आज के दौर में मोबाइल बहुत ही उपयोगी हो गया है। युवा वर्ग के लिए तो मोबाइल जरूरत से ज्यादा फैशन का पर्याय बन गया है। अगर किसी के पास मोबाइल नहीं है तो उसको पिछड़ा माना जाता है।
मोबाइल की लत युवाओं को अपना इतना आदी बना चुकी है कि कितना ही जरूरी काम हो उसमें भी वह मोबाइल चैक करने का समय तो निकाल ही लेते है। इस तकनीक ने जितनी आसान हमारी जिंदगी की है।
लेकिन सेहत के लिए उतनी ही परेशानी उत्पन्न की है। फोन का आवश्यकता से अधिक उपयोग शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है। इस बात को कई शोध प्रमाणित कर चुका है।
खासतौर से महिलाओं में ये तनाव का मुख्य कारण है। रात के समय फोन को अपने पास रखकर नहीं सोना चाहिए। फोन से निकले वाली रोशनी शरीर की सिरकेडियन रिदम को प्रभावित करती है और ऐसे हार्मोन्स स्त्रावित करती है जिससे सतर्कता सी बनी रहती है जो नींद खराब करती है।
फोन के लगातार प्रयोग से आंखों पर भी उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। मोबाइल फोन से एक सामान्य व्यक्ति की फोकस करने की जो क्षमता होती है उसे प्रभावित करता है।
एक शोध में प्रमाणित हुआ है कि फोन के एल्कोट्रोमैग्नेट किरणें कई खतरों को बुलावा देती है। फोन की वजह से किसी भी काम को करने में जरुरत से ज्यादा समय लगता है। बहुत देर तक फोन पर बात करना खतरनाक हो सकता है। ये सुनने की क्षमता पर सीधे असर डालता है।