह रही थी कि ''अल्लाह ने मुस्लिम पुरुषों को गुलाम औरतों के साथ यौन संबंध बनाने और उनका अपमान करने की इजाजत दी है, जो कि इस्लाम में जायज है।'' सालेह ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा था कि, वहां की महिलाओं का रेप करना, उनको अपमानित करना बिलकुल जायज है। इजराइल-हमास युद्ध के दौरान हमने देखा ही है कि किस तरह हमास के आतंकियों ने यहूदी महिलाओं के नग्न शरीरों को सड़कों पर घुमाया था और गर्व से अल्लाहु अकबर के नारे लगाए थे, जैसे उन्होंने कोई बहुत पुण्य का काम किया हो।
भारत में भी मिले हैं ऐसे केस :
गैर-मुस्लिम लड़कियों का बलात्कार करके जन्नत पाने की चाहत रखने वाली मानसिकता सिर्फ कुछ कट्टरपंथी देशों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि ये भारत में भी घर कर चुकी है। पाकिस्तान-बांग्लादेश जैसे देशों से अक्सर खबरें आती हैं कि वहां किसी नाबालिग अल्पसंख्यक बच्ची को किडनैप कर लिया गया, जबरन धर्मान्तरण करके फिर किसी अधेड़ मौलवी या मौलाना से उसका निकाह करवा दिया गया। ये भी एक तरह का बलात्कार ही है, क्योंकि इसमें लड़की की सहमति नहीं है। किन्तु इन इस्लामी मुल्कों में अल्पसंख्यकों की सुनने वाला कोई नहीं है, और वहां ये घटनाएं खुलेआम होती हैं, वहीं भारत में थोड़ा दब-छुपकर। शायद इसलिए, क्योंकि यहाँ अभी तहर्रूश खेलने जितनी आबादी नहीं है।
वरना कश्मीर में हमने देखा ही है, शिक्षिका गिरिजा टिक्को का सामूहिक बलात्कार उन्ही आतंकियों ने किया, जिन्हे कभी गिरिजा ने पढ़ाया था। यही नहीं, सामूहिक बलात्कार करने के बाद दरिंदों ने उन्हें जिन्दा आरी से छेड़ भी दिया था। इसी तरह कई महिलाओं को बीच सड़कों पर नग्न किया गया, अपमानित किया गया और उनके साथ क्रूरता की गई। ये तहर्रूश का ही एक रूप था, जिसे खेलने की छूट कश्मीर के आतंकियों को मिल गई थी।
अक्टूबर 2022 में मध्य प्रदेश के इंदौर से ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहाँ एक 6 माह की दलित गर्भवती महिला के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के 4 युवकों ने बलात्कार किया था। नौकरी की तलाश में भटक रही महिला को इन अपराधियों ने काम दिलाने का झांसा दिया, फिर नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। जब थोड़ा होश आने पर युवती ने गर्भवती होने की दुहाई दी तो एक आरोपी ने उससे कहा कि ''हमारे धर्म में सब चलता है, हिंदू लड़की से संबंध बनाने पर जन्नत मिलती है।'' ये मामला इंदौर के तुकोगंज थाने में दर्ज हुआ, जिसमे चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
इसी प्रकार 2023 में इंदौर के ही खुड़ैल क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के 3 मजदूरों ने अपने ही मालिक की 13 वर्षीय बच्ची का बलात्कार कर दिया था। जनजाति समाज के पीड़ित परिवार ने गट्टू खान, ईदू खां, शेरु खान को को मकान बनाने का ठेका दिया था। इसी दौरान एक दिन बच्ची को अकेला पाकर उसके साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। जब उनके चंगुल से छूटकर पीड़िता ने पूरी बात अपने नाना को बताई, तब पुलिस कार्रवाई हुई और तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस पूछताछ में गट्टू ने कबूला कि उसने सुन रखा था कि ''हिन्दू लड़कियों के साथ संबंध बनाने से जन्नत मिलती है।''
हमारे देश में बलात्कारियों के लिए तो कानून बना हुआ है और उसमें समय समय पर संशोधन भी होते रहते हैं, लेकिन जो बलात्कारी इस घृणित कार्य को जन्नत जाने की सीढ़ी मानते हैं, उनकी मानसिकता पर चर्चा क्यों नहीं होती ? आखिर ये सोच इनके अंदर आ कहाँ से रही है, जिससे ये दरिंदे नाबालिग बच्चियों को भी अपनी हवस का शिकार बनाने से पहले दो बार नहीं सोचते। जब ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी जैसे देश इस मानसिकता को समझने लगे हैं और इसके खिलाफ कार्रवाई करने लगे हैं, तो क्या अब समय नहीं आ गया है कि भारत भी इस संबंध में ठोस कदम उठाए और इस जहरीली विचारधारा को कुचल डाले, जो हमारी बच्चियों का जीवन छीन रही है। या फिर भारत भी अब 'तहर्रूश' का इंतज़ार कर रहा है ?