जीवन मे उदासी को दूर करना हो तो रखें इन बातों का ध्यान

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इस भागदौड़ भरी जिंदगी मे कई बार हम सुख और दुख से जुड़े हुए अनुभव से जुड़े रहते है। हमारा जीवन इन्ही सुख और दुख की दो पटरियों पर चलता रहता है। पर इन दो पटरियों पर चलते हुए क्या कभी आपने इन तनावमुक्त जीवन से बाहर निकलने के बारे मे सोचा है तो शायद आपका जवाब होगा नही क्योकि इसके लिए या तो आप अपने आपको समय नही दे पाते है।। मनुष्य के हंसते-खेलते जीवन में मृत्यु, बीमारी विछोह, अपमान, असफलता अनेक दु:खद पटरियों से चलकर जीवन की गाड़ी दु:ख एवं निराशा के स्टेशन पर जाकर खड़ी हो जाती है। तब कुछ समय अपने आपको दे पाना बहुत ही मुश्किल होता है। हमें जीवन के अनेक उदास क्षणों को खुशहाल बनाने का प्रयास करना चाहिए। निरन्तर इन दुखों के क्षणों से बाहर निकलने के लिए आप कुछ बेहतर प्रयासों को कर सकते है। तो चलिए जानते है कि आप अपने इस तनाव मुक्त जीवन को कैसे खुशहाल बना सकते है। उदासी कैसे कम कर सकते है?

व्यक्ति अकेला हो तो वह दोहरी उदासी का एहसास अनुभव करता है। जिससे उसकी उदासी कम होने के बजाय बढ़ती जाती है । इस परिस्थिति मे आवश्यक होता है कि व्यकित को उदास ना रहने दे।

आपके कम्यूनीकेशन का के लिए आप फोन या मोबाइल का इस्तेमाल करते है। इसके लिए एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित करते है। और एक दूसरे से आप भावनात्क रुप से सम्पर्क स्थापित कर मन की उदासी को कम कर पाते है।

कई लोगों को लिखने मे बहुत दिलच्सपी होती है इसलिए जब भी अकेले होते है तो कुछ लिखते है । लिखने से आपके मन का बोझ कुछ कम हो सकता है। जो आपके मन मे लिखने के प्रति रुचि को जागृत कर करता है।

यदि उदास व्यक्ति दैनिक डायरी लिखता हो तो उदासी के दिनों में यह आदत बेहद उपयोगी होती है। साहित्य का सृजन दु:खों के बाद सबसे यथार्थ रूप में होता है। दैनिक डायरी में अपनी साहित्यिक मन की बातों को व्यक्त कर मानसिक शांति पाई जा सकती है।

उस क्षण अच्छे गीत, कहानी, कविता या बड़े उपन्यास लिखे जा सकते हैं। हमें तुलसी और सूर के जीवन से प्रेरणा ले सकते है । तो अपनी रुचि के अनुसार इन साहित्यिक किताबों को पढकर अपनी रुचि को जागृत कर सकते है।

उदासी को वियोग का पर्याय नहीं मान सकते पर आत्म वेदना का दर्पण कह सकते हैं। उदासी का कारण जानना आवश्यक नहीं लेकिन यह अवश्य जान लेना चाहिये कि लम्बी उदासी किसी भी व्यक्ति के जीवन में अनेक रोगों का कारण बन सकती है। यदि दर्द का खजाना लिये वह व्यक्ति अन्दर ही अन्दर घुटता रहे तो एक दिन वह दिल का मरीज हो सकता है। उदास व्यक्ति के उदासी अभिव्यक्त करने के ढंग अलग-अलग हो सकते हैं। उदासी कभी मौन होती है, और कभी क्रोधी। उदास दिल कब, कहां, क्या मोड़ ले, यह कहना मुश्किल है। यही ध्यान रखना होता है कि जब उदास होंठों से जिंदगी के गम बाहर आयें तो सामने बैठे व्यक्ति ठीक उसी प्रकार धीरे-धीरे विनम्र भाषा में उन अन्दर के अन्धकारों को काटने का प्रयास करें । उदासी हटाने के लिए सहृदय होना आवश्यक है। हो सकता है कि उदास आदमी सदैव नकारात्मक पक्ष में बाते करता है। आप उसकी भावनाओं का काट न करते हुये उसकी बातें सुन लेने का प्रयास करे शीघ्र ही आप उसकी उदासी को कम कर सकते है।