कब्ज को कभी न करें नजरअंदाज

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मानसिक सेहत पर भी पड़ता है बुरा असर
प्रकृति ने मानव शरीर के मैकेनिज्म को कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया है कि यह शरीर को फायदा पहुंचाने वाले तत्वों को ग्रहण कर अवांछित पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देता है। हमारा पाचनतंत्र इस पूरी प्रणाली को सुचारू रूप से जारी रखता है लेकिन जब किसी वजह से इस कार्य में बाधा आती है तो न केवल पाचनतंत्र बल्कि पूरी शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

कई हैं कारण
कॉन्स्टीपेशन या कब्ज के पीछे कई कारण हो सकते हैं। समस्या तब उभरती है जब कब्ज स्थाई होने लगती है या इसके कारण शरीर में इन्$फेक्शन फैलने लगता है। हालत इतने खराब भी हो सकते हैं कि कई बार जान पर भी बन आती है। इस समस्या के उभरने के पीछे मुख्यत: यह कारण हो सकते हैं-

उम्र का बढऩा या गर्भावस्था जैसी स्थिति फाइबरयुक्त भोजन की कमी
लिक्विड के सेवन में कमी या पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन न करना
ज्यादातर एक ही जगह पर बैठे रहना या फिजिकल एक्टिविटी में कमी

हाइपोथायरॉइडिज्म के कुछ मामलों में पेन किलर्स, एन्टीडिप्रेसेंट्स, एंटासिड, विटामिन्स या अन्य विशेष औषधियों का लंबे समय तक सेवन
डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की विशेष स्थितियों में
बहुत ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स या चॉकलेट के सेवन से
कुछ विशेष मानसिक स्थितियों में, आदि यह या ऐसे कारण कब्ज को जन्म दे सकते हैं।

उपायों पर करें गौर
कब्ज ऐसी तकलीफ है जो लम्बे समय तक अनियमित जीवनशैली या विशेष स्तिथियों के कारण होती है। यानी यह एक दिन में सामने नहीं आती। इसलिए इससे बचाव या इसके लक्षणों पर काबू पाने के लिए प्रयास भी दीर्घकालिक होने जरूरी होते हैं। इसके लिए अपनाएं- डाइट में फाइबर युक्त फल-सब्जियों तथा खाद्य का भरपूर समावेश।

दलिया, साबुत अनाज, चोकर वाले आटे की रोटी जैसी चीजों को प्राथमिकता दें
व्यायाम और पर्याप्त मात्रा में पानी के सेवन जीवन का अनिवार्य अंग बनाएं। गर्भावस्था के दौरान भी सही मार्गदर्शन में विशेष व्यायाम अपनाएं
तनाव, धूम्रपान, मद्यपान आदि से दूर रहें कब्ज के दौरान कभी भी मलत्याग के समय बहुत प्रेशर न लगाएं न ही घबराएं। इससे स्तिथि और भी बिगड़ सकती है और आपके अंदरूनी अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है