गाय-बकरियां, नदियां इनसे हमें ताकत मिलती है

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हाल के वर्षों में पंकज त्रिपाठी ने अपने सहज अभिनय से सबका ध्यान खींचा है। ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’, ‘निल बट्टे सन्नाटा’, ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ ‘मुन्ना माइकल’ जैसी फ़िल्मों में अपनी एक अलग छाप छोड़ने वाले पंकज त्रिपाठी 4 अगस्त को रिलीज़ हो रही फ़िल्म ‘गुड़गांव’ में लीड रोल में नज़र आने वाले हैं।

इस फ़िल्म में उनका किरदार केहरी सिंह 30 साल से लेकर 55 साल की उम्र तक की यात्रा में अलग-अलग भूमिका में नज़र आएगा जो एक मामूली किसान से एक रियल इस्टेट बिल्डर का सफ़र तय करता है। पंकज त्रिपाठी ने अपनी एक खास मुलाक़ात में तमाम विषयों पर लम्बी बातचीत की।

प्रस्तुत हैं बातचीत के चुनिन्दा अंश। पंकज त्रिपाठी मुंबई में रहते हैं। लेकिन, उन्हें जब भी मौका मिलता है वो अपने गांव ज़रूर जाते हैं। पंकज को अपने गांव (गोपालगंज,बिहार) से बेहद लगाव है। वो कहते हैं- “अगर कोई पेड़ अपने रूट से न जुड़ा रहे तो कैसे सर्वाइव करेगा? हमारे गांव, खेत-खलिहान, रिश्ते-नाते, गाय-बकरियां, नदियां इनसे हमें ताकत मिलती है।” उनके मुताबिक- आज उनमें जो भी संघर्ष करने की क्षमता है वो उनके गांव की ही देन है। वो कहते हैं -“मैं कहीं भी रहूं, मैं अपने गांव से जुड़ा रहता हूं क्योंकि मैं गांव का आदमी हूं।”