ज्यादा पानी पीना सेहत के लिए होता है हानिकारक

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हमारी फिटनेस खानपान और रहन-सहन की आदतों पर निर्भर करती है. हम क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, जीवनशैली और दिनचर्या क्या है, इसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है. लेकिन खानपान से जुड़ी इतनी भ्रांतियां हैं कि हम कई बीमारियों को जानबूझकर गले लगा रहे हैं. आयुर्वेद के माध्यम से जानें इससे जुड़ी सच्चाई:

शेक में दूध का उपयोग:

गर्मी के मौसम में हम अक्सर आम या केले से बना शेक पीना पसंद करते हैं. लेकिन आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ आम, केला, नारियल, बेर, अखरोट, अनार, कटहल व आंवले का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आयुर्वेद के ग्रंथों में इसे विरुद्ध आहार कहा गया है. इन्हें खाने से बेहोशी, खून की कमी (एनीमिया), कुष्ठ, बुखार, कमजोरी, पुराना जुकाम, नपुंसकता व अंधापन जैसी समस्या हो सकती हैं.

ज्यादा पानी पीने से शरीर की सफाई:

आयुर्वेद के अनुसार केवल गर्मी का मौसम ही एक ऐसा मौसम है, जिसमें इच्छानुसार पानी पिया जा सकता है जबकि अन्य ऋतुओं में अधिक पानी पीना मना है. जिस व्यक्ति के खून में खराबी हो, शरीर में जलन होती हो, किसी जहरीली वस्तु या शराब का प्रयोग किया हो तो ठंडे पानी का ही उपयोग करना बेहतर माना गया है. पुराना जुकाम, पेट संबंधी बीमारियां, सूजन और बवासीर की समस्या में पानी कम पीने की सलाह दी जाती है.

खाने में हरी सब्जियां:

आमतौर पर लोगों को शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां खानी चाहिए. लेकिन पश्चिमी देश के लोगों का प्रमुख भोजन मांस व ब्रेड होता है, जिनमें रेशे की कमी होती है. ऐसे में वहां के लोगों के लिए इनसे मिलने वाले पोषक तत्वों के अलावा हरी सब्जियां खानी जरूरी होती हैं. सब्जियों के साथ-साथ फाइबर यानी रेशे से भरपूर चीजें जैसे फल, दालें, सूखे मेवे व गेहूं से बनीं चीजें आदि भोजन में शामिल करें.

शहद और पानी:

शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से आप रोगों का शिकार हो सकते हैं. शहद को कभी भी गर्म चीजों के साथ नहीं लेना चाहिए. ताजे पानी में पुराना शहद मिलाकर प्रयोग करने से मोटापा कम होता है. समान मात्रा में देसी घी व शहद का प्रयोग भी विरुद्ध आहार ही होता है. हालांकि जो व्यक्ति रोजाना व्यायाम करते हैं उन्हें विरुद्ध आहार कम प्रभावित करते हैं.

भोजन के बाद पानी और मिठाई लेना:

खाने से पहले पानी पीना शरीर को पतला बनाता है जबकि बाद में पीने से मोटा. भोजन करते समय मीठा सबसे पहले, उसके बाद खटटी और नमकीन चीजें खाएं. इससे भोजन आसानी से पचता है.

रात का खाना हल्का व सुबह का भारी:

नाश्ता भारी और डिनर बहुत ही हल्का होना चाहिए क्योंकि सुबह के समय शरीर को दिनभर के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है. वहीं रात को भारी भोजन करने से पेट में गड़बड़ी हो सकती है.

ठंडा पानी नुकसानदायी:

पानी गर्म करके पीने से वह डेढ़ घंटे में पचता है. उसी पानी को गर्म करके ठंडा करने के बाद पीया जाए तो वह तीन घंटे में पचता है जबकि ताजे पानी को पचने में छह घंटे लग जाते हैं. ज्यादा ठंडा पानी पचने में और अधिक समय लेता है. इसके अलावा हिचकी आनेे, खांसी-जुकाम, दमा, बुखार और गले के रोगों में गर्म पानी ही पीना चाहिए.

दही का मौसम:
बहुत से लोग सोचते हैं कि दही रोज खाने से सेहतमंद रहते हैं. जबकि आयुर्वेद में कहा गया है कि साल में छह माह दही नहीं खाना चाहिए. केवल बारिश और गर्मी के मौसम में ही दही का प्रयोग अच्छा माना गया है. किसी भी ऋतु में रात के समय दही नहीं खाना चाहिए. इससे बुखार, नकसीर आना, कुष्ठ रोग, चक्कर आना और पीलिया जैसे रोग होते हैं.

दूध के साथ नमकीन:

आयुर्वेद में दूध के साथ नमक नहीं खाना चाहिए. दूध के साथ परांठा, नमकीन और बिस्किट जैसी चीजें न खाएं. दरअसल कई नमकीन चीजों को बनाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग होता है, जो बाल और आंखों के लिए नुकसानदायी है.